भागलपुर में नहीं थम रहा बम धमाका, तीन दशक पूर्व भागलपुर के तत्‍कालीन एसपी आइपीएस एमवी राव पर हुआ था बम से हमला

भागलपुर में बम धमाके की कहानी नई नहीं है। पहले भी यहां पर बम धमाके होते रहे हैं। तीन दशक पूर्व तत्‍कालीन एसपी एमवी राव पर अपराधियों ने बम से हमला किया था। इस दौरान फायरिंग में एसपी के सुरक्षा गार्ड की...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 18 Dec 2021 02:49 PM (IST) Updated:Sat, 18 Dec 2021 02:49 PM (IST)
भागलपुर में नहीं थम रहा बम धमाका, तीन दशक पूर्व भागलपुर के तत्‍कालीन एसपी आइपीएस एमवी राव पर हुआ था बम से हमला
भागलपुर के तत्‍कालीन एसपी रहे एमवी राव।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। घातक बमों से जरायम की बादशाहत कायम करने वाले कुख्यातों ने कभी सिल्क सिटी को वर्षों से अशांत कर रखा था। इनायतुल्ला अंसारी के दाहिने हाथ रहे सामू मियां समेत 14 अपराधियों की मुठभेड़ में नाथनगर इलाके में मारे जाने के कुछ दिनों बाद भड़के 1989 के भागलपुर दंगे के बाद भागलपुर में एएसपी के रूप में कमान संभालने वाले कड़क मिजाज आइपीएस एमवी राव मोहल्ले की तंग गलियों में आतंक मचाने वाले बदमाशों को ढूंढ-ढूंढ कर उन्हें मुंह के बल लाने में कामयाब हुए थे।

उस समय कुख्यात सल्लन और इनायतुल्ला अंसारी गिरोह के बमबाजों ने आतंक मचा रखा था। सल्ल्न मियां और उसके गुर्गे शहरी इलाके में अपने बमबाज दस्ते कहर बरपा रहे थे। 1990 के उस दौर में दोपहर को एमवी राव को सूचना मिली थी कि तातारपुर के जब्बारचक स्थित घर पर ही सल्लन मियां अपने गिरोह के सहयोगियों के साथ बड़ी वारदात की योजना बना रहा है। सूचना पर बिना देर किये तब राव गोरखा निशानेबाज सिपाहियों की टोली लेकर जब्बारचक पहुंच सल्लन के किलेनुमा घर को घेर लिया था।

तबके दौर में सल्लन और अंसारी जहां भी डेरा डालते, उनके गुर्गों का काफी सख्त पहरा हुआ करता था। तब जब्बारचक स्थित कलंदर शाह दरगाह के पास ही सतर्क सल्लन के गुर्गों को इस बात का एहसास हो गया था कि पुलिस की रेड पडऩे वाली है।

पुलिस को देखते ही गुर्गे ने आवाज दी थी, बाबा को बोल मामू लोग पहुंच गया है

कहा जाता है कि तब उन्हीं सतर्क गुर्गों में किसी ने जोर से चिल्लाया था कि बाबा को बोल मामू लोग पहुंच गया हो... इस बीच एएसपी राव सल्लन की मांद में घुसकर ललकार चुके थे। चंद मिनटों की शांति के बाद ही छत से एक के बाद एक तीन घातक डब्बा बम फेंके गए। बमबाजों के निशाने पर एमवी राव ही थे। धमाका इतना शक्तिशाली था कि तब आसपास गहरा धुुंध छा गया था।

बमों से हुए हमले से बचते हुए गोरखा सिपाहियों ने भी मोर्चा संभाल एसएलआर से जवाबी फायरिंग कर दी। राव सबसे आगे अपने सर्विस रिवाल्वर लिए बदमाशों को ललकार निशाना बनाने की कोशिश करने लगे। बमों के तीन धमाकों के बाद भी पुलिस की जवाबी कार्रवाई नहीं रुकी थी। सल्लन के साथ तब प्यारो मियां, ऐंचा लल्लू समेत पांच अपराधी पुलिस से मुठभेड़ कर रहे थे।

बमों का हमला बेकार होता देख तब सल्लन और उसके साथियों ने छत की ओट से गोलियां भी चलाने लगे। उस दौरान एमवी राव ही बदमाशों के निशाने पर थे। चली गोलियों में एक गोली राव के अंगरक्षक गोरखा लच्छु छत्री के सीने में जा लगी थी। अंगरक्षक लच्छु की मौत तब मौके पर ही हो गई थी। उधर, सल्लन समेत अन्य बदमाश जब्बारचक में दूसरे रास्ते से भाग निकले थे। मुठभेड़ की घटना को लेकर सल्लन, प्यारू, लल्लू समेत कई नामजद किये गए।

घटना के एक साल बाद ही हुसैनपुर के पाकीजा चौक पर सल्लन मियां की हत्या कर दी गई थी। प्यारू मियां की मौत जेल में सजा काटने के दौरान गंभीर बीमारी से हो गई जबकि 20 साल की सजा काट कर जेल से निकले लल्लू की मौत दिल का दौरान पडऩे से छह माह पूर्व हो चुकी है। एमवी राव की भागलपुर में दूसरी तैनाती एसपी के रूप में हुई। कार्यकाल छोटा था, फिर झारखंड चले गए। झारखंड में डीजीपी पद संभालते हुए भी अपनी सख्ती के लिए चर्चित राव किसी दवाब में नहीं आए। सेवानिवृत हो पैत़क गांव विजयवाड़ा चले गए।  

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