कहां गुम हो गई चंपा : हम भागलपुर के नागरिक सौगंध खाते हैं कि..

दैनिक जागरण की ओर से चलाया जा रहा अभियान कहां गुम हो गई चंपा के तहत नाथनगर के ललमटिया चौक से चंपा पुल के समीप नदी के तट तक जागरुकता रैली निकाली गई। रैली में हजारों लोग शामिल थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 27 Nov 2019 02:33 PM (IST) Updated:Wed, 27 Nov 2019 02:33 PM (IST)
कहां गुम हो गई चंपा :  हम भागलपुर के नागरिक सौगंध खाते हैं कि..
कहां गुम हो गई चंपा : हम भागलपुर के नागरिक सौगंध खाते हैं कि..

भागलपुर [जेएनएन]। ऐसा नजारा कभी-कभी ही दिखता है, जब जनसमूह किसी सामाजिक मुद्दे पर संकल्प भाव की पराकाष्ठा को छूने लगे। चंपा नदी को बचाने की मुहिम में लोग बुधवार को सड़क पर उतरे तो उनके चेहरों पर झलक रहा दृढ़ संकल्प यही बयां कर रहा था।

हम भागलपुर के नागरिक सौगंध खाते हैं कि पौराणिक नदी चंपा को नवजीवन देने की दिशा में उठाए जाने वाले हर प्रयास को संपूर्ण सहयोग देंगे..। लोग शपथ ले रहे थे। यह क्षण भावविह्वल कर देने वाला था। लोगों की आंखें छलक आई थीं। चंपा नदी के पुनर्जीवन के लिए नाथनगर में पूरा भागलपुर उमड़ पड़ा था। एक नदी को बचाने का आंदोलन। दैनिक जागरण ने ‘कहां गुम हो गई चंपा’ का सवाल उठाते हुए अभियान शुरू किया तो लोग जुड़ते गए और समाज इसे एक नया जीवन देने की मुहिम में उठ खड़ा हुआ। इसी कड़ी में विभिन्न संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्रओं ने रैली निकाली। नाथनगर में जवाहर टॉकीज से लेकर चंपा नदी पुल तक लंबी कतार। एक जत्था आगे बढ़ता नहीं कि नारे लगाता दूसरा जत्था-चंपा को बचाना है। बच्चों का जोश तो देखते बनते था।

रैली का एक छोर चंपा नदी तो दूसरा मदनी चौक पर। ढाई-तीन किलोमीटर की लंबी रैली। लोगों का हुजूम सुबह से जुटने लगा था। हाथों में बैनर, तख्तियां। नाले में तब्दील हो चुकी चंपा को बचाने के लिए बच्चों ने स्लोगन लिखे थे। उनकी अपील कि सबसे पहले इसे नाला कहना बंद करें। ड्रम बज रहे थे, बैंड बाजा भी था, नारे भी। क्या छोटे, क्या बड़े सबकी जुबां पर बस चंपा ही चंपा। हर धर्म-समुदाय के लोग इस मुहिम में साथ-साथ, क्योंकि सवाल जल ही जीवन का था। महिलाएं भी पीछे नहीं थीं। बुलंद आवाज में नदी को जीवन देने का संकल्प। रैली जा रही थी, लोग बच्चों को पानी दे रहे थे। नदी पुल के छोर पर एक छोटी सी दुकान। दुकानदार बिस्कुट और चिप्स लेकर निकलता है, उन बच्चों को बांटता है, जो आज एक बड़े अभियान के अगुआ के रूप में सामने आए हैं। यहां खड़े प्रमोद शर्मा कहते हैं, चंपा के लिए पहली बार यह हुजूम देखा है। अब उम्मीद बंध गई है कि चंपा की खोई पहचान लौट सकेगी।

