प्राइवेट स्‍कूलों की मनमानी पर भड़के किशनगंज सांसद, कहा- फीस वसूलने के लिए चलाए जा रहे ऑनलाइन क्लास

सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी पर बिल्कुल रोक लगनी चाहिए।कोरोना संक्रमण काल में निजी स्कूल लगभग 11 महीने तक बंद रहा। इसके बाद भी स्‍कूल संचाल द्वारा फीस के लिए तंग किया जा रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 12:24 PM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 12:24 PM (IST)
प्राइवेट स्‍कूलों की मनमानी पर भड़के किशनगंज सांसद, कहा- फीस वसूलने के लिए चलाए जा रहे ऑनलाइन क्लास
किशनगंज के सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी पर बिल्कुल रोक लगनी चाहिए।

जागरण संवाददाता, किशनगंज। निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर अभिभावकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों ने स्कूल संचालकों द्वारा जबरन फीस वसूले जाने की शिकायत सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद से की है। जिस पर सांसद ने आश्वस्त करते हुए कहा कि इसके लिए वह प्रयास करेंगे। निजी स्कूलों की मनमानी पर बिल्कुल रोक लगनी चाहिए। कोरोना संक्रमण काल में निजी स्कूल लगभग 11 महीने तक बंद रहा। इस 11 महीने की अवधि में विद्यार्थी घर में रह कर ही पढ़ाई करते रहे। इस दौरान निजी स्कूल संचालक केवल फीस वसूली के लिए ऑनलाइन क्लास चलाते रहे। ऑनलाइन क्लास के माध्यम से पढ़ाई बिलकुल भी नहीं हो पाई। ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों को कोरोना काल का फीस विद्यार्थियों से नहीं लेना चाहिए।

जिलाधिकारी से भी सांसद ने की बात 

इसे लेकर सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद ने जिलाधिकारी डॉ. आदित्य प्रकाश से भी बात की। सांसद ने डीएम से कहा कि, निजी स्कूल संचालकों द्वारा छात्रों व अभिभावओं पर दवाब के साथ भय का माहौल बनाते हुए कोरोना काल में बंद अवधि की पूरी फीस वसूला जा रहा है। इसकी शिकायत मुझे लगातार मिल रही है। आपदा के तहत मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए निजी स्कूलों के फीस वसूली पर फिलहाल रोक लगाया जाय। किशनगंज जिला के लोगों का प्रति व्यक्ति आय भी बहुत कम है। जिलेवासी कोविड-19 के साथ बाढ़ आपदा की दोहरीमार झेलने पर विवश हो गए। निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण लगाने के साथ राज्य सरकार और सीबीएसई द्वारा जारी किए गए गाइडलाइन का पालन करवाया जाए। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह किसी एक दो नहीं बल्कि हजारों बच्चों के अभिभावकों की परेशानी है। स्कूल संचालकों के दबाब की वजह से अभिभावक लाचार हैं। इस पर प्रशासन को ध्‍यान देना चाहिए, ताकि निजी स्‍कूल संचालकों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके।

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