भारतीय रेल में निजीकरण को बढ़ावा देना दुर्भाग्यपूर्ण

बांका। रेल मंत्रालय ने 150 ट्रेनों का संचालन निजी कंपनियों के हाथों करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Jun 2020 10:11 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jun 2020 10:11 PM (IST)
भारतीय रेल में निजीकरण को बढ़ावा देना दुर्भाग्यपूर्ण
भारतीय रेल में निजीकरण को बढ़ावा देना दुर्भाग्यपूर्ण

बांका। रेल मंत्रालय ने 150 ट्रेनों का संचालन निजी कंपनियों के हाथों करना दुर्भाग्यपूर्ण है। रालोसपा के वरीय नेता कौशल सिंह ने कहा कि भारतीय रेल का विश्व में रोजगार देने में आठंवा स्थान है।

वर्तमान में इसके 13 लाख कर्मचारी और 15 लाख पेंशनधारी हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बेरोजगारी दूर क्या लाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल इस समय वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन के भयंकर संकट से जूझ रही है। दिसंबर 2019 की मासिक मूल्यांकन रिपोर्ट कहती है कि रेलवे के राजस्व में 240 अरब रुपये की गिरावट आ गई है। उन्होंने कहा कि हर सौ रुपये को कमाने के लिए भारतीय रेल 110 रुपये खर्च कर रही है। केंद्र सरकार साजिशन अपने प्रबंधन की नाकामी को छुपाने के लिये निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। जिससे सिर्फ राष्ट्रीय संपत्ति का दोहन होगा। उन्होंने इसका विरोध किया है।

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