जाग-जाग ओ मसान... देर रात तक जागा श्मशान, जानें... औघड़ ने कैसे की दुर्गा पूजा में तंत्र साधना Bhagalpur News

जप तप और हठ योग से मसान का आह्वान करते हैं। अष्टमी की रात वे लोग बलि भी देते हैं। इसके बाद अलग-अलग विधियों से मसान का जगाते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Mon, 07 Oct 2019 11:27 AM (IST) Updated:Mon, 07 Oct 2019 11:27 AM (IST)
जाग-जाग ओ मसान... देर रात तक जागा श्मशान, जानें...  औघड़ ने कैसे की दुर्गा पूजा में तंत्र साधना Bhagalpur News
जाग-जाग ओ मसान... देर रात तक जागा श्मशान, जानें... औघड़ ने कैसे की दुर्गा पूजा में तंत्र साधना Bhagalpur News

भागलपुर [बलराम मिश्र]। जाग, जाग ओ मसान, जाग रे, सारथी बाबा, डाक सुनी ओ मसान, जाग रे... यह कहते हुए औघड़ों का झुंड दुर्गा पूजा के अष्टमी के मौके पर देर रात बरारी स्थित श्मशान घाट में तंत्र सिद्धि करते मिले। जीरोमाइल गोपालपुर के गुणेश्वर सिंह पिछले तीस वर्षों से अष्टमी के मौके पर तंत्र सिद्धि के लिए अपने शिष्यों के साथ श्मशान आते हैं। उन्होंने बताया कि मानव जाति के सुख समृद्धि के लिए वे तंत्र-मंत्र से सिद्धि कर मसान काली का आह्वान करते हैं। इसके लिए कई विधियों से कठिन साधना की जाती है। वे मां काली के सामने अराधना करते हैं।

जप, तप, हठ योग से करते हैं आह्वान

गुणेश्वर सिंह ने बताया कि वे जप, तप और हठ योग से मसान का आह्वान करते हैं। अष्टमी की रात वे लोग बलि भी देते हैं। इसके बाद अलग-अलग विधियों से मसान का जगाते हैं। उन्होंने बताया कि तंत्र सिद्धि करते समय अदृश्य शक्तियां आसपास रहती हैं। देर रात हवन के बाद उन शक्तियों को सेवा बलि दी जाती है।

सैंकड़ों वर्षों से होती है सिद्धि

गुणेश्वर सिंह के शिष्य शशिकांत ने बताया कि बरारी श्मशान तांत्रिकों के लिए विशेष महत्व रखता है। सैंकड़ों वर्षों से औघड़ों का झुंड श्मशान स्थित मंदिर में सिद्धि के लिए आते थे। अब इनकी संख्या काफी कम हो गई।

चिता पर बनता है मसान का भोग

गुणेश्वर ने बताया कि अष्टमी की रात पैशाचिक तांत्रिक विधि में आधी रात को जलती चिता पर मशान का प्रसाद बनता है। बलि के पश्चात मंत्र साधना के साथ यह तैयार होता है। चिता पर बने प्रसाद को माता पर चढ़ाने के बाद सभी चिता के समीप ही उसे ग्रहण करते हैं।

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