बाबू कुंवर सिंह के संघर्ष व बलिदान रहेगा याद : बुलो

भागलपुर। बाबू वीर कुंवर सिंह के संघर्ष और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे। अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह सेना थे। उन्हें 80 वर्षो की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है। यह कहना है सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल का।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Apr 2017 01:57 AM (IST) Updated:Mon, 24 Apr 2017 01:57 AM (IST)
बाबू कुंवर सिंह के संघर्ष व बलिदान रहेगा याद : बुलो
बाबू कुंवर सिंह के संघर्ष व बलिदान रहेगा याद : बुलो

भागलपुर। बाबू वीर कुंवर सिंह के संघर्ष और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे। अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह सेना थे। उन्हें 80 वर्षो की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है। यह कहना है सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल का।

वे वीर कुंवर सिंह समाजिक परिषद द्वारा रविवार एसकेपी. विद्या विहार में आयोजित वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह में बोल रहे थे। समारोह का उद्घाटन सासद बुलो मंडल ने किया और समारोह का अध्यक्षता रणविजय प्रताप सिंह ने किया। सांसद ने कहा कि बाबू कुंवर सिंह 23 अप्रैल को अंतिम लड़ाई लड़ी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भाड़े के सैनिकों को बाबू कुंवर सिंह ने खदेड़ दिया। इस दौरान वे बुरी तरह घायल हो गए। उन्होंने बिहार के आरा जिले जगदीशपुर किले से यूनियन जैक नाम का झडा उतारकर ही दम लिया था। घायल अवस्था में अपने किले लौटने के बाद 26 अप्रैल 1858 को उन्होंने वीरगति पाई। शोषण और अन्याय के खिलाफ 80 वर्ष की उम्र में बाबू कुंवर का तलवार उठाना, हिन्दू-मुस्लिम एकता और सद्भाव को उनके द्वारा आगे बढ़ाना हरेक पीढ़ी को प्रेरणा देता है।

इस मौके पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा, उपमेयर डॉ. प्रीति शेखर, चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शैलेंद्र सर्राफ, नागरिक विकास समिति के अध्यक्ष जिम्मी क्वाड्रेस, राज कुमार सिंह आदि मौजूद थे।

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