वर्चुअल संवाद में बोले लोग : वैकल्पिक व्यवस्था कर अवैध तबेले पर कार्रवाई करे प्रशासन

स्मार्ट सिटी में अवैध तबेले पर कैसे लगेगा अंकुश विषय पर दैनिक जागरण और प्रबुद्ध लोगों के बीच वर्चुअल संवाद हुई। कहा-शहर की बिगड़ती सूरत के पीछे प्रशासन की नाकामी दिख रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Fri, 24 Jul 2020 10:40 AM (IST) Updated:Fri, 24 Jul 2020 10:40 AM (IST)
वर्चुअल संवाद में बोले लोग : वैकल्पिक व्यवस्था कर अवैध तबेले पर कार्रवाई करे प्रशासन
वर्चुअल संवाद में बोले लोग : वैकल्पिक व्यवस्था कर अवैध तबेले पर कार्रवाई करे प्रशासन

भागलपुर, जेएनएन। स्मार्ट सिटी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। शहर में अतिक्रमण, सड़क पर विचरते पशु, कूड़े तबेला (खटाल) से शहरवासी परेशान हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन का पालन कराने में जिला और नगर निगम पूरी तरह विफल है। प्रशासन को सख्त होना होगा। पहले अवैध संचालकों को चिह्नित कर वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है, फिर इन लोगों पर एक्शन लेने की। तभी हमारा शहर स्मार्ट होगा।

स्मार्ट सिटी में अवैध तबेले पर कैसे लगेगा अंकुश विषय पर दैनिक जागरण और शहर के प्रबुद्ध लोगों के बीच वर्चुअल संवाद हुई। संवाद में लोगों ने कहा कि शहर की बिगड़ती सूरत के पीछे प्रशासन की नाकामी दिख रही है। गंगा में पशुओं का गोबर और मल मूत्र बहाया जा रहा है। इससे प्रदूषण फैल रहा है। खटाल संचालकों को जागरूक करने की जरूरत है।

-टोडरमल लेन में आवारा पशुओं के घूमने से आए दिन हादसे होते रहते हैं। इस पर नियंत्रण जरूरी है। अवैध तबेला (खटालों) संचालन हो रहा है। प्रशासन का डर और खौफ नहीं है। प्रशासन भी इन पर नकेल कसने से गुरेज करती है। - -विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष, इबिआ।

-जिला और नगर निगम प्रशासन से की लापरवाही से शहर में अवैध खटालों (तबेलों) की संख्या काफी बढ़ गई है। ये लोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। इन्हें पहले वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है। -आलोक अग्रवाल, अध्यक्ष, इबिआ।

-शहर में कई जगहों पर अवैध रूप से खटालों का संचालन हो रहा है। आम लोगों को परेशानी हो रही है, ऐसे संचालकों को चिह्नित कर कार्रवाई करने की जरूरत है। दक्षिणी इलाके स्थित कमल नगर कॉलोनी में पशुओं के रखने की समुचित व्यवस्था नहीं है। -राकेश रंजन केसरी, सामाजिक कार्यकर्ता

-भागलपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा है। पशुपालकों को जागरूक करना जरूरी है। बाढ़ के समय लोग पशुओं के साथ शहर में बसेरा बनाते हैं। इनकी समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नियमों का पालन हो। -प्रो.देवज्योति मुखर्जी।

-खटालों पर नियंत्रण जरूरी है, ताकि वातावरण और शहर को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। सरकारी या निजी क्षेत्र मे हर दिन गोबर का उठाव संभव हुआ तो इससे खाद और गोकाष्ठ तैयार हो सकते हैं। इससे लोग सबल बनेंगे। प्रशासन को हर पहलू से सोचे। -अखिलेश कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता

-शहर की सुंदरता, प्रदूषण नियंत्रित रखने और गंदगी जनित बीमारियों से बचने के लिए यह जरूरी है कि शहर मे गोपालन तथा खटालों को नियंत्रित किया जाए। शहर से आवारा पशुओं को रखने और उनके चारा की व्यवस्था करना भी जरूरी है। -दीपक सुल्तानिया

-मोहल्ले में अवैध खटाल खुल जाने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसपर अंकुश लगाने की जरूरत है। संचालकों को चिह्नित कर कार्रवाई करने की जरूरत है। सिंकदपुर इलाके में पशुओं के रखने की समुचित व्यवस्था नहीं है। -रमण कर्ण, समाजेसवी।

-सड़क पर ही गोमूत्र और गोबर रहने से वातावरण भी दूषित हो रहा है। संक्रमण का खतरा बढऩे की संभावना बनी है। आवासीय इलाकों से खटाल और पशुओं को दूर रहने की व्यवस्था हो। प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है। -अजय कनोडिया

-प्रशासन को इन मुद्दों पर सजग रहने की जरूरत है। तभी शहर को अवैध खटालों से निजात मिलेगी। नगर निगम की ओर से किसी तरह की कार्रवाई तबेला संचालकों पर नहीं की जा रही है। नगर निगम को कार्यशैली बदलने की जरूरत है। -रूपेश कुमार बैद।

मुख्‍य बातें

-स्मार्ट सिटी में अवैध तबेले को लेकर दैनिक जागरण के साथ शहर के प्रबुद्ध लोगों के साथ वर्चुअल संवाद में उठी आवाज

- जागरण के अभियान को लोगों ने सराहा, नगर निगम और जिला प्रशासन करे कार्रवाई

लोगों ने कहा, इन बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत

-पुलिस, प्रशासन और नगर निगम को तालमेल बेहतर हो।

-वैध और अवैध तबेले को चिह्नित किया जाए।

-कचरा प्रबंधन पर विशेष फोकस करने की जरूरत है।

-आवारा पशुओं के रखने के लिए जगह की व्यवस्था हो।

-गोशाला की बेकार पड़ी जमीन को इस्तेमाल में लाया जाए।

-अवैध संचालकों के हर पहलू को भी प्रशासन समझें।

-सैंडिस कंपाउंड के पास कटघर हुआ करता था, उसे फिर से दशा में लाने की जरूरत है।

-नगर निगम अतिक्रमण हटाने के नाम पर खानापूर्ति नहीं करे।

-जहां-तहां खुले खटालों को अभी सैनिटाइज करने की जरूरत है।

-केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के नियमों का पालन हर हाल में हो।

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