भातृ द्वितीया पर बहना ने की भाइयों के दीर्घ जीवन की कामना

बेगूसराय। मिथिलांचल परंपरा के अनुरूप शुक्रवार को बहना ने अपने भाई की पूजा व आरती कर दीर्घायु होने की

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Nov 2018 04:18 PM (IST) Updated:Fri, 09 Nov 2018 04:18 PM (IST)
भातृ द्वितीया पर बहना ने की भाइयों के दीर्घ जीवन की कामना
भातृ द्वितीया पर बहना ने की भाइयों के दीर्घ जीवन की कामना

बेगूसराय। मिथिलांचल परंपरा के अनुरूप शुक्रवार को बहना ने अपने भाई की पूजा व आरती कर दीर्घायु होने की कामना की। इसको लेकर बहना सुबह में ही स्नान के पश्चात नव वस्त्र धारण कर अपने घर के आंगन या छत पर अपने प्यारे छोटे बड़े भाइयों की विधि विधान के साथ पूजा की। इस पूजा में सर्वप्रथम चावल के पिठार से अइपन एक प्रकार की रंगोली बनाकर जल कलश रख भाई को उच्च आसन पर बैठा कर पूजा आरंभ की। पूजा के क्रम में बहना गंगा जल, फूल, अक्षत ,पान -सुपारी बजरी मटर, रोली चंदन, शीष कोहरा के फुल द्रव्य आदि तीन बार अपने भैया के हाथ पर रखकर मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धापूर्वक पूजा की एवं ईश्वर से अपने भैया के दीर्घ आयु की कामना की। इसके पश्चात भाई को मुंह मीठा कराया। पौराणिक परंपरा के अनुसार इस दिन बहना के यहां का ही भोजन करने की परंपरा के कारण शादी शुदा बहना के ससुराल में ही पहुंचकर भातृ द्वितीया पूजनोत्सव में शामिल हुए। इस मौके पर बहना को भाई की ओर से उपहार भी देने की परंपरा का निर्वहन भाइयों ने किया। पौराणिक मान्यता है कि सूर्य की पुत्री यमुना ने इस द्वितीया तिथि को घर पहुंचे अपने भाई यमराज की पूजा अर्चना कर उन्हें भोजन कराया था। इसपर यमराज ने वर दिया था कि कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया को जो भाई बहन के यहां पहुंच कर पूजा कराने के बाद भोजन करेगा उसे कभी यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। उसी दिन से इस तिथि को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार को कई जगह भैया दूज आदि के नाम से भी जाना जाता है। जगह जगह पूजा विधान में थोड़ा अंतर होता है। लेकिन सबका उद्देश्य भाई की पूजा ही है।

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