संस्कृति व सभ्यता को ¨जदा रखें हैं कलाकार : विधायक

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : नवीनगर प्रखंड के जयपुर गांव में महाकाली पूजा समिति द्वारा बुधवार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Nov 2018 04:25 PM (IST) Updated:Thu, 08 Nov 2018 04:25 PM (IST)
संस्कृति व सभ्यता को ¨जदा रखें हैं कलाकार : विधायक
संस्कृति व सभ्यता को ¨जदा रखें हैं कलाकार : विधायक

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : नवीनगर प्रखंड के जयपुर गांव में महाकाली पूजा समिति द्वारा बुधवार को मां काली की मंदिर की 52वीं वर्षगाठ मनाई गई। महाआरती में औरंगाबाद विधायक आनंद शंकर ¨सह शामिल हुए। सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन किया। ग्रामीणों ने नाटक का मंचन किया। विधायक ने कहा कि बदलते समय के साथ लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता से दूर होते जा रहे हैं। पहले गांवों में भव्य नाटक का मंचन हुआ करता था परंतु अब यह प्रथा विलुप्त होते जा रही है। डिजिटल युग में ग्रामीण कलाकार ही नाटक के माध्यम से लोक कला को ¨जदा रखे हुए है। नाटक के माध्यम से समाज में संदेश दे रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा ग्रामीण कलाकारों द्वारा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने को जागरूकता फैलाया जा रहा है। विधायक ने कार्यक्रम के लिए ग्रामीणों को बधाई दिया। मंदिर के संस्थापक चंद्रधन ¨सह ने बताया कि यहां 1967 से भव्य तरीके से पूजा होते जा आ रहा है। अध्यक्ष ओमप्रकाश ¨सह, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ¨सह, सचिव रामानुज ¨सह उर्फ बब्लू, उपसचिव ओमप्रकाश ठाकुर, कोषाध्यक्ष बलराम कुमार ¨सह, उपकोषाध्यक्ष मिथुन कुमार ¨सह, प्रधान निर्देशक घनश्याम पांडेय, सह निर्देशक चंदन कुमार ¨सह, राजू पांडेय, बिट्टू कुमार ¨सह, धर्मेंद्र ¨सह, हिमांशु कुमार, शिक्षक अशोक पांडेय एवं श्रवण कुमार उपस्थित रहे। ..और जब मां दुर्गा ने महिसासुर को मारी त्रिशुल

जयपुर गांव में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण कलाकारों द्वारा महिसासुर वध नाटक का मंचन किया गया। मां दुर्गा और महिसासुर के बीच भीषण युद्ध दिखाया गया। जब मां दुर्गा ने महिसासूर को त्रिशूल मारी तो दर्शक जयकार लगाने लगे। वातावरण मां दुर्गा की जयकारे से गूंज उठा। महिलाओं एवं पुरुषों ने मां दुर्गा समेत अन्य देवियों को आरती दिखाया। महिसासुर वध का मंचन छात्रा शिप्रा, रिया, छोटी, अर्पणा, अंशिका, श्रेया, रिया, राजन, हिमांशु एवं चंदन के द्वारा किया गया। छात्राओं की प्रस्तुति देख विधायक ने कहा कि छोटे मंच से ही बड़े मंचों तक का सफर तय होता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत गायक मनोज मंजुल यादव के द्वारा अमवां लगवल पिया हो, महुआ लगवल काहे न लगवल पिया हो निमिया के गछिया गीत से की।

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