Bihar Assembly Elections 2020 : चुनावी जंग में निर्णायक हो सकते हैं प्रवासी

Bihar Assembly Elections 2020 कोरोना काल में काफी संख्‍या में प्रवासी यहां आए हैं। इस बार प्रवासियों के वोट चनाव नतीजे को प्रभावित करने वाले होंगे।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 02 Sep 2020 03:18 PM (IST) Updated:Wed, 02 Sep 2020 03:18 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 :   चुनावी जंग में निर्णायक हो सकते हैं प्रवासी
Bihar Assembly Elections 2020 : चुनावी जंग में निर्णायक हो सकते हैं प्रवासी

भागलपुर [संजय सिंह]। Bihar Assembly Elections 2020 : आगामी विधानसभा चुनाव में छोटे-मोटे मुद्दे तो अक्सर उठाए जाते हैं, लेकिन इस बार चुनाव से पूर्व पक्ष और विपक्ष प्रवासियों को रिझाने के लिए रोजगार को अहम मुद्दा बना रहा है। सत्ता पक्ष जहां विभिन्न माध्यमों से दिए जा रहे रोजगार को गिना रहा है तो विपक्ष बेरोजगारी को लेकर सरकार पर हमला बोल रही है।

पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के 13 जिलों में कोरोना काल के दौरान लगभग छह लाख मजदूर विभिन्न प्रदेशों से लौटे। इनमें से 40 फीसद मजदूर रोजगार की तलाश में फिर परदेस लौट चुके हैं। बाकी बचे प्रवासी किसी प्रकार मजदूरी कर, मछलियां मारकर या कुछ छोटा-मोटा काम कर रोटी कमा रहे हैं। ऐसे लोगों को रोजगार की सख्त जरूरत है। कुछ दिनों तक इन्हें मनरेगा के तहत काम भी दिया गया, लेकिन अधिकांश जिलों में फिलवक्त मनरेगा के तहत अब ऐसे लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। सरकार ने बेरोजगार हुए प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कई तरह के प्रशिक्षण की व्यवस्था की थी। मछली पालन, बांस से विभिन्न प्रकार के शिल्पों का निर्माण आदि के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई। नल-जल योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना, जल जीवन हरियाली अभियान आदि के तहत इन्हें रोजगार दिए जा रहे हैं। कुछ को रोजगार के लिए बैंकों से लोन दिलवाने की बात भी कही गई है। बैंकों ने नाममात्र के प्रवासियों को लोन दिया है। लखीसराय के सुफला तांती और कटिहार के रवींद्र यादव ने बताया कि कोरोना काल में लौटने के बाद उन्हें क्वारंटाइन सेंटर पर रखा गया। जाते समय उन्हें हजार रुपये दिए गए। तीन महीनेे के खाद्यान्न की भी जन वितरण प्रणाली के विक्रेता के पास व्यवस्था की गई। व्यवस्था अच्छी थी और प्रवासियों को इससे काफी राहत मिली। वहीं, मुंगेर के रामदरश महतो और अररिया के पन्ना राय का कहना है कि रोजगार की व्यवस्था नहीं हुई। एक हजार रुपये से कितने दिन काम चलेगा। जब तक लोगों को स्थायी रोजगार नहीं मिलेगा, तक तक प्रवासियों को घर-बार छोड़कर बाहर ही भटकना होगा। बांका जिले के बेहलर के राजद विधायक रामदेव यादव ने कहा कि प्रवासी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रशासनिक स्तर पर काम जारी है। मजदूरों की दक्षता के आधार पर सूची तैयार की जा रही है। कई विभागों को मिलाकर रोजगार देने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसका परिणाम जल्द ही दिखने लगेगा। - रविशंकर प्रसाद, जिला प्रबंधक, जिला पंजीकरण सह परामर्श केंद्र, अररिया

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