स्मार्ट नहीं जनाब अतिक्रमण स्मार्ट कहिए Bhagalpur News

शहरी क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराने में प्रशासन आगे क्यों नहीं आता है? क्या शहर को अतिक्रमण से मुक्त कराना उनके बूते से बाहर की बात हो गई है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 02 Jul 2019 11:33 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2019 09:39 AM (IST)
स्मार्ट नहीं जनाब अतिक्रमण स्मार्ट कहिए Bhagalpur News
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भागलपुर [संजय]। ... दुर्भाग्य देखिये। अतिक्रमण होना कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन अतिक्रमण हटाना आज शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है। सुंदर शहर की सूरत को अतिक्रमण ने बिगाड़ कर रख दिया है। शहर में अतिक्रमणकारियों के बढ़ते दबदबे को कम करने की दिशा में प्रशासन की उदासीनता भारी साबित हो रही है। अब इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। आम लोगों को सड़क जाम से निजात दिलाने की दिशा में यातायात पुलिस और नगर निगम के पदाधिकारियों का आश्वासन अब खलने लगा है।

शहरी क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराने में प्रशासन आगे क्यों नहीं आता है? क्या शहर को अतिक्रमण से मुक्त कराना उनके बूते से बाहर की बात हो गई है या फिर अतिक्रमणकारियों के समक्ष सिस्टम लाचार हो चुका है? ऐसे कई सवाल उठने लगे हैं। लाजिमी है, क्योंकि कार्रवाई के अगले दिन ही सड़कों पर दुकानें सजने लगती हैं। उनकी तो जेबें गरम होती हैं पर आम इंसान की जेबें खाली हो रही हैं। घंटों जाम में फंसने से उनकी गाढ़ी कमाई धुएं में उड़ रही है। कलक्टर साहब के दफ्तर के सामने फुटपाथ पर दुकानें सजीं हैं।

हाईकोर्ट ने चाबुक चलाई तो शहर में अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया। निर्देश के बाद पूरे शहर से आनन-फानन में सड़क किनारे फुटपाथी दुकानदारों का हटाया गया। इसके दूसरे ही दिन इसी सड़क किनारे हटाए गए कुछ फुटपाथियों ने फिर अपना कब्जा जमा लिया। स्वाभाविक है जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ही शहर में अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ा है।

आखिर माजरा क्या है?

लाजपत पार्क में बैठे गुप्ता जी और शर्मा जी ने आपस में देश की राजनीति समझ रहे थे। हमने पूछ ही लिया कहा फंसे है देश के चक्कर में। शहर का हाल बुरा है। शर्मा जी बोले सब कुछ प्रशासन के इशारे पर ही हो रहा है। नहीं तो त्योहार के दौरान की व्यवस्था तो आपने भी देखी थी। शहर में न गंदगी के ढेर लगे होते है, न ही ट्रैफिक जाम और न ही कहीं अतिक्रमण। पुलिस और प्रशासन चाहे तो सालभर एक जैसी व्यवस्था रह सकती है, लेकिन नहीं। कौन माथापच्ची करे। शहर में चरमरा चुकी यातायात व्यवस्था के बीच ट्रैफिक सिस्टम की बात करना ही बेमानी है। अब लोग प्रशासन से उम्मीद छोड़ चुके हैं। परिणाम यह है कि शहर के तिलकामांझी, कचहरी चौक, खलीफाबाग, घंटाघर चौक, स्टेशन रोड सहित अन्य सड़कों पर रोज घंटों जाम में लोग फंसे रहते हैं।

अंत में..

यह शहर भी कभी तालाबों का शहर कहा जाता था। आज कइयों का अस्तित्व मिट चुका है तो कई मिटने के कगार पर हैं। जलाशयों पर अतिक्रमण को लेकर शिकायतों की भरमार है। प्रशासन की लाचारी भी जग जाहिर है। यही कारण है कि आज भू-जलस्तर गिर गया है। लबालब पानी से भरे रहने वाले भैरवा तालाब को ही ले लीजिए। वह अपनी धार्मिक मान्यताएं खो चुका है। आधे तालाब पर कब्जा हो चुका और बाकी को हथियाने में भी लोग लगे हुए हैं।

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