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रेगिस्तान की झुलसा देने वाली गर्मी में बना है ये गर्ल्स स्कूल, बिना AC और कूलर के भी रहता है कूल-कूल

राजस्थान के जैसलमेर में थार रेगिस्तान के बीच शान से खड़ा राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल भारतीय कारीगरों के हुनर का जीता जागता सबूत है। खास बात है कि राजस्थान में जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है वहां 22 बीघा जमीन में फैला हुआ यह स्कूल बिना किसी एसी या कूलर के भी खुद को ठंडा रखने की क्षमता रखता है। आइए जान लीजिए इसकी खासियत।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Published: Fri, 29 Mar 2024 09:55 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 09:55 PM (IST)
रेगिस्तान की झुलसा देने वाली गर्मी में बना है ये गर्ल्स स्कूल, बिना AC और कूलर के भी रहता है कूल-कूल
जानिए राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की खासियत

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Rajkumari Ratnavati Girls School: भारत और पाकिस्तान की सरहद पर मीलों दूर तक फैले थार रेगिस्तान के रेतीले तूफानों की गोद में मौजूद है, राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल। बता दें, राजस्थान के जैसलमेर में जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, वहीं इस अनोखे स्कूल में एक भी एयर कंडीशनर नहीं लगाया गया है। आइए आपको बताते हैं इससे जुड़े दिलचस्प बातें।

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सैंडस्टोन से बनी है बिल्डिंग

यह वेस्टर्न डिजाइन, इंडियन क्राफ्ट्समैनशिप और प्रकृति को बखूबी इस्तेमाल करने वाला ऐसा स्कूल है, जहां थार रेगिस्तान की झुलसा देने वाली गर्मी में भी एसी की जरूरत नहीं पड़ती है। अमेरिका की मशहूर आर्किटेक्ट डायना केलॉग (Diana Kellogg) ने इसे डिजाइन किया है। चूंकि, राजस्थान की गर्मी से बचाने का सॉल्यूशन जैसलमेर के पत्थरों में ही मौजूद है, ऐसे में इस स्कूल की बिल्डिंग भी लोकल सैंडस्टोन से ही बनी है, जो इसे तपती गर्मी में भी ठंडा रखने में मदद करता है।

गर्मी से बचने के लिए छत पर स्पेशल ट्रीटमेंट

मीडिया रिपोर्ट में एक क्राफ्ट्समैन के मुताबिक, मिस्तरी के गणित में यह बताया जाता है कि सीलिंग की हाइट जितनी ऊपर ली जाती है, उतना ही रूम भी ठंडा रहता है। स्कूल की छत पर भी एक ट्रीटमेंट किया गया है, जिसमें सीलिंग के नीचे लाइम प्लास्टर है, तो वहीं ऊपर की टाइल्स पर चीनी-मिट्टी की टुकड़ी बनाकर लगाई गई है, ताकि गर्मी को नीचे जाने से रोका जा सके।

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सोलर पैनल से बनती है स्कूल की बिजली

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल में सिर्फ सूरज की गर्मी से बचने का ही इंतजाम नहीं है, बल्कि यहां यूनिक सोलर पैनल्स की मदद से इसका इंतजाम भी किया जाता है। इससे स्कूल की बिजली तो तैयार होती ही है, साथ ही यह एक्सट्रीमली एनवायरमेंट फ्रेंडली होते हुए बच्चों को छाया भी देता है। यहां से सीढ़ियां भी चढ़ाई गई हैं, ऐसे में बच्चे धूप से बचते भी हैं, और यहां बैठ भी सकते हैं।

नेचुरल कूलिंग पैनल मौजूद

बिल्डिंग की शेप, ऊंची छत और जगह-जगह लगीं जालियां, धूप को दूर रखने का काम करती हैं। इसका अनोखा आकार हवा के बहाव को कंट्रोल करने के साथ एक कूलिंग पैनल का भी काम करता है। कुल मिलाकर राजस्थान के बीच शान से खड़ा यह स्कूल भारतीय कारीगरों के हुनर का जीता जागता सबूत है।

क्या है स्कूल को बनाने का मकसद?

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल का निर्माण लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है। यहां पढ़ने वाली लड़कियों से कोई फीस नहीं ली जाती है, इसके अलावा उन्हें खाना भी मुहैया कराया जाता है। ऐसे में यह स्कूल नन्हें चेहरों पर मीठी सी मुस्कान की वजह भी बना हुआ है। 22 बीघा जमीन में फैला हुआ यह स्कूल अमेरिका के नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन CITTA की एक पहल है।

किंडरगार्टन से 10वीं तक की पढ़ाई

स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों की यूनिफॉर्म मशहूर डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी द्वारा तैयार की गई है। यहां लड़कियां किंडरगार्टन से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई कर सकती हैं। इसके अलावा यहां 400 लड़कियों के रहने की भी व्यवस्था है। एडमिशन की बात करें, तो यहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की बेटियों को तवज्जो दी जाती है।

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Picture Courtesy: X


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