असम के विमल हुजरी साईकिल से पहुंचे सुल्तानगंज, पिता की मांगी मन्नत उतारने जा रहे बाबाधाम
श्रावणी मेला अब अंतिम पड़ाव पर है। असम के विमल हुजरी साईकिल सुल्तानगंज पहुंचे। वे यहां से बाबाधाम देवघर से साईकिल से ही रवाना हो गए। श्रावण पूर्णिमा को करेंगे बाबा का जलाभिषेक। पिता ने बाबा से मन्नत मांगी थी।
संवाद सूत्र, सुल्तानगंज (भागलपुर)। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला अब अंतिम पड़ाव पर है लेकिन कम ही सही शिव भक्तों का सुल्तानगंज आने का सिलसिला जारी है। शिवभक्त सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा भोले के दर्शन के लिए देवघर की ओर बढ़े जा रहे हैं। कोई पैदल जा रहे हैं तो कोई वाहन से। मंगलवार को एक ऐसा भक्त मिला जो असम के अमोलपुर से साइकिल यात्रा कर 4 दिन में सुल्तानगंज पहुंचा। नमामि गंगे घाट पर गंगा में स्नान कर पवित्र गंगाजल लिया और जल संकल्प लेकर साइकिल से ही बाबा बैद्यनाथधाम के लिए रवाना हुए।
विमल हुजरी ने बताया कि मेरा जन्म बाबा के मन्नत से ही हुआ है। मेरे माता पिता मेरी प्राप्ति को लेकर 30 वर्ष पूर्व कई वर्षों तक सुल्तानगंज से जल उठा कर बैद्यनाथ धाम में जलाभिषेक किया। भगवान भोले की असीम अनुकंपा से तब मेरा जन्म हुआ है और उसी समय मेरे पिताजी ने भगवान भोले से मन्नत मांगी थी कि अगर हमें पुत्र की प्राप्ति होगी तो मेरा पुत्र 5 वर्षों तक अपने निवास स्थान असम से साईकिल यात्रा करते हुए सुल्तानगंज जाएगा और वहां से बाबाधाम साईकिल से ही आकर जलार्पण करेगा । पिता की इसी मन्नत को पूरा करने के लिए हम इस बार तीसरे साल बाबा भोले को जल चढ़ाने के लिए देवघर जा रहे हैं।
साइकिल से 750 किलोमीटर की दूरी तय कर चौथे दिन में आए सुल्तानगंज
विमल हुजरी ने बताया कि अपने निवास स्थान असम के अमोलपुर से 6 अगस्त को करीब 10:00 बजे साइकिल से यात्रा पर निकले थे जो कि हम 9 अगस्त को सुल्तानगंज पहुंचे और गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। यहां से जल लेकर देवघर के लिए साइकिल से ही जा रहे हैं और सावन पूर्णिमा के दिन बाबा बैद्यनाथ पर जलाभिषेक करने के बाद बासुकीनाथ में भी जलाभिषेक करेंगे। पुन: साइकिल से ही अपने घर को वापस चले जाएंगे ।
विमल करते हैं होलसेल का बिजनेस
विमल हुजरी ने बताया कि मेरी पेप्सी और चिप्स की एजेंसी है और भगवान भोले की कृपा से अच्छी तरह से चल रही है। मुझे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा जब से हम साइकिल यात्रा कर देवघर जा रहे हैं तब से मेरे जीवन में खुशहाली छा गई है एवं बिजनेस में वृद्धि हो गया है। मैं जितना भी बाबा भोले का बखान करूं वह कम पड़ जाएगा।
कोरोना काल में भी जा चुका है साइकिल से देवघर
उन्होंने बताया कि 2020 में कोराना काल रहने के बावजूद वो जल लेकर सुल्तानगंज से साईकिल यात्रा कर देवघर पहुंचे मंदिर का पट बंद होने के कारण गंगाजल को पूरब द्वार पर ही अर्पित किया ।