अब बिहार में भी खिलेंगे ट्यूलिप के फूल

अमरेंद्र कुमार तिवारी, भागलपुर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे हिमालयी क्षेत्रों में उगाए जाने वाल

By Edited By: Publish:Thu, 04 Feb 2016 01:38 AM (IST) Updated:Thu, 04 Feb 2016 01:38 AM (IST)
अब बिहार में भी खिलेंगे ट्यूलिप के फूल

अमरेंद्र कुमार तिवारी, भागलपुर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे हिमालयी क्षेत्रों में उगाए जाने वाले दुनिया के टॉप-10 कट फ्लावरों (एकल डंठल वाले फूल) में से एक ट्यूलिप की खेती अब बिहार में भी होगी। ठंडे प्रदेशों के तापमान को ध्यान में रखते हुए इसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रायोगिक प्रक्षेत्र में लगाया गया है। कुछ फूल खिलने भी लगे हैं। अगर यहां यह प्रयोग सफल रहा तो विश्वविद्यालय के साथ-साथ किसानों के लिए भी यह वरदान साबित होगा।

दरअसल, अपने आकर्षक रंगों के कारण सजावट व उपहार देने में इस फूल की मांग देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में भी है। वेलेंटाइन डे, शादी-विवाह, जन्मोत्सव, सालगिरह जैसे मांगलिक कार्यो के अलावा विशिष्ट लोगों को बुके के रूप में उपहार या स्वागत करने में इसका काफी इस्तेमाल होता है। मांग के अनुरूप देश में इसका उत्पादन कम होता है। भारत में उत्पादित ट्यूलिप के फूलों की मांग नीदरलैंड, हॉलैंड सहित यूरोपीय देशों में भी है। ऐसे में अगर बिहार की मिट्टी में इसकी खेती सफल हुई तो यहां के किसानों के साथ-साथ फूल उद्यमियों की भी किश्मत बदल जाएगी।

वैज्ञानिक गदगद

बीएयू प्रक्षेत्र में ट्यूलिप का कंद वैज्ञानिक डॉ. फिजा अहमद ने जम्मू से लाकर लगाया है। कनीय वैज्ञानिक डॉ. परवीर सिंह इसकी देखरेख व संरक्षण में लगे हुए हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि पौधों में फूल खिल रहे हैं। इससे वे लोग गदगद हैं।

कब लगाया गया था कंद

बीएयू के प्रक्षेत्र में ट्यूलिप का कंद गत वर्ष नवंबर में लगाया गया था। तापमान अनुकूल मिलने से अब यह पुष्पित होने लगा है। कनीय वैज्ञानिक ने बताया कि पर्वतीय प्रदेशों में इसकी बुआई नवंबर से फरवरी तक की जाती है। इसके लिए मुकम्मल न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान क्रमश: पांच से 10 एवं 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक होना आवश्यक है।

स्थानीय बाजार में संभावना

भागलपुर में अब सालों भर टयूलिप की मांग रहती है। यहां फूलों का कारोबार सालाना करोड़ों में होता है। फिलहाल इस फुल की आपूर्ति पश्चिम बंगाल से होती है। पर कृषि विश्वविद्यालय में इसकी खेती सफल होने से बाजार को भी एक नई उम्मीद जग गई है।

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वसंत में खिलता है यह फूल

ट्यूलिप के फूल वसंत ऋतु में खिलते हैं। इसकी खेती मुख्य रूप से एशिया माइनर, अफगानिस्तान, कश्मीर से कुमाऊं तक के हिमालयी क्षेत्र उत्तरी चीन, जापान, साइबेरिया एवं भूमध्य सागर क्षेत्र में होती है। इस फूल के नाम का उद्गम ईरानी भाषा के शब्द टोलिबन अर्थात पगड़ी से हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्यूलिप के फूलों को उलट देने से यह पगड़ी नामक शिरोवेश जैसा दिखाई देने लगता है।

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सर्वप्रथम टर्की में हुआ इसका उत्पादन

टर्की से यह पौध 1554 में आस्ट्रिया, 1571 में हॉलैंड और 1577 में इंग्लैंड ले जाया गया। इस पौध का सर्वप्रथम उल्लेख 1759 में गेसनर ने अपने लेखों एवं चित्रों में किया था। उसी के आधार पर ट्यूलिपा गेसेनेरियाना का नामकरण हुआ। अल्प काल में ही इसके मनमोहक फूलों के चित्ताकर्षक रंग रूप के कारण यह फूल यूरोप के साथ-साथ पूरी दुनिया में सर्वप्रिय हो गया।

- 10 से 15 रुपये ठंडे प्रदेशों में टयूलिप के एक स्टिक की है कीमत

- 20 से 25 रुपये प्रति स्टिक बिक्री होती है भागलपुर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में

- सफल हुई खेती तो स्थानीय बाजार में काफी कम कीमत में उपलब्ध हो जाएगा यह फूल

किन-किन रंगों में खिलता है फूल

यह फूल लाल, पीला, बैगनी, नारंगी सहित विभिन्न रंगों में खिलता है।

बीएयू में ऑर्किड, जर्बेरा, कार्नेशन एवं गुलाब की संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक लगे हुए हैं। किसानों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा। अब ट्यूलिप की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा। ताकि राज्य के किसान इसकी सफल खेती कर सकें।

- डॉ. एम हक, पीआरओ, बीएयू सबौर।

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