2020 का नई वर्ष, नई खुशियां, नई उमंग व नई उम्मीदें के साथ हुआ आगाज

पनों को उड़ान देना चाहते हैं। बीती बातों को भूलकर नई शुरुआत करना चाहते हैं। भारत में अलग-अलग धर्म हैं और इन सभी धर्मों में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है। पंजाब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Jan 2020 05:07 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jan 2020 05:07 PM (IST)
2020 का नई वर्ष, नई खुशियां, नई उमंग व नई उम्मीदें के साथ हुआ आगाज
2020 का नई वर्ष, नई खुशियां, नई उमंग व नई उम्मीदें के साथ हुआ आगाज

और 365 दिन का पिछला साल मंगलवार को बीत गया। बुधवार को नए वर्ष का स्वागत के साथ आगाज भी हो गया। जश्न के साथ नए वर्ष का स्वागत किया गया। बुधवार को लोग नए साल के जश्न मनाने में डूबे रहे। जश्न का माहौल है, हो भी क्यों न, नया साल खुशियां, उमंग नई उम्मीदें और पार्टी करने जैसे तमाम नए बहाने लेकर आया है। ये भी कह सकते हैं कि अपनी खुशी का इजहार करने के लिए ये खास दिन होता है। लोग नए साल पर अपने सपनों को उड़ान देना चाहते हैं। बीती बातों को भूलकर नई शुरुआत करना चाहते हैं। भारत में अलग-अलग धर्म हैं और इन सभी धर्मों में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है। पंजाब में नया साल बैशाखी के दिन मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में वैशाखी के आसपास ही इस उत्सव को मनाया जाता है। महाराष्ट्र में मार्च-अप्रैल के महीने आने वाली गुड़ी पड़वा के दिन नया साल मनाया जाता है। गुजरात में इसको दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर में भी नया साल मुहर्रम के नाम से जाना जाता है। भारत में न्यू ईयर उमंग कितनी बार चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा से हिदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिदू नव संवत्सर या नया संवत भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादी नामों से भारत के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है। जैन नव वर्ष दीपावली के अगले दिन से जैन नववर्ष दीपावली के अगले दिन से शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है। इसी दिन से जैन समुदाय अपना नया साल मनाते हैं। पंजाबी नववर्ष पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आती है। सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है। पारसी नववर्ष पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज उत्सव के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव मनाया जाता है।3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी। ईसाई नववर्ष एक जनवरी से नए साल की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई। इसके कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन कैलेंडर है। जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया। तब से 1 जनवरी को नववर्ष मनाते हैं। हर धर्म में अलग-अलग दिन और महीनों में नया साल मनाने की प्रथा है। लेकिन इनके बावजूद हम सभी 1 जनवरी को क्यों नया साल मनाते हैं? यहां आपको इसी सवाल का जवाब मिल जाएगा। नए साल का उत्सव लगभग 4000 साल से भी पहले बेबीलोन में 21 मार्च को मनाया जाता था, जो कि वसंत के आने की तिथि भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव तभी मनाया जाता था। रोम के बादशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, तब विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए साल का उत्सव मनाया गया।नया साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को होता है। अलग-अलग संस्कृतियों के अपने कैलेंडर और अपने नव वर्ष होते हैं।दुनिया के देश अलग-अलग समय पर नया साल मनाते हैं। शहर से गांव तक हैपी न्यू इयर की धूम औरंगाबाद : वर्ष 2019 के शुरू दिन बुधवार को शहर से लेकर गांवों में उत्साह का माहौल रहा। जश्न मनाने में लोग डूबे रहे। व्हाटसएप, फेसबुक एवं एसएमएस के जरिए लोग नर्व वर्ष की बधाई दे रहे थे। उत्साह के साथ लोग टीवी पर कार्यक्रम देखते रहे, तो कहीं डांस होता रहा। हर तरफ घड़ी की सूई 12.00 पर पहुंचने का इंतजार था। 12 बजते ही इंतजार की घड़ी खत्म हुई। सड़क पर आकर लोग नववर्ष 2018 का पटाखे छोड़ जश्न मना स्वागत किया। लोग कड़ाके की ठंड के बावजूद झूमते नजर आए। अभी तो पार्टी शुरू हुई है.. देखो नया साल आ गया.. नये साल का पहला.. गीत-संगीत-नृत्य के बीच मध्य रात्रि से ही अपनों को नये साल की बधाई देने का सिलिसला शुरू हो गया। एक वर्ष में कई खट्टे-मीठे रंगों को देख चुके लोगों ने नये वर्ष के आगमन के साथ ही उसे भी भुला कर खुशियों के बीच जीवन का एक नया अंदाज शुरू किया। सबने उम्मीद जतायी है कि यह वर्ष सुख, शांति, समृद्धि के साथ प्रेम व भाईचारे को मजबूत बनाया जाएगा। पिकनिक स्पॉट पर लगा मेला डीजे की धुन पर मस्ती.धूम., धमाल. के साथ जश्न मनाया गया। राजेंद्र बाल उद्यान बच्चों की पसंद रही। यहां बच्चे पार्क में कूद रहे थे। वे नए साल के उत्साह में खोए हुए थे। पिकनिक स्पॉट पार्क, पुलिस लाइन चहका, पवई पहाड़, उमगा, सीताथापा पर मेला जैसा माहौल दिखा। कोई परिवार के साथ, तो कोई दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने पहुंचा। हर उम्र के लोग मस्ती में डूबे थे। शराब बंद रहने के कारण शांति रही। मीट दुकान पर सुबह से भीड़ रही। लोग अपने तरह से जश्न मनाने की तैयारी में थे। वर्ष 2019 के स्वागत में औरंगाबाद डूबा रहा। पिकनिक स्पॉट पर भीड़ रही। शहर में पार्क के न होने की कमी खलती रही।

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