भारतीय रेलवे: ट्रेनों में यात्रियों की संख्या हुई आधी, राजस्व को हो रहा नुकसान, बांका में अंडाल पैसेंजर ने बचाई जंक्शन की इज्जत

भारतीय रेलवे- कोरोना का इफेक्ट ऐसा है कि ट्रेनों में यात्री आधे हो गए हैं। इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है। बांका से चलने वाली तीन ट्रेनों में यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है। अंडाल के पैसेंजर्स ने कुछ इज्जत बचा ली है।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 11:51 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 11:51 AM (IST)
भारतीय रेलवे: ट्रेनों में यात्रियों की संख्या हुई आधी, राजस्व को हो रहा नुकसान, बांका में अंडाल पैसेंजर ने बचाई जंक्शन की इज्जत
ट्रेनों में हो गई आधी भीड़, राजस्व को पहुंचा नुकसान।

संवाद सहयोगी, बांका: भारतीय रेलवे- एक बार फिर से कोरोना ने रेलवे को बेदम कर दिया है। कोरोना महामारी की मार सबसे अधिक रेलवे पर ही पड़ी है। महामारी की चपेट में बांका का भी रेलवे पूरी तरह आ गया है। यहां से रोजाना तीन ट्रेनें तीन दिशा में जाती हैं। लेकिन सभी में अभी यात्री की संख्या 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। तेज रफ्तार से बढ़ रही बीमारी के कारण लोग अपनी यात्रा को टाल रहे हैं। इस कारण रेलवे को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

अंडाल पैसेंजर ने बचाई है जंक्शन की इज्जत

बांका से खुलने वाली अंडाल पैसेंजर में ही थोड़ी बहुत यात्री की संख्या दिखा रही है। साथ ही बांका-भागलपुर पैसेंजर सुबह बस गिनती के यात्री को लेकर आती है। शाम की फेरी में यात्रियों की संख्या दहाई तक ही रहती है। बांका- राजेंद्रनगर इंटरसिटी में भी कमोबेश यही हाल है। इंटरसिटी सप्ताह में मात्र तीन दिन ही चल रही है। इस वजह से इसमें यात्रियों की संख्या कुछ हद तक ठीक है। अंडाल का राजस्व फिलहाल रोजना 20 से 25 हजार के बीच है। जबकि बांका भागलपुर पैसेंजर चार से पांच हजार ही राजस्व दे रहा है। इंटरसिटी की टिकट आनलाइन कट रहा है। इसके राजस्व का आंकड़ा मालदा डिविजन जारी करता है।

स्टेशन पर कोविड नियम का पालन नहीं

बांका जंक्शन पर अंडाल पैसेंजर आने पर यात्रियों की कुछ संख्या रहती है। स्टेशन पर यात्री तो नजर आते हैं, लेकिन इनमें कोरोना प्रोटोकाल का कोई भी पालन करते नहीं दिखता है। मास्क व शारीरिक दूरी का पालन नहीं है। सहायक स्टेशन प्रबंधक यतींद्र कुमार सिंह ने बताया कि राजस्व के मामले में अंडाल पैसेंजर ही अभी बेहतर हैं। यात्रियों की संख्या थोड़ी बहुत कम हुई है। कोरोना का भय सभी के मन में समाया हुआ है।

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