सर्दी के मौसम में अक्सर हो जाती हैं ये बीमारियां, जान लीजिए बचाव के उपाय भी
कहते हैं कि किसी रोग का इलाज करने से बेहतर है उससे बचाव करना। यह बात इस मौसम में होने वाली कुछ बीमारियों पर भी लागू होती है। आइए जानें, इस मौसम में होने वाली बीमारियों के बारे में...
सर्दी का मौसम उत्तर भारत को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। इस मौसम की अपनी खूबियां हैं, तो वहीं कुछ खामियां भी। सर्दियों में सेहत के प्रति लापरवाही बरतने पर बच्चों से लेकर वयस्कों तक में कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप इस मौसम में आम तौर पर होने वाले रोगों से बच सकते हैं...
चिलब्लेन
पैरों और हाथों की उंगलियों में ठंड लगना, उंगलियों का नीला या लाल
होना और दर्द व खुजली होने को मेडिकल भाषा में चिलब्लेन कहते
हैं। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में ही होती है। आप दस्ताने और जुराव का प्रयोग सर्दी के शुरुआती दौर से ही करें। कम सर्दी में सूती और ज्यादा सर्दी में सूती और ऊपर से ऊनी जुराव और दस्ताने पहनें। समस्या होने पर गर्म पानी से सिकाई करें। ध्यान रहे कि पानी ज्यादा गर्म न हो।
क्या है हाइपोथर्मिया
इसका मतलब है, शरीर का तापमान कम हो जाना। वयस्कों खासकर बुजुर्र्गों और बच्चों के शरीर से गर्मी जल्द ही बाहर निकल जाती है। यदि उपयुक्त सावधानियां न बरती जाएं, तो वे हाइपोथर्मिया के शिकार हो सकते हैं। लापरवाही बरतने पर यह समस्या गंभीर हो सकती है।
जानें लक्षणों को
- शरीर का ठंडा पड़ जाना।
- बेसुध होना।
- हृदय गति और सांस गति का धीमा पड़ना।
ऐसे करें बचाव
- बाहर जाने के पहले उपयुक्त ऊनी कपड़े पहनें।
- एक या दो मोटे कपड़े पहनने के बजाए कई लेयर वाले पतले कपड़े पहनें।
- बीमार, विकलांग या बुजुर्ग लोगों का खास ध्यान रखें। ये लोग कंबल
रजाई आदि का प्रयोग करें।
- ज्यादा ठंड में बाहर जाने से बचें।
- गर्म पेय पदार्थ का प्रयोग करें।
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फ्लू
यह एक प्रकार के वायरस यानी इन्फ्लूएंजा से होने वाली बीमारी है।
लक्षण
- तेज बुखार और बदन-दर्द।
- सिर दर्द और गले में दर्द।
- खांसी आना और कभी-कभी सांस लेने में समस्या।
बचाव ही बेहतर
- मौसम में बदलाव से पहले हर साल फ्लू का टीका लगवाएं।
- तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
- बुखार और दर्द के लिए पैरासीटामोल का प्रयोग करें।
- बीमार लोगों को घर पर रहकर आराम करना चाहिए, जब तक अति आवश्यक न हो, सार्वजनिक जगह पर न जाएं।
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्र्थों का सेवन करें।
- साफ -सफाई का ध्यान रखें।
ये हैं उपाय
- फ्लू के टीकाकरण के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
- गर्म कपड़े पहनें और सिर व कान को जरूर ढ़ककर रखें।
- दवाएं नियमित रूप से लें।
- खाने में हल्दी, अदरक, तुलसी, काली मिर्च और केसर आदि का प्रयोग करें।
दमा और ब्रॉन्काइटिस
सर्दियों में सांस की समस्याएं (खासकर दमा और ब्रॉन्काइटिस) ज्यादा होती हैं। जिन लोगों को एलर्जी की या सांस से संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास रहा है, उन्हें इस मौसम में बीमारी के तेज होने का खतरा रहता है।
ऐसे पहचानें
- सांस फूलना।
- सांस से सांय-सांय की आवाज आना।
- पीला या सफेद बलगम आना।
- खांसी का बढ़ जाना।
- रात को सो न पाना।
- सुस्ती आना।
- सीने में जकड़न।
करें बचाव: दमा रोगी अपने डॉक्टर से मिलकर इन्हेलर की डोज नए सिरे से निर्धारित करें।
(डॉ.सुशीला कटारिया, सीनियर फिजीशियन, मेदांत दि मेडिसिटी, गुड़गांव)