रैली ललमटिया चौक से पीपरपांती, सुभाष चौक, केबी लाल रोड, मनसकामना नाथ चौक, नाथनगर थाना चौक, चंपानगर चौक व मदनीनगर चौक होते हुए चंपा पुल तक पहुंची। इस रैली को सुबह 10.30 बजे एसएसपी आशीष भारती, तिमांविवि के निदेशक छात्र कल्याण डॉ. योगेंद्र, दैनिक जागरण के राज्य संपादक मनोज झा, भागलपुर दैनिक जागरण के महाप्रबंधक राजाराम तिवारी, भागलपुर दैनिक जागरण संपादकीय प्रभारी अश्विनी कुमार ने रवाना किया। इसमें गणपतराय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर, एलिमेंट्री स्कूल, सेंट पॉल स्कूल, नोपानी सरस्वती विद्या मंदिर, सीपीएस स्कूल सुजापुर, इंटर स्तरीय बालिका उच्च विद्यालय, गुरुकुल और सुखराज राय विद्यालय समेत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राओं की सहभागिता रही। 

चंपा को बचाने सड़क पर उतरा शहर

चंपा की रुलाई देख शहर जैसे कांप उठा हो। एक हलचल। चंपा नहीं रही तो कल क्या होगा। जल बिन कैसी सभ्यता, कैसा समाज। संवेदना ने जैसे झकझोर दिया हो और बुधवार को हजारों लोग सड़क पर उतर आए।

इनमें बच्चे थे, युवा, बुजुर्ग और महिलाएं भी, जिन्हें चंपा की चिंता सता रही थी। उस नदी की, जिसे नाले में तब्दील कर दिया गया हो। हजारों लोगों की रैली यह भरोसा दिला रही थी कि इसकी अविरल धारा फिर लौटेगी। नई पीढ़ी भी बिहुला विषहरी और चांदो सौदागर की गाथा की साक्षी रही इस नदी को जान पाएंगे।

इसके जल से कतरनी धान फिर लहलहाएगा। तिल-तिल कर मर रही चंपा को बचाने के लिए ग्रामीणों ने इसी संकल्प के साथ शपथ ली। दैनिक जागरण के अभियान कहां गुम हो गई चंपा का पड़ाव इस नदी का ही तट था, जहां समाज के हर तबके के लोग जुटे। सभी के जेहन में चंपा नदी को पुनर्जीवित करने की कसक। रैली के बाद एक संकल्प सभा भी हुई।

 

समाजसेवी आलोक पाठक ने कहा कि चंपा को पुराने स्वरूप में लाने के लिए समाज को एकजुट होना होगा। सभी वर्ग और समुदाय आगे बढ़ें। तभी चंपा का वास्तविक फलक देखने को मिलेगा। मंच संचालन कर रहे देवाशीष बनर्जी ने कहा कि हमें नदी के प्रति जिम्मेवारी की समझ पैदा करनी होगी। जब तक आप और हम जागरूक होकर शांतिपूर्ण आंदोलन नहीं करेंगे, संस्कृति को बचाया नहीं जा सकता। जागरण ने लोगों में चंपा के प्रति सोच पैदा की है, इसे आगे बढ़ाना समाज की जवाबदेही है। सार्वजनिक पूजा समिति के अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि यह बहुत बड़ी मुहिम है, जिसमें सब साथ हैं। पूरा समाज आज चंपा के लिए खड़ा है। इसकी रफ्तार रुकने न पाए।

चंपा नाला नहीं, नदी कहिए साहब

चंपा नदी को पुनर्जीवित करने को नाथनगर के कई स्कूलों जुलूस निकालने के लिए एकत्र हुए थे। बच्चों के जुलूस को रवाना करने के लिए बतौर अतिथि एसएसपी आशीष भारती भी पहुंचे। झंडी दिखाने के पहले जुलूस के बारे में वे जानकारी ले रहे थे। तभी अचानक उन्होंने चंपा नदी को चंपा नाला कह दिया। इतना सुनते ही सामने खड़े व्यक्ति ने झट से टोका, कहा अब चंपा नाला नहीं, चंपा नदी कहिए। हालांकि, एसएसपी ने खुद को सुधारते हुए कहा हम सभी चंपा नदी के लिए ही जुटे है।

