Corona winner : कोरोना को मात दे रहे बच्चे, JLNMCH में बच्चों के ठीक होने की दर 100 फीसद

Corona winner जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कोरोना संक्रमित बच्चों के ठीक होने का दर 100 फीसद है। साथ ही इनमें वायरस का कोई लक्षण भी नहीं मिला।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 09:15 AM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 09:15 AM (IST)
Corona winner : कोरोना को मात दे रहे बच्चे, JLNMCH में बच्चों के ठीक होने की दर 100 फीसद
Corona winner : कोरोना को मात दे रहे बच्चे, JLNMCH में बच्चों के ठीक होने की दर 100 फीसद

भागलपुर [रजनीश]। Corona winner : सूबे के तीसरे बड़े जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल में तीन महीने के अंदर 65 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। राहत भरी बात यह है कि इनमें बच्चे नहीं शामिल हैं। यहां से अब तक 35 संक्रमित बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।

स्वस्थ होने वाले बच्चों के रिकॉर्ड जुटाए जा रहे हैं। संक्रमित बच्चों की उम्र शून्य से लेकर 13 वर्ष है। जेएलएनएमसीएच, भागलपुर में कोरोना संक्रमित बच्चों के ठीक होने का दर 100 फीसद है। साथ ही इनमें वायरस का कोई लक्षण भी नहीं मिला। इससे उत्साहित चिकित्सक इस पर शोध करने का भी मन बना रहे हैं। अस्पताल में मई से लेकर 12 अगस्त तक कटिहार, खगडिय़ा, मुंगेर और भागलपुर के 35 कोरोना संक्रमित बच्चों को भर्ती कराया गया था। इन बच्चों ने छह से सात दिनों में कोरोना से जंग जीत ली है।

बच्चों में अधिक होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता : अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि कोरोना वायरस मां के दूध में नहीं पाया, लेकिन मां के खांसने-छींकने से एरोसेल के माध्यम से यह फैलता है। इस वायरस से लड़ाई में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहती है। मां के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। अगर मां कोरोना पॉजिटिव है तो वह मास्क लगाकर बच्चे को स्तनपान करा सकती है।

मुंगेर के 12 वर्षीय बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जेएलएनएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में उसका दस दिन तक इलाज चला। इसके बाद दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वहीं, खगडिय़ा का आठ वर्षीय बच्चा भी जुलाई के आखिरी सप्ताह में स्वस्थ्य होकर घर चला गया।

12 अगस्त को शाहकुंड प्रखंड की एक प्रसव पीडि़त महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। महिला ने एंबुलेंस में ही नवजात बच्चे का जन्म दिया। इसके बाद बच्चे का सैंपल लिया गया। बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। चिकित्सक ने मां का दूध पिलाने में रोक नहीं लगाई। बच्चे पूरी तरह स्वस्थ है।

बच्चों में कोरोना से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की अपेक्षा ज्यादा होती है। इस कारण बच्चों में जोखिम होने की संभावना कम होती है। यहां आने वाले सभी बच्चे स्वस्थ होकर घर चले गए हैं। - डॉ. खलील अहमद, शिशु रोग विशेषज्ञ, जेएलएनएमसीएच

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