TMBU : शोध छात्रों से डीआरसी के नाम पर घूस मांगने का आरोप, ऑडियो वायरल

TMBU वायरल ऑडियो में एक शोध छात्रा और शोध छात्र के बीच मोबाइल पर बात हो रही है। पीजी ग्रामीण अर्थशास्त्र एवं सहकारिता प्रबंधन विभाग का मामला। छात्रों ने डीएसडब्ल्यू से की शिकायत। इस पर विवि के अधिकारियों ने यह कहा।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 09:58 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 09:58 AM (IST)
TMBU : शोध छात्रों से डीआरसी के नाम पर घूस मांगने का आरोप, ऑडियो वायरल
तिमांविवि में लगातार अनियमितता उजागर हो रही है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में शोध छात्रों से (डीआरसी) के नाम पर घूस मांगने का मामला सामने आया है। इससे जुड़ा एक ऑडियो शनिवार को इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ है। इस शिकायत के साथ ग्रामीण अर्थशास्त्र एवं सहकारिता प्रबंधन विभाग के दो शोध छात्र सोमवार को डीएसडब्ल्यू डॉ. राम प्रवेश सिंह से मिले।

दो छात्रों के बीच हो रही बातचीत

वायरल ऑडियो में एक शोध छात्रा और शोध छात्र के बीच मोबाइल पर बात हो रही है। छात्रा द्वारा बताया गया कि विभाग का कर्मी सन्नी और रविंद्र शोधार्थियों से रुपये की मांग करता है। छात्रा विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्र प्रकाश सिंह पर भी आरोप लगा रही है। इस ऑडियो में एक शिक्षक का भी नाम लिया जा रहा है, जो रुपये लेकर डीआरसी देते हैं। इसके अलावा ऑडियो में और भी कई गंभीर आरोप लगाते हुए दोनों के बीच बातें हो रही हैं। छात्रा के मुताबिक रुपये देने के बाद उनका डीआरसी क्लियर कर दिया गया। इसके पहले बार-बार उन्हें लौटाया जा रहा है। हालांकि इस आरोप से कर्मी सन्नी ने इन्कार किया है।

प्रभारी कुलपति से करेंगे शिकायत

शिकायत लेकर पहुंचे शोधा छात्र उत्तर और दिलीप ने कहा कि उन्होंने 2013 में पीआरटी की परीक्षा पास की थी। 2018-19 में रिसर्च मैथडोलॉजी की कक्षा पूरी क, जिसका प्रमाण पत्र भी विभाग से मिला है। अब विभागाध्यक्ष उनका शोध प्रस्ताव वापस कर डीआरसी की अनुमति नहीं दे रहे हैं। छात्रों का दावा है कि उनके अलावा ऐसे अन्य छात्रों को डीआरसी कराया जा रहा है। उन्होंने इसकी शिकायत प्रभारी कुलपति और सीसीडीसी से करने की बात कही है।

काम नहीं हुआ तो लगाया गलत आरोप

इस मामले में विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि दोनों छात्रों का काम नहीं हुआ तो उन लोगों ने आरोप लगाना शुरू कर दिया। सारे आरोप निराधार हैं। दोनों छात्रों ने वर्ष 2013 में पीआरटी की परीक्षा पास की थी। इस कारण अनुमति नहीं दी जा सकती है। उनके मुताबिक 10 फरवरी को उनका विभागाध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल पूरा हो जाएगा। ऐसे में साजिश के तहत ऐसा किया गया है।

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