मौसम ने तोड़ दी किसानों की 'कमर'

जागरण टीम, औरंगाबाद/हसपुरा : तन का बहा पसीना तो कुछ सरस हुई बालू की रेती, खाने के दिन आए तो करते

By Edited By: Publish:Tue, 21 Apr 2015 06:24 PM (IST) Updated:Tue, 21 Apr 2015 06:24 PM (IST)
मौसम ने तोड़ दी किसानों की 'कमर'

जागरण टीम, औरंगाबाद/हसपुरा :

तन का बहा पसीना तो कुछ सरस हुई बालू की रेती, खाने के दिन आए तो करते घर में आंसू की खेती। गांवों में किसान के कुछ यही हालात हैं। मौसम की मार से किसान बेहाल हैं। पहले धान क्रय में किसान ठगे गए अब मौसम ने उनकी कमर तोड़ दी है। खेतों में फसल का नुकसान देख किसान दहाड़ मार रहे हैं। रबी बुआई से पहले मौसम ने दगाबाजी की। किसानों ने किसी तरह खेतों में फसल लगाया। जब फसल की कटनी प्रारंभ हुई तो बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। जिला कृषि पदाधिकारी शैलेंद्र ओझा ने बताया कि जिले में 69 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बुआई की गई थी। चना, मसूर, सरसो की खेती करीब 22 हजार हेक्टेयर में की गई थी। खेतों में रबी की फसल अच्छी थी परंतु 5 अप्रैल एवं 13 से 15 अप्रैल के बीच हुई बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। डीएओ ने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक फसल का नुकसान हुआ है। बारिश के कारण खेतों में अनाज का दाना सिकुड़ गया है। राज्य सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजा गया है। उधर ओबरा के मानिकपुर के किसान मदन सिंह यादव, अहिराड़ी के सुनील कुमार एवं मायापुर के राकेश सिंह यादव ने बताया कि खेतों में लगी फसल बर्बाद हो गई। स्थिति यह है कि फसल काटने का मन नहीं कर रहा है। गेहूं की फसल को अधिक नुकसान हुआ है। 60 से 70 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गया है। उधर हसपुरा में हालात बदतर हैं। खेतों के अलावा खलिहान में रखे गए फसल के सड़ने की चिंता किसानों को सता रही है। बारिश से चना, गेहूं समेत अन्य रबी फसल बर्बाद हुए हैं। रामपुर कैथी गांव के किसान शिवकुमार सिंह, लोकनाथ सिंह, श्यामा सिंह, कपिलदेव सिंह, रामकृपाल सिंह ने बताया कि बारिश एवं आंधी ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। पानी से खेत में लगा चना अंकुरित होकर बर्बाद हो गया। बिक्री करने की प्रतिक्षा में खलिहान में रखा धान भी पानी से भींग गया है। बघोई गांव के किसान वीरभद्र सिंह, रघुराज सिंह के अलावा गहना, डुमरा, रतनपुर, मनपुरा, सोनहथु गांव के किसानों का कहना है कि जब तक सरकार मुआवजा नहीं देगी किसानों के हालात नहीं सुधरेंगे। गांवों में किसान बेचैन हैं परंतु मुआवजा के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिल रहा है।

क्या कहते हैं डीएओ

डीएओ शैलेंद्र ओझा ने बताया कि बारिश से किसानों को 50 प्रतिशत से अधिक फसल का नुकसान हुआ है। अधिकारिक तौर पर रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है।

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