Car Buyer Guide: कार का मॉडल पसंद करने में हो रही कंफ्यूजन, तो पढ़ें ये लेख निर्णय लेने में होगी आसानी

Car Buyer Guide एक ही कार के दो मॉडल्स की कीमतों में भारी फर्क होता है। ऐसा कार के अलग-अलग वैरिएंट के हिसाब से होता है। जिसमें बेस से लेकर टॉप मॉडल्स व उसके बीच के मॉडल्स भी आते हैं।

By Rishabh ParmarEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 04:53 PM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 04:53 PM (IST)
Car Buyer Guide: कार का मॉडल पसंद करने में हो रही कंफ्यूजन, तो पढ़ें ये लेख निर्णय लेने में होगी आसानी
एक ही कार के दो मॉडल्स के दामों में होता है जमीन आसमान का फर्क

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। जब आप पहली बार एक नई कार खरीदने का प्लान बनाते हैं, तो आपके दिमाग में अपनी कुछ पसंदीदा कारें होती हैं जिन्हें आप फुल फीचर्स के साथ खरदीना चाहते हैं। लेकिन कई बार आपको शोरूम पर पहुंच कर पता चलता है कि, आपने जिस कार को अपने बजट में देखा था, वो उससे काफी महंगी है। दरअसल, ये फर्क कार के वेरिएंट्स का होता है, बेस वेरिएंट और टॉप वेरिएंट कार के दामों में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी बातें जिन्हें जानकर कार के मॉडल को चुनने का आपका काफी हद तक टेंशन खत्म हो जाएगा और आपको अपने बजट के हिसाब से एक कार का सही मॉडल खरीदने में मदद मिलेगी।

तय करें बजट : एक कार खरीदने से पहले अपना बजट तय कीजिए उसके बाद आप यह भी सुनिश्चित कीजिए कि आपको अपने बजट के अंदर कार में क्या-क्या फीचर्स चाहिये। क्योंकि एक कार के सिर्फ बेस या टॉप दो ही वैरिएंट नहीं होते बल्कि कंपनी उसे अलग-अलग ग्राहकों की सहुलियतों के आधार पर फीचर्स की कैटेगेरी में रखती है। अमूमन कारें बेस, और टॉप मॉडल के बीच में सेकेंड टॉप और एक मिड रेंज वाले मॉडल्स में बंटी हुई होती है। अगर उदाहरण के तौर पर हम महिंद्रा एक्सयूवी 300 लें तो यह कार 4 वैरिएंट में उपलब्ध है। जिनमें W4 से लेकर W8(O) तक शामिल हैं। जिसमें W4 कार का बेस वेरिएंट है और W8(O) टॉप, जहां XUV 300 W4 वैरिएंट में आपको कुछ भी एडवांस टेक्नोलॉजी के फीचर्स देखने को नहीं मिलेंगे। तो वहीं W8(O) फुली फीचर लोडेड होगी। वहीं इन दोनों के बीच के मॉडल W6 में आपको बेस से ज्यादा और टॉप मॉडल से कम फीचर्स मिलते हैं।

फीचर्स में अंतर: आप किसी कार का बेस वेरिएंट खरीदते हैं, तो उसके इंटीरियर और एक्सटीरियर में टॉप मॉडल या सेकेंड टॉप के मुकाबले कुछ फर्क देखने को मिलेंगे, जैसे आपकी बेस वेरिएंट कार में सीट की कुशनिंग में फर्क दिख सकता है। इसके अलावा डोर हैंडल्स में बॉडी कलर नहीं मिलेगा। कार में ऑटोमैटिक फीचर्स जैसे रेन सेंसिंग वाइपर, इलेक्ट्रिक एडजेस्टेबल ओआरवीएम, डी-फॉगर स्टीयरिंग व्हील कंट्रोल्स, हैंडरेस्ट, जैसी चीज़ें देखने को नहीं मिलती हैं, जो कि टॉप वेरिएंट में उपलब्ध होती है।

टॉप मॉडल : अब तक हमने आपको बेस और टॉप मॉडल की कारों में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों के बारे में बताया, लेकिन किसी कार के टॉप मॉडल में कंपनी फिटेड म्यूजिक सिस्टम, टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, पुश स्टार्ट बटन फीचर, कार के एलॉय, व्हील, हेडलाइट की क्वालिटी में फर्क और फ्रंट बंपर के ग्रिल की फिनिशिंग, फॉग लैप्स, रियर पार्किंग कैमरा, हाइट एडजेस्टेबल ड्राइवर सीट जैसी अन्य चीज़ें मिलती हैं जो किसी भी कार के टॉप मॉडल में ही होती हैं, बेस मॉडल में नहीं होती। इस लिए एक ही कार के दो वेरिएंट्स के दामों में काफी फर्क देखने को मिलता है, तो जब भी आप कार खरीदने जाएं तो अपनी सहूलियत के हिसाब से उसके मॉडल का चयन करें।

अपने बजट के हिसाब से करें कार का चयन : यूं तो कारों में इन दिनों तमाम अत्यधुनिक फीचर्स आ गए हैं। लेकिन अगर आपका बजट ज्यादा नहीं है और आप अपनी पसंदीदा कार खरीदना चाहते हैं तो हम आप से यही कहेंगे कि जो आपकी जरूरत के हों केवल उन्हीं फीचर्स के साथ कार को खरीदें, जो आपको लगता होगा कि ये फीचर्स अधिक काम के नहीं हैं और इनके बिना भी आपका काम चल सकता है, तो उन फीचर्स को छोड़ दें। इससे आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा और आप अपनी पसंद की कार खरीद भी सकते हैं।

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