सद्भाव : यहां हिन्‍दू सजाते हैं मुहर्रम का अखाड़ा

जगरनाथपुर पंचायत का हरिपुर गांव सामाजिक सौहार्द की अनूठी मिशाल पेश करता है।

By Edited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 01:20 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 01:25 PM (IST)
सद्भाव : यहां हिन्‍दू सजाते हैं मुहर्रम का अखाड़ा
सद्भाव : यहां हिन्‍दू सजाते हैं मुहर्रम का अखाड़ा

कटिहार (संजीव राय)। कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड के जगरनाथपुर पंचायत का हरिपुर गांव सामाजिक सौहार्द की अनूठी मिशाल पेश करता है। इस गांव में मुहर्रम का जुलूस हिन्‍दू परिवार के लोग निकालते हैं और पहलाम करते हैं। यह परंपरा यहां सौ वर्षों से अधिक समय से कायम है।

गांव के हिन्‍दू  परिवार की बड़ी आबादी रोजा रखते हैं और पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार ताजिया का जुलूस निकालते हैं। इसमें दोनों समुदाय के लोगों की सहभागिता रहती है। मुहर्रम को लेकर यहां सभी तैयारी पारंपरिक रीति के अनुसार होती है। लोग नियमानुसार अखाड़ा सजाते हैं। इमाम हुसैन के जयकारे के साथ जुलूस निकाला जाता है। निशान लेकर दोनों समुदाय के लोग सामुहिक रूप से करतब दिखाते हैं। यहां झरनी गाते हुए फातिया पढ़ा जाता है और मजार पर चादरपोशी भी की जाती है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होती है। गांव की यह अनूठी परंपरा युवा पीढ़ी को सौहार्द का संदेश देती है।

गांव में स्थित है स्व. छेदी साह का मजार
 गांव में स्थित स्व. छेदी साह की मजार से मुहर्रम का जुलूस निकालने की पुरानी परंपरा है। लोग इसे आज भी कायम रखे हुए हैं। इमाम हुसैन के जयकारे के साथ निकलने वाली ताजिया जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शरीक होती है। पूर्वजों द्वारा शुरू की गई इस परंपरा का आज भी बखूबी निर्वहन हो रहा है। ग्रामीण शंकरलाल साह, विकास कुमार साह, विभा देवी, द्रोपदी देवी, राजेन्द्र साह, अर्जुनलाल साह, राजलक्ष्मी देवी, माया देवी, कुमोद रानी, श्याम सुंदर साह, शिवजी ¨सह, राजू साह, सुंदर, दु:खन मंडल आदि लोगों ने बताया कि पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा आज दोनों समुदाय के मिल्लत की मिशाल है।

इस बार भी ताजिया जुलूस की तैयारी की जा रही है। सराहनीय है ग्रामीणों की अनूठी पहल : स्थानीय प्रमुख मनोज कुमार मंडल, पूर्व प्रमुख शाहिद अख्तर, मुखिया प्रतिनिधि उसमान गनि आदि ने बताया कि यह परंपरा न केवल सौहार्द की मिशाल पेश करता है वरन यह परंपरा इस गांव को अलग संदेश देती है। इस तरह का आयोजन क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।  कटिहार के हसनगंज प्रखंड में जगरनाथपुर पंचायत में सौ वर्षों से यह परंपरा कायम है। 

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