तारकेश्वर झा ने कहा कि कभी चंपा नदी के पानी से आसपास के इलाकों के लोग खेती करते थे। चंपा में सालों भर पानी रहता था। अब यह सूख गई है। इसे फिर से अविरल करने के लिए समाज को एक साथ खड़ा होना होगा। शंभू चौधरी ने इस अभियान को जारी रखने का संकल्प लिया। समाजसेवी वसारुल हक ने कहा कि मानसून के आगमन से चंपा नदी का रूप देखते बनता था। चंपा में सालों भर पानी रहता था। पर, अब इसे नजर लग गई। इसे फिर से पुनर्जीवित करने की जरूरत है।

बच्चों ने कहा: चंपा! हम तुम्हें बचाने आ गए

दानवीर कर्ण की धरती पर बुधवार को हजारों की संख्या में बच्चे सड़क पर उतरे और पूर्वजों की विरासत चंपा नदी के अस्तित्व को बचाने का संकल्प लिया। उनमें जोश कूट-कूट कर भरा था। आवाज में बुलंदी थी। हाथ हवा में लहरा रहे थे और आत्मविश्वास से भरे नारे गूंज रहे थे-चंपा! हम तुम्हें बचाने आ गए। छात्र-छात्रओं का हुजूम विभिन्न मोहल्लों से होता हुआ चंपा नदी की ओर बढ़ रहा था। वे उस चंपा किनारे जा रहे थे, जो नाले में तब्दील हो चुकी है।

ललमटिया चौक नाथनगर से शुरू हुई संकल्प रैली में हर किसी के चेहरे पर दृढ़ इच्छाशक्ति और उत्साह की झलक साफ दिख रही थी। हाथों में तख्तियां, उस पर लिखे स्लोगन। चंपा नदी को बचाना है, खुद के साथ बीमार धरती को बचाना है। चंपा नदी को बचाओ जैसे नारों से नाथनगर ही नहीं, भागलपुर भी गूंज रहा था।

लोगों ने भरा जोश : जिस रास्ते से यह जागरुकता रैली गुजर रही थी, सड़क किनारे खड़े लोग भी उनमें जोश भर रहे थे। हर ओर बस चंपा की ही चर्चा। एक ही सवाल कहां गुम हो गई चंपा? बच्चों ने लोगों को झकझोर दिया था। स्कूली बच्चों की यह जागरुकता रैली नाथनगर के ललमटिया चौक शुरू हुई। यहां से पीपरपांती, सुभाष चौक, केवी लाल रोड़ होते हुए, मनसकामनानाथ, घोषी टोला, थाना चौक, चंपानगर चौक, मदनीनगर से चंपा पुल होते हुए नदी तट पर संपन्न हुई। रैली का विहंगम दृश्य हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। बच्चे चंपा के तट पर पहुंचे, उसे निहारा। उनकी पीड़ा भी दिख रही थी कि नदी की यह दुर्दशा! उन्होंने यहां एक संकल्प लिया कि नदी के पुनर्जीवन में अपना योगदान देंगे। अब वे यहां कूड़ा-कचरा नहीं फेंकने देंगे। यह अभियान जारी रहेगा। इससे पहने ललमटिया ओपी के पास रैली को वरीय आरक्षी अधीक्षक आशीष भारती, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के निदेशक छात्र कल्याण डॉ. योगेंद्र, जिप सदस्य आलोक, सामाजिक कार्यकर्ता जियाउर्ररहमान, दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक (बिहार) मनोज झा, भागलपुर यूनिट के महाप्रबंधक राजाराम तिवारी एवं संपादकीय प्रभारी अश्विनी ने झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया।

नागरिक समाज को जागरण का आभार

दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक (बिहार) मनोज झा ने कहा कि लोगों को यह सोचना चाहिए कि हमने क्या किया? जनप्रतिनिधियों से सड़क, लाइट और नल मांगते हैं। पर, कभी चंपा नदी के जीर्णोद्धार की बात नहीं की। इस अभियान में जागरण के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चंपा नदी के दर्द से अवगत हो गए है। इस नदी को फिर से पुनर्जीवित करने की बात जल संसाधन मंत्री ने कही है। इसके बाद सभी को चंपा को बचाने की शपथ दिलाई। दैनिक जागरण, भागलपुर के महाप्रबंधक राजाराम तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि चंपा नदी के पुनर्जीवन के प्रयास में सब साथ हैं। इसका सुखद परिणाम निश्चित रूप से मिलेगा।

मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर लोगों को किया जागरूक

चंपा नदी के अस्तित्व की लड़ाई में बुधवार को नाथनगर की सड़कों पर स्कूल और शैक्षणिक संस्थान के बच्चों ने जोरदार आवाज बुलंद की। रैली से पहले इंटरस्तरीय बालिका विद्यालय की छात्रओं ने मोहल्लों में भ्रमण किया। विद्यालय के आसपास घोषीटोला, सुजापुर व अनाथालय मार्ग में पांच सौ से अधिक छात्रओं ने घूम-घूमकर लोगों को जागरुक किया। चंपा नदी को बचाना है और इसकी धारा को वापस लाना है के नारे लगाकर इसके महत्व बताया।

‘बहुत हुआ चंपा नदी का दोहन, अब लौटा दो, लौटा दो इसकी अविरल धारा’ के नारे लगाती छात्रएं लोगों को झकझोर रही थीं। इसके बाद यह जत्था रैली में शरीक हो गया।

जल संरक्षण के बिना नहीं है कोई जीवन: नाथनगर के एलिमेंट्री स्कूल के सचिव राजेश कुमार शुक्ल, प्राचार्य ब्रजेश कुमार शुक्ल ने कहा, यह जल संरक्षण की दिशा में लोगों के बीच जागरण का कार्य है। वे अपने स्कूल में बच्चों को चंपा के बारे में बताएंगे। विद्यालय के शिक्षक संदीप, संतोष चौधरी, मो. जकी हसन, मिथिलेश कुमार व अभिनव नारायण शुक्ल आदि भी रैली में शामिल थे।

संत पॉल स्कूल के प्राचार्य बैजल माइकल क्वाड्रेस ने कहा कि जलसंरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। नदी की धारा वापस लौटे, इसके लिए सामाजिक चेतना जरूरी है। साथ ही बड़े स्तर पर जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है। स्कूल में बच्चों को चंपा नदी से जुड़ी जानकारी से अवगत कराया जाएगा। इस दिशा में दैनिक जागरण ने सराहनीय प्रयास किया है। रैली में अजय कुमार भट्टाचार्या, टेरेंस स्मिथ, सुमित कुमार सुमन, पूनम श्रीवास्तव व ज्योति रानी आदि शरीक थीं।

परबत्ती के एसआरएलएन सरस्वती विद्या मंदिर की प्राचार्या अंजू श्री , जयनील कुमार झा, मुन्ना कुमार देव, सुमित रौशन रैली में शामिल हुए। नरगा गणपत राय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य रामजी प्रसाद सिन्हा, अशोक कुमार मिश्र, उत्तम मिश्र, अशोक कुमार सिंह व राजीव लोचन झा आदि शिक्षक शामिल हुए। नसरतखानी के सावित्री आदर्श विद्या विहार के प्राचार्य संतोष कुमार सिंह के साथ शिक्षक रंजन कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह, विपिन ठाकुर व अश्विनी की रैली में सहभागिता रही। रैली में शामिल शिक्षक नदी की दुर्दशा देखकर शासन-प्रशासन से खिन्न थे। उसमें नाले का गिरता पानी देख भी उनमें गुस्सा था।

