Pulwama Terror Attack आंखों देखी: पेड़ों व तारों से भी लटके पड़े थे शहीद, बिखर गए थे शव

जम्‍मू कश्‍मीर के पुलवामा में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्‍मद ने सीआरपीएफ के काफिले पर आत्‍मघाती हमला किया तिसमें 44 जवान शहीद हो गए। जानिए इस घटना की आंखों देखी कहानी।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 10:11 AM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 11:06 PM (IST)
Pulwama Terror Attack आंखों देखी: पेड़ों व तारों से भी लटके पड़े थे शहीद, बिखर गए थे शव
Pulwama Terror Attack आंखों देखी: पेड़ों व तारों से भी लटके पड़े थे शहीद, बिखर गए थे शव

पूर्णिया [जेएनएन]। बिहार के पूर्णिया निवासी सीआरपीएफ में एएसआइ कविंद्र मंडल उसी काफिले में शामिल थे, जिसपर पुलवामा में आतंकी संगठन 'जैश ए मोहम्‍मद' के आत्‍मघाती हमला किया था। उन्‍होंने घटना की रोंगटे खड़े देने वाली दास्‍तान सुनाई। कविंद्र के अनुसार विस्‍फोट के बाद हर ओर साथियों के टुकड़े फैले हुए थे। कई शव तो धमाके स्थल के पास पेड़ों में जाकर फंसे हुए थे तो कुछ बिजली के तारों से लटक गए थे। कविंद्र की बस उस बस से तीन वाहन पीछे थी जो धमाके की शिकार हुई।
कविंद्र ने बताया कि धमाके के बाद समझ में नहीं आ रहा था क्या हो गया। जब बस से उतरकर देखा तो हर ओर साथियों के टुकड़े फैले हुए थे। कई शव तो धमाके स्थल के पास पेड़ों में जाकर फंसे हुए थे तो कुछ बिजली तार पर। इतना कहकर भावुक हो गए कविंद्र मंडल।

आतंकियों को चुकानी पड़ेगी इसकी कीमत
मोबाइल पर जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि इस घटना को वह कभी भूल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि आंतकी कभी भी उनके मसूबों को तोड़ नहीं सकते हैं। कविंद्र ने बताया की 14 फरवरी को यह घटना 3.20 के करीब हुई। ऐसा मंजर उन्होंने कभी नहीं देखा। मोबाइल पर घटना की जानकारी देते वक्त बेशक उनका गला कई बार भर्राया पर जोश में कोई कमी नहीं थी। कहा कि आतंकियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
ट्रांजिट कैंप से कश्‍मीर के लिए हुए थे रवाना
कविंद्र नौ फरवरी को छुट्टी बिता कर रुपौली के साधुपुर गांव स्थित अपने घर से चले थे। 10 फरवरी को जम्मू स्थित ट्रांजिट कैंप पहुंचे थे। इसके बाद अपने बांदीपुरा कैंप, जो कश्मीर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है, में जाने का इंतजार करने लगे । धीरे-धीरे यहां के विभिन्न ट्रांजिट कैंप में ढाई हजार जवान जमा हो गए। वे 11, 12, 13 फरवरी तक वहां रहे। 14 फरवरी को ट्रांजिट  कैंप से बस पर सवार होकर कश्मीर के लिए रवाना हो गए। उनके साथ ट्रांजिट कैंप से और जवान वाहनों से कश्मीर के लिए चल पड़े।


बस के आगे अचानक दिखा आग का गोला, चलने लगीं गोलियां
काफिले में 78 वाहन शामिल हो गए। वे पुलवामा के अवंतिपुरा के पास लिथपुरा हाईवे से गुजर रहे थे। कविंद्र काफिले के आगे से आठवीं बस में सवार थे। तभी उन्हें अपनी बस के आगे एक आग के बड़ा गोला के साथ भयानक धमाका सुनाई पड़ा। धमाका इतना जबरदस्त था कि पीछे चल रही बसें भी हिल गईं। जबतक वे कुछ समझ पाते, सड़क किनारे घरों की ओर से गोलियां चलने लगीं।
हर ओर बिखरे पड़े थे मानव अंग, बयां करने वाला नहीं है दृश्‍य
वे लोग तुरंत मोर्चा संभालते हुए बस से उतरे। बस से उतरने के साथ ही जो दृश्य देखा, वह बयां करनेवाला नहीं है। उनके आगे चल रही चौथी बस बर्बाद हो गई थी। आगे-पीछे की गाडियां क्षतिग्रस्त हो गई थीं। हर ओर मानव अंग बिखरे पड़े थे।
चाहे कुछ भी हो, कभी पूरे नहीं होने देंगे आतंकियों के मंसूबे
बातचीत के दौरान कविंद्र कई बासर भवुक हुए, लेकिन उनकी दृढ़ता कम नहीं दिखी। बताया कि घायल जवानों को देख सभी जवानों ने तत्काल बचाव एवं राहत कार्य शुरू किया। इस घटना को सीआरपीएफ हमेशा याद रखेगी। आतंकियों व अन्‍य देश विरोधी तत्‍वों के मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे। चाहे इसके लिए कितनी भी कुर्बानी क्‍यों नहीं देनी पड़े।

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