बिहार: 20 लाख की आबादी वाले जमुई के शहरी क्षेत्र में मात्र 99 ST, 16 वार्डों में इनकी संख्या शून्य
बिहार में लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग की जा रही है। वजह राजनीतिक चश्मे से कई हैं लेकिन जमुई से जो खुलासा हुआ उससे ये भी लगता है कि अब भी शहरी चकाचौंध से अनुसूचित जनजाति (ST- scheduled tribes) के लोग दूर हैं। शहर में मात्र 99...
आशुतोष सिंह,जमुई : आजादी के सात दशक बाद भी जमुई जिले के अनुसूचित जनजाति (ST- scheduled tribes) के लोगों की पहुंच शहरों तक नहीं हो पाई है। इस बात का खुलासा जमुई नगर परिषद द्वारा जारी मतदाता सूची से हुआ है। लगभग 20 लाख की आबादी वाले जमुई जिले में मात्र 99 अनुसूचित जाति के लोग ही जमुई शहर में रह रहे हैं। शहर के 30 वार्ड में से मात्र 14 वार्ड में ही अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। मानें 16 वार्ड ऐसे हैं, जहां इनकी संख्या शून्य है। 30 वार्डों में मात्र 99 एसटी निवास कर रहे हैं। प्राप्त आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि आज भी अनुसूचित जाति के लोगों की पहुंच शहरी आबादी तक नहीं है।
जमुई जिले के 10 प्रखंडों में से खैरा, सिकंदरा, चकाई, सोनो, बरहट व लक्ष्मीपुर प्रखंड में अनुसूचित जनजाति की आबादी अच्छी है। फिर भी शहरों तक इनकी पहुंच नहीं के बराबर है। नगर परिषद क्षेत्र जमुई में कुल मतदाताओं की संख्या 87 हजार 358 है, उनमें अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या मात्र 99 है। जबकि अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या 69 हजार 412 है। यूं तो जमुई नगर परिषद क्षेत्र में जिले भर के लोग घर बना कर रह रहे हैं। लेकिन उनमें अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या नहीं के बराबर है।
आखिर क्यों?
इसके पीछे शिक्षा व जागरूकता का अभाव, शहरी परिवेश से अनुसूचित जनजाति के लोगों की सक्रियता नहीं के बराबर होना है। खासकर जंगली इलाके में रहने वाले जनजाति शहरी परिवेश को आजादी के सात दशकों बाद भी नहीं अपना पा रहे हैं। यही कारण है कि लोग आज भी सुविधाओं से युक्त शहरों से दूर रहने को वाध्य हैं।
आधुनिक रहन सहन से इनका कोई लेना देना नहीं- समाजसेवी
मामले पर जमुई के समाज सेवी पंकज सिंह ने कहा, 'जीविका के क्षेत्र में भी अनुसूचित जनजाति के लोगों ने अपनी जीविका के मूल आधार को अभी तक नहीं छोड़ा है। वे आज भी जंगल तथा जमीन से जुड़े कार्यों को ही जीविका का मुख्य आधार बनाए हुए हैं। यही कारण है कि लंबे समय बाद भी अनुसूचित जनजाति के लोगों की जीविका पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। अभी भी उनका आधुनिक रहन सहन से कोई लेना देना नहीं है। वे आज भी अपने ग्रामीण क्षेत्रों में ही खुश हैं। इस कारण अनुसूचित जनजाति का एक बड़ा हिस्सा शहरों से दूर हैं।'
नप में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का आंकड़ा
वार्ड नंबर- 01 में अनु. जन. मतदाता मात्रा 14 हैं। इसी तरह वार्ड- 05 में 06, वार्ड-06 में 12, वार्ड-07 में 10, वार्ड-08 में 06, वार्ड-09 में 05, वार्ड-12 में 18, वार्ड-13 में 06, वार्ड-15 में 01, वार्ड-18 में मात्र 01, वार्ड-19 में मात्र एक, वार्ड 22 में 06, वार्ड-25 में 07,वार्ड-26 में 01, वार्ड-29 में मात्र 02।