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‘खाने के किस्से कहानियां’ में देखिए, लखनऊ की गली से निकलकर पूरी दुनिया में कैसे मशहूर हुआ ‘टुंडे कबाबी’

‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज के तीसरे एपिसोड में हम आपको ले चलते हैं. ‘लखनऊ’

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Wed, 02 May 2018 07:08 PM (IST)Updated: Thu, 03 May 2018 05:14 PM (IST)
‘खाने के किस्से कहानियां’ में देखिए, लखनऊ की गली से निकलकर पूरी दुनिया में कैसे मशहूर हुआ ‘टुंडे कबाबी’
‘खाने के किस्से कहानियां’ में देखिए, लखनऊ की गली से निकलकर पूरी दुनिया में कैसे मशहूर हुआ ‘टुंडे कबाबी’

भारत एक ऐसा देश जहां आपको विविधताएं मिलेंगी,  इन विविधताओं की अपनी एक खासियत है. इन्हीं खासियतों के चलते हर शहर में कुछ न कुछ खास है. इन शहरों से जुड़ी है इनके जायकों की कहानियां. इन जायकों को मशहूर किया है इंडिया के आइकॉनिक रेस्टोरेंट ने. यहां की टेस्टी डिशेज आज भी उतनी ही मशहूर है, जितनी आजादी से पहले हुआ करती थी. 

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‘खाने के किस्से कहानियां’ जो आपको इनकी पहचान से रू-ब-रू करवाएंगी

‘जागरण डॉट कॉम’ लेकर आया है स्वाद की दुनिया से ऐसी ही कहानियां जिन्हें देखकर आप कह उठेंगे ‘वाह’. दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर शुरू ‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज में आप देख पाएंगे इंडिया के अलग-अलग शहरों के आइकनिक रेस्तरां और उनकी कहानी. जिनकी फेमस डिशेज व खाने के स्वाद ने बरसों बाद भी लोगों को अपना बना रखा है. 

 ‘खाने के किस्सें कहानियां’ में देखिए, ‘लकी रेस्टोरेंट’ की लजीज बिरयानी का सफर

लखनऊ की गलियों से निकलकर मशहूर हुआ ‘टुंडे कबाबी’

‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज के तीसरे एपिसोड में हम आपको ले चलते हैं. ‘लखनऊ’. जब आप बात करते हैं लखनऊ के जायकों की, तो सबसे पहले जहन में आता है यहां के टुंडे कबाब. टुंडे कबाब के लिए मशहूर है, लखनऊ का ‘टुंडे कबाबी’ रेस्टोरेंट. जिसका सफर शुरू हुआ आजादी से पहले 1905 में. इसकी शुरूआत की थी, हाजी मुराद अली ने. जिनका एक ही हाथ था और वो अपने एक ही हाथ से लजीज कबाब बनाया करते थे. जिसकी वजह से नाम पड़ा ‘टुंडे’ के कबाब. जो बदलते वक्त के साथ बन गया ‘टुंडे कबाबी’. 

देखिए ‘खाने के किस्‍से कहानियां’: स्‍वाद जो आजादी के बाद दिल्‍ली के दिल में बस गया


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