लॉकडाउन ने 'लॉक' किया सब्जियों के दाम
बांका। कभी हरी सब्जियां थाली में नसीब नहीं होती थी। पर लॉकडाउन ने सब्जियों के दाम को लॉक कर दिया है। गाड़ियां नहीं चलने से सब्जियों के दाम काफी कम हो गए हैं।
बांका। कभी हरी सब्जियां थाली में नसीब नहीं होती थी। पर लॉकडाउन ने सब्जियों के दाम को लॉक कर दिया है। गाड़ियां नहीं चलने से सब्जियों के दाम काफी कम हो गए हैं। इससे किसानों के समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गयी है।
प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर प सहदेवपुर गांव में करीब दो सौ घरों की जीविका का मुख्य साधन खेती है। सब्जी उत्पादन में प्रखंड का यह इकलौता गांव है। इस कारण भारत सरकार ने इस गांव को आकांक्षा योजना में शामिल कर किसानों को खेती के लिए प्रशिक्षण देने के साथ खेती से संबंधी संबंधित उपकरण भी मुहैया कराया है, लेकिन कोरोना ने किसानों के सभी अरमानों पर पानी फेर दिया है।
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क्या कहते हैं किसान
मुकेश कुशवाहा, नरेश कुशवाहा, मनोज मंडल, प्रकाश मंडल, रूबी देवी, सरिता देवी सहित अन्य किसानों ने बताया कि इन दिनों सब्जी का उत्पादन खूब हो रहा है। लॉकडाउन के कारण बाजार नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है। बताया कि शुरूआती दौर में कद्दू, भिडी, करेला, परोल सहित अन्य सब्जी का हाइब्रीड बीज अधिक कीमत पर लाए थे। इतना ही नहीं 130 रुपये प्रति घंटे की दर से मशीन से फसल पटवन किया गया था। आज स्थिति है कि सब्जी औने - पौने भाव में बिक रहा है।
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एक माह पूर्व सब्जी का भाव और वर्तमान स्थिति -
भिडी, करेला - 40 रुपये किलो - 10 - 15 रुपये किलो परोल - 30 - 35 रुपये - 10 - 15 प्रति किलो खीरा - 25 - 30 रुपये -10 रुपये प्रति किलो कद्दू - 20 - 25 रुपये - पांच रुपये प्रति किलो टमाटर - 30 रुपये -दस रुपये प्रति किलो
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कोट
सहदेवपुर गांव में सभी प्रगतिशील किसान हैं। विभाग की तरफ से किसानों को खेती-किसानी से संबंधित हरेक सुविधा दी जाती है। कोरोना महामारी के दौर में सभी लोग परेशान हैं। ऐसे में किसानों को धैर्य रखने की जरूरत है।
अनिल कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी,