मिलिए भगवान भोलेनाथ के परशुराम से, गंगोत्री से पैदल चल 1400 km दूर पहुंचे मुंगेर, बोले- जाना है देवघर धाम

गंगोत्री से गंगा जल लेकर पैदल यात्रा कर मुंगेर पहुंचे बुजुर्ग कांवरिया परशुराम ने जो कहा उससे बाबा भोलेनाथ के प्रति उनकी आस्था जाहिर होती है। परशुराम ने कहा कि वे निश्वार्थ भाव से बाबा की पूजा करते हैं। उन्होंने बताया कि 81 दिन से पैदल चल रहे हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 07:33 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 07:33 PM (IST)
मिलिए भगवान भोलेनाथ के परशुराम से, गंगोत्री से पैदल चल 1400 km दूर पहुंचे मुंगेर, बोले- जाना है देवघर धाम
भगवान भोले के अनन्य भक्त परशुराम पहुंचे मुंगेर, आगे की यात्रा जारी।

संवाद सूत्र, हेमजापुर (मुंगेर)। पुराणों में कहा गया है कि भगवान भोलेनाथ के भक्त बड़े ही समर्पित होते हैं। हर बाधाओं को पार कर लक्ष्य तक पहुंचने की पूरी कोशिश करते हैं। सचमुच भगवान शिव के भक्तों को कोई डिगा भी नहीं सकता। भक्ति और आस्था की पराकाष्ठा पार करने का अद्भुत नजारा मंगलवार को मुंगेर-लखीसराय मुख्य पथ एनएच-80 पर हेमजापुर में देखने को मिला। उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगाजल लेकर बाबा भोलेनाथ को जल अर्पण को निकले 81 वर्षीय कांवरिया परशुराम 81 दिनों की कठिन पैदल यात्रा तय करते हुए परशुराम मुंगेर पहुंचे।

परशुराम ने बताया कि वह पिछले चार माह से रात-दिन पैदल यात्रा कर रहे हैं। वे उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगा जल भरकर बाबा धाम के लिए प्रस्थान किए हैं। उनकी कोई मन्नत भी नहीं है, लेकिन बाबा शिव से मिलने का मन में ऐसा भाव जागा कि वह स्वयं को रोक नहीं पाए। कुछ स्थानीय लोगों ने बुजुर्ग कांवरिया को बताया कि बाबा धाम देवघर में कोरोना के चलते पूजा नहीं हो रही है। आपके वहां जाने से आपको कोई फायदा नहीं होगा। आप शिवलिंग पर जल अर्पित नहीं कर पाएंगे। -81 दिन लगे उत्तराखंड से बिहार के मुंगेर पहुंचने में -04 माह पूर्व नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड से निकले बुजुर्ग कांवरिया -81 वर्षीय बुजुर्ग कांवरिया की आस्था देख लोग हुए हैरान

बुजुर्ग कांवरिया परशुराम श्रद्धा और आत्मीय भाव से बोले-किसी के लिए बाबा का पट खुले ना खुले,उनके लिए बाबा का पट (किवाड़) जरूर खुलेगा। ऐसा उन्हें विश्वास है। इतना कह बुजुर्ग कांवरिया आगे की ओर प्रस्थान तो कर गए लेकिन चलते-चलते स्थानीय लोगों को हैरत में डाल गए। बाबा शिव के अनन्य भक्त ऐसे भी होते हैं, ये उन्होंने बता दिया। खैर, निस्वार्थ भाव से की गई पूजा हमेशा सफल होती है। आशा है कि बाबा जब तक देवघर पहुंचेंगे, वहां पूजा शुरू हो जाएगी।

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