पंचगछिया रेलवे स्टेशन के पास लाइट इंजन में स्कार्पियो ने मारी टक्कर, इस तरह लोगों की बची जान

सहरसा में पंचगछिया रेलवे स्‍टेशन के समीप लाइट इंजन से स्‍कॉपियो टकरा गई हालांकि इस हादसे में लोग बाल बाल बज गए। हादसा रेलवे स्टेशन के दक्षिणी आउटर सिग्नल के समीप रेलवे ढ़ाला संख्या 38 के पास हुई।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 09:17 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 09:17 PM (IST)
पंचगछिया रेलवे स्टेशन के पास लाइट इंजन में स्कार्पियो ने मारी टक्कर, इस तरह लोगों की बची जान
सहरसा में पंचगछिया रेलवे स्‍टेशन के समीप लाइट इंजन से स्‍कॉपियो टकरा गई,

जागरण संवाददाता, सहरसा। बिहरा थाना क्षेत्र के पंचगछिया रेलवे स्टेशन के दक्षिणी आउटर सिग्नल के समीप गुरुवार की रात रेलवे ढ़ाला पार कर रहे एक स्कार्पियो एवं लाइट इंजन के बीच टक्कर हो गई। जिसमें स्कार्पियो क्षति ग्रस्त हो गयी। हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुई है।

जानकारी के अनुसार पंचगछिया रेलवे स्टेशन के दक्षिणी आउटर सिग्नल के समीप रेलवे ढ़ाला संख्या 38 को पार कर रहे एक स्कार्पियो एवं लाइट इंजन के बीच टक्कर हो गई। जिसमें स्कार्पियो क्षतिग्रस्त हो गयी। हालांकि इस घटना में किसी के हताहत की सूचना नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार लाइट इंजन को नजदीक देख चालाक समेत उस पर सवार सभी लोग खुद अपनी जान बचाने में सफल रहे।

इसी ढ़ाला निर्माण को लेकर हो चुका है आंदोलन

ग्रामीणों ने बताया कि सत्तर पंचायत में इस ढ़ाला निर्माण के लिए कई बार आंदोलन हो चुका है। दोनों तरफ ग्रामीण सड़क बनी है। परंतु, ढ़ाला मानव रहित है। इधर पंचगछिया स्टेशन पर पटरी दुरुस्त करने का कार्य चल रहा है। कार्य समाप्त करने के बाद इंजन वापस सहरसा की ओर जा रही थी। इसी दौरान यह हादसा हुआ।

दो भागों में बंटा है पंचायत

रेलवे लाइन के कारण दो भागों में सत्तर पंचायत बंटा हुआ है। ग्रामीण लगातार इस ढ़ाला को पूर्ववत बनाए रखने को लेकर अधिकारियों से गुहार लगाते रहे हैं। इसको लेकर आंदोलन भी हुआ है।

ग्रामीणों के अनुसार सत्तर पंचायत में यह ढ़ाला पड़ता है। इस ढ़ाला के दोनों तरफ बनी सड़क महत्वपूर्ण है। पूर्व की तरफ बाबा सिहेश्वर स्थान मधेपुरा लोग जाते हैं तो पश्चिम की तरफ बाबा कुशेश्वर स्थान सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर जाने का मुख्य मार्ग है।

ढ़ाला के दोनों तरफ सघर बस्ती है। लोगों की खेतीबाड़ी भी दोनों तरफ है। अमान परिवर्तन के बाद रेलवे ठेकेदार व कर्मचारी द्वारा उक्त ढ़ाला 38 पर लगे चीफ रेल उक्त ढ़ाला कायम रखने के लिए लगाया था। परंतु कुछ दिनों बाद ठेकेदार व कर्मियों द्वारा इसे खोलकर हटा दिया गया। ग्रामीणों ने इस हादसे से सबक लेते हुए इस ढ़ाला को पूर्ववर्त चालू करने की फिर से मांग की है।

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