गंगा कटाव पीडि़त : पुनर्वास की आस में बूढ़ी हो गईं आंखें, सरकारी जमीन से कभी भी हटा दिए जाने की चिंता

गंगा नदी के कटाव के कारण विस्थापित हो गए थे सैकड़ों परिवार रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ व्यतीत कर रहे जिंदगी। सरकारी जमीन से कभी भी हटा दिए जाने की बनी रहती है चिंता। धरना-प्रदर्शन के बावजूद अब तक नहीं हुआ समस्या का समाधान।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 09:20 AM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 09:20 AM (IST)
गंगा कटाव पीडि़त :  पुनर्वास की आस में बूढ़ी हो गईं आंखें, सरकारी जमीन से कभी भी हटा दिए जाने की चिंता
रेलवे स्टेशन किनारे गंगा कटाव के बाद विस्थापितों का घर।

भागलपुर [राजेश भारती]। गंगा नदी के कटाव के कारण विस्थापित सैकड़ों लोगों की आंखें पुनर्वास की आस में बूढ़ी हो गई हैं, लेकिन उन्हें अब तक स्थाई ठिकाना नहीं मिल पाया है। विस्थापित भले ही धरना-प्रदर्शन करते रहे, लेकिन सरकारी मशीनरी इसकी अनदेखी करती रही। नतीजतन जिले में बाढ़ एवं गंगा कटाव से विस्‍थापित हुए लोग दर दर की ठोकरे खा रहे हैं। वे अपने जीवन यापन के लिए कहीं सड़क के किनारे तो कोई बांध पर जीवन काट रहे हैं। 

सन 1970 में गंगा कटाव से सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए थे। विस्थापित होने के बाद सरकार द्वारा कई गांव के लोगों को पुनर्वास के लिए जमीन मुहैया कराई, लेकिन उसमें से करीब ढाई सौ परिवार अभी भी पुनर्वास के इंतजार में हैं। ऐसे विस्थापित नारायणपुर रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ भारत सरकार की जमीन पर, मौजमा गनौल के बांध पर मधुरापुर 14 नंबर सड़क किनारे भ्रमरपुर पोखर के पास, सतियारा गांव के पास सड़क किनारे जीवन यापन कर रहे हैं। हालांकि इन विस्थापितों को हमेशा यह डर सता रहा है कि सरकार कभी भी वहां से बेघर कर सकती है। इसलिए विस्थापित लगातार पुनर्वास के लिए कभी धरना तो कभी प्रदर्शन तो कभी आवेदन, कभी मंत्री से मिलना तो कभी अधिकारी से मिलना बराबर करते आ रहे हैं, लेकिन ढाई सौ परिवारों को स्थाई ठिकाना नहीं मिल पाया है। कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों ने भी पुनर्वास के लिए प्रयास किया है, लेकिन फलाफल उतना नहीं निकला जितना निकलना चाहिए।

विस्थापित गनीमत अली, नूरजहां खातून, सोहेल अहमद, तारा देवी उषा देवी, सुगिया देवी, मुस्तरी खातुन,गीता देवी, रोशनी खातुन, शंभू दास, खुशबू खातुन, राजकुमार दास, समीदा खातुन, सितारा खातुन, संगीता देवी रियाजुल अली, रिजवान अली, पूरण दास, निसार अली, संजीदा खातुन, साबुल खातुन, राजकुमार दास, रोशनी खातुन, सगीर अली मोहम्मद इब्राहिम अली, मोहम्मद सज्जाद अली, डॉ. सुभाष कुमार विद्यार्थी, कैलाश पोद्दार, महेंद्र पोद्दार, अजय साह, राजू कसेरा, भोला कसेरा, दीपक साह, टुनटुन ठाकुर,नाजो देवी, नीतू देवी सुमित्रा देवी, ममता देवी ने बताया कि उन्हें अब तक पुनर्वास के लिए जमीन नहीं मिली है। सरकारी जमीन पर जैसे तैसे घर बनाकर रह रहे हैं। इसमें से अधिकतर आबादी नारायणपुर रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ घर बनाकर रह रही है।

80 विस्थापित परिवारों को मौजमा गांव के तरफ जमीन मुहैया कराई गई है, लेकिन जमीन में गड्ढा है और उसमें मिट्टी भराई के लिए सचिव से बातचीत हुई है। मिट्टी भराई कर दी जाएगी। अन्य विस्थापित जो भी हैं उनके लिए भी सरकारी स्तर पर प्रयास किया जाएगा। - हरिमोहन कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, नारायणपुर

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