सृजन घोटाला : मनी सूट दायर करेंगे सिविल सर्जन Bhagalpur News

सृजन घोटाला मामले में पूर्व सिविल सर्जन डॉ. उदय शंकर चौधरी को स्वास्थ्य विभाग ने दंडित किया है। उनके वार्षिक वेतन वृद्धि पर स्वास्थ्य विभाग ने रोक लगा दी है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 24 Jul 2019 01:40 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jul 2019 05:29 PM (IST)
सृजन घोटाला : मनी सूट दायर करेंगे सिविल सर्जन Bhagalpur News
सृजन घोटाला : मनी सूट दायर करेंगे सिविल सर्जन Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। सृजन घोटाला के मामले में सिविल सर्जन मनी सूट दायर करेंगे। स्वास्थ्य विभाग से 40 लाख 75 हजार 483 रुपये सृजन में जाने की जानकारी मिली है। निलाम पत्र वाद बैंक के विरुद्ध दायर किया गया है। डीएम ने सिविल सर्जन को मनी सूट दायर करने के लिए सरकारी अधिवक्ता से मन्तव्य प्राप्त करने का निर्देश दिया है।

सृजन घोटाला मामले में पूर्व सिविल सर्जन डॉ. उदय शंकर चौधरी को स्वास्थ्य विभाग ने दंडित किया है। उनके वार्षिक वेतन वृद्धि पर स्वास्थ्य विभाग ने रोक लगा दी है। पूर्व सिविल सर्जन डॉ. चौधरी पर बैंक द्वारा 40 लाख 75 हजार 483 रुपये की सरकारी राशि का गबन कर सृजन महिला विकास संस्थान के सबौर खाते में जमा किए जाने व उक्त राशि का दुरुपयोग करने का आरोप है।

सिविल सर्जन ने बताया कि मामला उजागर होने के बाद तत्कालीन सिविल सर्जन के विरूद्ध आरोप गठित कर भेजा गया है। उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही हैं। हालांकि, जांच कर रही टीम की रिपोर्ट में उन पर आरोप प्रमाणित नहीं हुआ है। इस रिपोर्ट से असहमत होते हुए विभाग ने चौधरी से दूसरी बार पांच दिसंबर 2018 को स्पष्टीकरण मांगा था। विभागीय कार्रवाई के तहत रोकड़पाल निलंबित कर दिया गया है।

कब गई सृजन के खाते में राशि

12 सितंबर 2017 को सृजन में स्वास्थ्य विभाग की राशि जाने की बात सामने आई थी। शुरुआती तफ्तीश में विभाग के एक करोड़ रुपये सृजन के खाते में जाने की बात सामने आई थी। दिसम्बर 2016 में स्वास्थ्य विभाग के रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते के बजाय सृजन के खाते में जमा कर दिए गए थे। घोटाले को एसएसपी द्वारा गठित एसआइटी ने उजागर किया था। तब सौ करोड़ रुपये सृजन में जमा होने की बात कही जा रही थी।

सृजन घोटाले में पीपी ने डीएम को दिया मंतव्य

सृजन घोटाले में रघुनंदन ठाकुर से संबंधित एक मामले में जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने लोक अभियोजक से मंतव्य मांगा था। इस संबंध में लोक अभियोजक ने कहा है कि उक्त मामले में अभियोजन का होना जरूरी है। लोक अभियोजक ने उक्त रिपोर्ट डीएम के पास भेज दी है।

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