गृहस्थ आश्रम में स्त्री की भूमिका काफी महत्वपूर्ण

बेगूसराय। रविवार को अभेदानंद आश्रम, आर्य समाज मंदिर बारो में आयोजित की गई। देवयज्ञ के पश्चात गृहस्थ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 05:55 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 05:55 PM (IST)
गृहस्थ आश्रम में स्त्री की भूमिका काफी महत्वपूर्ण
गृहस्थ आश्रम में स्त्री की भूमिका काफी महत्वपूर्ण

बेगूसराय। रविवार को अभेदानंद आश्रम, आर्य समाज मंदिर बारो में आयोजित की गई। देवयज्ञ के पश्चात गृहस्थ आश्रम में स्त्री की भूमिका पर चर्चा करते हुए आचार्य राघवेंद्र प्रताप आर्य ने कहा, गृहस्थ आश्रम में स्त्री की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी कारण महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश के चतुर्थ समुल्लास में लिखा है, वैदिक धर्म में स्त्री सिर की पगड़ी है। नारी के इस गौरव और महत्ता को स्वीकार करते हुए मनु ने कहा, जिस कुल में भार्या से पति और पति से भार्या प्रसन्न रहते हैं उसी कुल में सब सौभाग्य और ऐश्वर्य निवास करते हैं। और जिस घर में कलह होता है वहां दुर्भाग्य और दरिद्रता निवास करता है। जिस घर में स्त्री का आदर सम्मान होता है वहां दिव्य गुण और दिव्य पुरुषों का निवास होता है। जिन घरों में स्त्रियों का सत्कार नहीं होता वहां सब क्रियाएं निष्फल हो जाती है। जिस घर व कुल में स्त्रियां शोकाकुल होकर दुख पाती हैं वह कुल जल्द नष्ट हो जाता है। जिस घर में स्त्री आनंद में प्रशंसा से भरी रहती है वह कुल नियमित बढ़ता रहता है। इसलिए ऐश्वर्य की कामना करने वाले पुरुषों को चाहिए कि सत्कार उत्सव के अवसरों पर इनका आभूषण, वस्त्र एवं भोजन आदि से नित्यप्रति सत्कार करें।

संगठन मंत्री संतोष आर्य ने कहा, पति-पत्नी गृहस्थ रूपी रथ के दो पहिए हैं। अगर रथ के दोनों पहिए समान रूप से मिलकर चलते हैं तो रथ आगे बढ़ता है। एक दूसरे से मिलकर नहीं चलने पर गृहस्थी रूपी रथ आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है। इस अवसर पर जिला प्रधान शिवजी आर्य, र¨वद्रनाथ आर्य, आचार्य अरुण प्रकाश आर्य, आचार्य भूपेंद्र आर्य, कैलाश आर्य, रामप्रवेश आर्य, राजेंद्र आर्य, डॉक्टर सुधीर आर्य, भूदेव आर्य, विक्रम आर्य, राजन आर्य, रामेश्वर आर्य, दिलीप कुमर, कैलाश पोद्दार सुशांत, शिव रंग सहित भारी संख्या में आर्यजन मौजूद थे।

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