अमौना ही 2001 में बन गया गोरडीहा पंचायत

औरंगाबाद। अमौना कभी खुद पंचायत मुख्यालय हुआ करता था। अब गोरडीहा पंचायत का हिस्सा बन गया है।

By Edited By: Publish:Sat, 09 Apr 2016 06:26 PM (IST) Updated:Sat, 09 Apr 2016 06:26 PM (IST)
अमौना ही 2001 में बन गया गोरडीहा पंचायत

औरंगाबाद। अमौना कभी खुद पंचायत मुख्यालय हुआ करता था। अब गोरडीहा पंचायत का हिस्सा बन गया है। यह बदलाव 21वीं सदी में हुआ जब 2001 में पंचायतों का परिसीमन किया गया। तब तक बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व में सामाजिक न्याय की क्रांति हो चुकी थी। यह और बात है कि बिहार में उनके कार्यकाल में पंचायत चुनाव नहीं हो सके। इस पंचायत का नाम गोरडीहा हो गया। चुनाव हुआ तो रुपचंद बिगहा के लखन यादव मुखिया निर्वाचित हो गए। तब ई. भगवान सिंह मात्र 26 मतों से हार गए। मधेश्वर शर्मा और भाकपा माले नेता मदन प्रजापति भी चुनाव हार गए थे, जबकि माले ने इस क्षेत्र में अपने तरीके की लाल-क्रांति की थी। किसान राजकुमार सिंह की जमीन पर वर्ष 1997-98 में झंडा गाड़ने का नेतृत्व माले ने किया था। तब यहा इतना अधिक तनाव बना कि पुलिस पिकेट बिठाना पड़ा था। जब मामला शांत हो गया और किसानों ने अपनी जमीन अपने कब्जे में ले लिया तो पिकेट का कोई मतलब नहीं रह गया, सरकार ने उसे हटा दिया। इस चुनाव के बाद जब 2006 में चुनाव हुआ तो बिहार में पहली बार पंचायत के एकल पदों पर आरक्षण लागू कर दिया गया। यह सीट सामान्य रहा। यहा चुनाव में गोरडीहा के ई. भगवान सिंह जीते और अमौना के सुबोध शर्मा और तत्कालीन निवर्तमान मुखिया लखन यादव हार गए। फिर 2011 में चुनाव हुआ और पुन: सुबोध शर्मा हारे और भगवान सिंह दूसरी बार मुखिया बन गए। इस बार यह सीट महिला आरक्षित है तो इनकी पत्नी सविता देवी मैदान में हैं, जो अंकोढ़ा कालेज में प्राचार्य के पद से त्यागपत्र देकर राजनीति में आई हैं।

प्रथम मुखिया और मुकदमा

दाउदनगर (औरंगाबाद) : आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी। जब अमौना पंचायत का प्रथम चुनाव होना था, चुनाव आम सहमति से हुए और नोनार के रामराज यादव को जनता ने मुखिया चुन लिया। एक समूह इनके खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। उच्च न्यायालय तक सुनवाई चली। दूसरा चुनाव आ गया। फैसले में अब भला किसे दिलचस्पी रह जाती। जब 1978 में चुनाव हुआ तो बलिराम शर्मा निर्वाचित मुखिया बने। इसके बाद 2001 में चुनाव हुए।

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