परीक्षा में लिखा लव लेटर तो दे दिया 60 फीसद मा‌र्क्स

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर अपने कारनामे के कारण चर्चा में है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Jul 2017 02:02 AM (IST) Updated:Fri, 21 Jul 2017 02:02 AM (IST)
परीक्षा में लिखा लव लेटर तो दे दिया 60 फीसद मा‌र्क्स
परीक्षा में लिखा लव लेटर तो दे दिया 60 फीसद मा‌र्क्स

भागलपुर । तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर अपने कारनामे के कारण चर्चा में है। इस बार स्नातक परीक्षा में लव लेटर लिखने वाले बांग्ला भाषी छात्रों को 60 फीसद से अधिक अंक दिए गए हैं। इतना ही नहीं लव लेटर लिखने वाले कई छात्र तो प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हो चुके हैं। मामला सामने आने पर विवि के परीक्षा बोर्ड ने मातृभाषा को छोड़कर अन्य विषयों की परीक्षा में बांग्ला व उर्दू में लिखने पर रोक लगा दी है।

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल के छात्र नामांकन लेते हैं। दलालों के माध्यम से नामांकन लेने वाले अधिकांश बांग्ला भाषी छात्रों को यह पता नहीं होता है कि उनका नामांकन किस विषय में हुआ है। अगर छात्र मनोविज्ञान विषय में नामांकन लेता है तो कॉलेज द्वारा उनका रजिस्ट्रेशन भूगोल विषय में करा दिया जाता है। ऐसे में छात्रों को यह पता नहीं चल पाता है कि उन्हें किस विषय में परीक्षा देनी है। जब छात्र परीक्षा देने पहुंचते हैं तो उन्हें मनोविज्ञान की जगह भूगोल विषय का प्रश्नपत्र थमा दिया जाता है। मनोविज्ञान विषय की तैयारी कर परीक्षा देने पहुंचे छात्र भूगोल का प्रश्नपत्र देखते ही चकरा जाते हैं और कॉपी में बांग्ला भाषा में लव लेटर सहित अनाप-शनाप लिखने लगते हैं। लेकिन मजेदार बात यह है कि विवि में बांग्ला विषय के जानकार नहीं रहने के कारण छात्रों को 60 फीसद से ज्यादा अंक दे दिए जा रहे हैं।

परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा गया मामला

कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। इस मामले को गुरुवार को हुई परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि मातृभाषा को छोड़कर अन्य विषयों की परीक्षा में हिन्दी व अंग्रेजी में ही प्रश्न का उत्तर स्वीकार किया जाएगा। बांग्ला, परशियन व उर्दू में लिखे उत्तर स्वीकार नहीं किए जाएंगे। परीक्षा बोर्ड के निर्णय के बाद कई संबद्ध कॉलेजों की दुकानदारी बंद होने की संभावना है।

विवि में बांग्ला शिक्षकों की कमी है

विवि में बंगला शिक्षकों की कमी है। छात्रों की संख्या अधिक है। इस वजह से इन छात्रों को कॉमन मा‌र्क्स दे दिया जाता था। ऐसे छात्र कक्षा नहीं के बराबर करते हैं और परीक्षा में रेगुलर छात्रों के समान नंबर पा जाते हैं।

दलालों के माध्यम से कराते हैं नामांकन

पश्चिम बंगाल के छात्रों से मोटी रकम लेकर दलाल संबद्ध कॉलेजों में नामांकन कराते हैं। विवि में बाग्ला विषयों के जानकार नहीं रहने के कारण शिक्षा माफिया इसका फायदा उठाते हैं और छात्रों को बांग्ला में लिखने की सलाह देते हैं। इस कारण प्राइवेट कॉलेजों की चादी कट रही है।

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कोट

पश्चिम बंगाल के छात्र परीक्षा में कुछ भी लिख देते हैं और उन्हें अच्छे अंक मिल जाते हैं। बांग्ला विषय के जानकार नहीं रहने के कारण ऐसा हो रहा है। अब छात्रों को मातृभाषा को छोड़कर अन्य विषयों के प्रश्न का जवाब ¨हदी व अंग्रेजी में ही लिखना होगा। अन्य किसी भाषा में लिखी गई उत्तर का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा।

डॉ. नलिनी कांत झा, कुलपति

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय

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