सर्वे करने नीति आयोग की टीम पहंची बिहार, सपेरों के जीवन में आएगी बहार
सपेरों के जीवन में जल्द बहार आएगी। सरकार की ओर से उनके उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही है। इसके लिए नीति आयोग की टीम ने बिहार पहुंच कर सपेरोंं का सर्वे शुरु कर दिया है। बताया जा रहा है कि...
संवाद सहयोगी, बौंसी (बांका)। सपेरा जाति के लोगों को आज के दौर में अपना जीवनयापन करना मुश्किल हो रही है। कभी इनकी जिंदगी सांप का खेल दिखाकर चलती थी, अब ये भी इनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। लेकिन अब इनके जीवन में जल्द बहार आने की उम्मीद है। सपेरों के उत्थान के लिए सरकार ने कार्ययोजना बनाई है। नीति आयोग की टीम ने इसके लिए बिहार पहुंचकर सर्वे शुरू कर दिया है।
गौतमबुद्ध नगर जिले में बिसरख, हैबतपुर तिगरी, मिल्क, चौगानपुर, पतवाडी आदि समेत 20 से 25 गांवों में सपेरा समुदाय के लोग रहते है। जिले के गांवों में इनकी संख्या करीब 10 हजार है। बिसरख गांव के नन्नु नाथ और सच्चे नाथ ने बताया कि ज्यादातर सपेरा समुदाय के लोग गांव से थोड़ा हटके एक डेरे में बसे हुए है। शिक्षा व आर्थिक आधार पर भी यह जाति पिछड़ी हुई है। घरों की हालत जर्जर है।
नीति आयोग की दो सदस्यीय टीम ने मंगलवार को बांका जिले के बौंसी प्रखंड के महाराणा गांव पहुंचकर सपेरा जनजाति के उत्थान के लिए सर्वे किया। टीम के सदस्य डा.सुमिताभ चक्रवर्ती ने बताया कि सपेरा जाति के डेवलपमेंट के लिए सर्वे किया जा रहा है। इसके लिए सूची बनाई जा रही है। भारत में 2019 से 226 जातियों के उत्थान के लिए नीति आयोग द्वारा सर्वे किया जा रहा है। इसी कड़ी में बिहार में आठ सदस्यीय टीम सर्वे कर रही है। जिला में दो सदस्यीय टीम सर्वे करने में लगी हुई है। सर्वे कार्य का काम पूरा करने के बाद नीति आयोग को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। मौके पर नीति आयोग टीम की सदस्य तामन हाजारिका, बीडीओ पंकज कुमार सहित अन्य मौजूद थे।
लोगोंं से टीम के सदस्यों ने की बातचीत
नीति आयोग की टीम ने महाराणा गांव में सपेरे जाति के लोगों से बातचीत की। इस दौरान उनकी समस्याओं से वे रूबरू हुए। लोगों ने बताया कि रोजगार उन लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार के लिए उन लोगों को इधर उधर भटकना पड़ता है।