बच्चों का जोश देख बड़े भी चंपा को बचाने निकल पड़े

चंपा नदी फिर से पुनर्जीवित हो। इसकी चाह हर किसी को है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग और समाज का हर तबका अभियान से खुश और प्रभावित है। इस अभियान में समाज के हर तबके का भरपूर सहयोग मिल रहा है। यह नजारा बुधवार को बुधवार को नाथनगर में स्कूली बच्चों की रैली में दिखा। नदी तट से रैली से जब बच्चे थके-हारे पुल स्थित एक चाय दुकान पर पहुंचे तो दुकानदार बच्चों की इस पहल को देख काफी उत्साहित हुआ और उसने मिनरल वाटर और बिस्कुट दिए। बच्चे बिस्कुट का पैसा देने लगे तो दुकानदार ने साफ इन्कार कर दिया। दुकानदार ने फोटो लेना से मना कर दिया। वहां के स्थानीय लोग सुजय, रामप्रवेश ने बताया कि जब चंपा में पानी हुआ करती थी तो यहां नदी पार करने के लिए कई छोटी नावों का परिचालन होता था। आसपास के गरीब परिवारों की इससे रोजी-रोटी चलती थी। पानी कम होते ही सब खत्म हो गया। लोगों को इस अभियान से काफी आस है कि चंपा नदी फिर पहले की तरह अविरल हो जाएगी। शुरुआत हो चुकी है, यह सिलसिला अब रुकेगा नहीं। हर ओर नारे लगाते भीड़।

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही नदी को देख सिहर उठे नौनिहाल

वर्षो पहले जहां चंपा की पवित्र धारा थी, वहां अब कूड़े का अंबार लगा हुआ है। नाले का पानी बह रहा है। चंपा नदी को कब नाले में तब्दील कर दिया गया, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। चंपा की इस दुर्दशा देख रैली में पहुंचे स्कूली बच्चे सिहर उठे।

रैली में जिन स्कूली बच्चों ने हिस्सा लिया, उनमें से ज्यादातर स्थानीय ही थे। ऋषभ ने कहा कि घर में पापा उन लोगों को चंपा की कहानी बताते हैं। वे बताते हैं कि पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन चंपा नदी में ही होता था। उस समय नदी में वे लोग स्नान के लिए भी जाते थे। नाथनगर और चंपानगर की लाखों आबादी के लिए चंपा नदी वरदान थी। भागलपुर से बाहर रहने वाले परिजन भी जब घर आते थे, तब चंपा नदी में स्नान के लिए जरूर जाते थे। उस वक्त चंपा नदी में अविरल धारा बहती थी।

बच्चों ने कहा कि चंपा नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए वे अपने अन्य दोस्तों के साथ भी इसकी चर्चा करेंगे। सोशल मीडिया के जरिये भी वे भागलपुर के बाहर रहने वाले लोगों को इस अभियान से जोड़ेंगे। ताकि चंपा नदी अपनी खोई हुई पहचान वापस पा सके। बच्चों ने चंपा नदी को नाला लिखे जाने पर कहा कि ऐसे जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने पवित्र चंपा नदी को नाला का नाम दे दिया। उनका कहना है कि तत्काल चंपा नदी का बोर्ड वहां लगाना चाहिए।

रैली के समर्थन में छतों पर खड़े थे लोग: चंपा के उद्धार के लिए निकाली गई रैली को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर लोग डटे रहे। ललममिटया थाना से नदी तट तक रैली को पहुंचने में दो घंटे से भी ज्यादा का वक्त लगा। महिलाएं और बच्चे अपने-अपने घर की छतों पर खड़े होकर इस अभियान को समर्थन दे रहे थे। रैली चंपा नदी किनारे पहुंची तो पुल पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ गई।

चंपा को फिर से कलकल धारा का गहना पहनाने की शपथ

‘हम भागलपुर के नागरिक सौगंध खाते हैं कि पौराणिक नदी चंपा को नवजीवन देने की दिशा में उठाए जाने वाले हर प्रयास को संपूर्ण सहयोग देंगे। चंपा को पुनर्जीवित करने की दिशा में दैनिक जागरण की शुरू की गई मुहिम में कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। हम चंपा में गंदगी नहीं फेकेंगे और ऐसा करने वालों को अनुरोधपूर्वक समझाएंगे भी। हम चंपा के प्रति समाज और राजनीति को झकझोर कर जगाएंगे। अंत में यह कि हम चंपा को फिर से कलकल धारा का गहना पहनाएंगे। यह भागलपुर नगर का सत्य संकल्प है, दृढ़ प्रतिज्ञा है।’ 

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