सुगंध से उगती सब्जी रहेगी सुरक्षित

लत्तीदार पौधों में लगने वाली सब्जियां सुरक्षित और रोगमुक्त रह सकेंगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Nov 2018 10:42 PM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 10:42 PM (IST)
सुगंध से उगती सब्जी रहेगी सुरक्षित
सुगंध से उगती सब्जी रहेगी सुरक्षित

सबौर (ललन तिवारी ) भागलपुर ।

किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब कीटनाशक का प्रयोग किए बगैर ही लत्तीदार पौधों में लगने वाली सब्जियां सुरक्षित और रोगमुक्त रह सकेंगी। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर ने इसके लिए फेरोमोन ट्रेप्स ईजाद किया है। इसमें प्रयुक्त सुगंधित रसायन हानिकारक मक्खियों को आकर्षित कर मार डालती हैं।

दरअसल, लत्तीदार पौधों में सब्जी के निकलते ही मक्खी डंक मारकर उस जगह को सड़ा देती है। इस कारण सब्जी अपने आकार में नहीं होकर टेढ़ी हो जाती हैं। इससे निजात पाने के लिए किसान बार-बार कीटनाशी दवाओं का प्रयोग करते हैं। इस तरह उत्पादित सब्जियां स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाली होती है। फेरोमोन ट्रेप्स कीटनाशक दवाओं का सुरक्षित विकल्प है।

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ये है फेरोमोन ट्रैप्स

फेरोमोन ट्रैप्स ग्लास जैसे आकार का एक डिब्बा होत है जिसके बीच में एक लकड़ी रहती है। लकड़ी के ऊपरी भाग में सुगंधित रसायन का लेप रहता है। इस सुगंध से आकर्षित होकर नर मक्खियां लेप से सटती हैं और मर जाती हैं। इस तरह मक्खियों में प्रजनन नहीं हो पाता है। बची मक्खि्या भी धीरे-धीरे मर जाती हैं।

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सस्ता और आसान विकल्प

फेरोमोन ट्रैप्स बहुत सस्ता प्रयोग है। 50 मीटर के दूरी पर इसे खेतों में लगाया जाता है। 25 मीटर दूरी से इसमें आकर्षित करने की क्षमता है। ट्रेप्स की कीमत 40-50 रुपये है। एक हेक्टेयर में 20-25 पर्याप्त होता है।

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कहते हैं वैज्ञानिक

मुख्य अन्वेषक डॉ. रामदत्त ने बताया कि आस्ट्रेलिया और भारत के संयुक्त तत्वावधान में ईक्रॉप डाक्टर की टीम यह परियोजना चला रही है। इसके लिए बीएयू ने आस्ट्रेलिया के संस्थान इंटरनेशनल एग्रीकल्चर फॉर डेवलपमेंट से करार किया है। वर्तमान में खरीक प्रखंड के उष्माणपुर और खैरपुर में किसान खगेस, धनंजय, सागर मंडल, सियाराम मंडल, मोहन मंडल आदि के खेतों पर इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। ताकि दूसरे किसान भी इसे देखकर अपनाएं।

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फेरोमोन ट्रेप्स के इस्तेमाल से किसानों को कम खर्च में गुणवत्तायुक्त सब्जी मिलेगी। कीटनाशी दवा में आने वाला खर्च भी बचेगा। किसानों के बीच इस तकनीक का चलन बढ़े, विश्वविद्यालय इसके लिए प्रयासरत है। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर भागलपुर

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