न्याय में विलंब देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण

औरंगाबाद। मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट मामले में देश ने बहुत कुछ नया या पहली बार देखा है। पहली बार रात मे

By Edited By: Publish:Thu, 30 Jul 2015 08:21 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2015 08:21 PM (IST)
न्याय में विलंब देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण

औरंगाबाद। मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट मामले में देश ने बहुत कुछ नया या पहली बार देखा है। पहली बार रात में सुप्रीम कोर्ट में किसी मामले की सुनवाई हुई। सेलिब्रेटियों और जन प्रतिनिधियों ने प्रेशर पोलटिक्स का खेल खेला। ओबैसी जैसे खुलेआम इसे धर्म से जोड़कर अन्याय बता रहे हैं। अंतत: जीत न्याय की हुई। उधर पंजाब में हमला हुआ, एसपी समेत कई शहीद हो गये। इस पूरे परिप्रेक्ष्य में युवा तबका क्या सोचता है?

उप मुख्य पार्षद कौशलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि फासी की सजा बचाव पक्ष को प्रयाप्त समय देने के बाद दी गयी है। ऐसे में जिस तरह प्रेशर बनाया गया यह गलत है और इससे भारतीय संविधान कमजोर होगा। किसी के दबाव में कानून नहीं बदला जा सकता है। क्रिकेट खिलाड़ी प्रफ्फुलचंद्र सिंह न्याय इतना विलंब से होना देश के लिए दुर्भाग्य है। इससे आर्थिक और मानसिक क्षति होती है। मीडिया को भी चाहिए कि समाज और प्रशासन के भीतर की ऐसी खुफिया खबर न दे जिसका लाभ राष्ट्र विरोधी तत्व ले सकें। लाला अमौना निवासी विजय कुमार का कहना है कि सरकार का रवैया अच्छा रहा है। इससे कड़ा संदेश जायेगा और भारत में आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने में ताकत मिलेगी। देशद्रोही तत्वों में डर पैदा होगा। साईबर कैफे संचालक अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि जब तक विशेष समुदाय का नजरिया नहीं बदलेगा तब तक स्थिति नहीं बदलेगी। यह सोचना गलत है कि आतंकवाद के मामले में एक समुदाय विशेष के खिलाफ कानून काम करता है। ज्ञान च्योति शिक्षण केंद्र के निदेशक डा.चंचल कुमार ने कहा कि सेक्यूलर दिखने की कोशिश में देश की प्रतिष्ठा से भी खेलने में कुछ लोगों को गुरेज नहीं है। यह इस घटना से जुड़ा प्रसंग बता गया। गुलाम रहबर का सवाल है कि बहुत मामले लटके हुए हैं, इसमें जल्दबाजी क्यों की गयी, जबकि वह 22 साल से भुगत रहा है। जब गलती याकूब के भाई ने किया था तो सजा इसे क्यों दी गयी? राष्ट्रपति और भारत सरकार को इस पर सोचना चाहिए था।

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