होली पर अगर रखेंगे ये सावधानियां तो नहीं पड़ेगा रंग में भंग, मजा भी हो जाएगा दोगुना
रंगों के इस त्योहार में आप द्वारा बरती गयीं कुछ सावधानियां आपकी खुशियों को दोगुना कर सकती हैं। यदि आप रंग में भंग नहीं चाहते तो कुछ सुझावों पर अमल करें-
अधिकतर मामलों में ऐसा देखने में आया है कि होली पर रंग खेलने के संदर्भ में जरा सी असावधानी सबसे ज्यादा आंखों को प्रभावित करती है। बावजूद इसके, कुछ सजगता बरतकर आपकी आंखें सुरक्षित रह सकती हैं...
- पानी के गुब्बारे से होली खेलने में आंख पर जोर से लगने पर चोट के अलावा आंख का पर्दा अपनी जगह से हटकर आपकी दृष्टि को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए पानी के गुब्बारे से होली न खेलें।
- अक्सर रंगों को अधिक पक्के बनाने के चक्कर में विभिन्न उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले रंगों की मिलावट होती है। उद्योगों से संबंधित ये रंग आपके कपड़ों को रंगने में प्रयोग के लिये बने होते हैं। ऐसे रंग आपकी त्वचा व आंख में लालिमा और एलर्जी की समस्या पैदा कर सकते हैं।
- गुलाल में अक्सर पिसा हुआ शीशा या अन्य चमकने वाली धातु का मिश्रण होता है। गुलाल आंख में पड़ने पर आंख में लालिमा और खुजली से लेकर घाव व संक्रमण तक उत्पन्न कर सकता है।
ऐसे टालें खतरों को
- जहां तक हो सके, प्राकृतिक व हर्बल रंगों का इस्तेमाल करें। जो रंग जितना प्राकृतिक होगा, वह पानी में उतनी आसानी से घुल जाएगा।
- जब कोई रंग लगाए, तो आंख व मुंह बंद रखें।
- जहां तक हो सके, सूखे चमकने वाले रंगों का प्रयोग न करें।
- ऐसे लोगों से दूर रहें, जो गुब्बारे और कीचड़ से होली खेलते हैं।
- होली के दिन कॉन्टेक्ट लैंस का प्रयोग न करें। अपने चश्मे से काम चलाएं। यदि कॉन्टेक्ट लैंस बहुत जरूरी हो, तो डिस्पोजेबल लेंस का प्रयोग करें, जिन्हें आप होली खेलने के बाद फेंक सकें।
- यदि आंख का ऑपरेशन हाल में ही हुआ हो अथवा आंख का और कोई इलाज चल रहा हो, तो ऐसे में होली न खेलें।
- यदि संभव हो, तो धूप का चश्मा पहनकर होली खेलें।
- होली के रंग धोते समय गुनगुने पानी का प्रयोग करें और अपनी आंखें बंद करके ही मुंह व सिर धोएं।
समस्या का ऐसे करें समाधान
विभिन्न सावधानियों के बाद भी आंख से संबंधित समस्या से इस प्रकार निपटें ...
क्या करें जब आंख में रंग पड़ जाए
यदि रंग के कारण आंख में पानी, लालिमा, खुजली और चुभन आदि महसूस हो, तो तुरन्त आंख को अच्छी तरह
से साफ पानी से धोएं। आंख को मलें या रगड़ें नहीं। कुछ घंटे बाद भी यदि तकलीफ कम न हो, तो नेत्र-चिकित्सक
से संपर्क करें।
गुब्बारे आदि से चोट लगने पर
यदि चोट इतनी तेज लगे कि आंख में खून दिखाई दे और दृष्टि प्रभावित हो, तो ऐसे में आंख को धोएं नहीं केवल
आंख को बंद करके या किसी साफ कपड़े से ढककर तुरन्त निकटतम अस्पताल से संपर्क करें।
ध्यान दें
किरकिराहट, जलन, पानी आना, लाली आना, रोशनी में आंख न खुलना (फोटोफोबिया), निगाह में कमी होना
आदि लक्षण यदि बरकरार रहें, तो अपने नेत्र चिकित्सक से शीघ्र ही परामर्श लें।
डॉ. दिलप्रीत सिंह, नेत्र चिकित्सक
केमिकल कलर्स से बचें
रंगों में विभिन्न प्रकार के केमिकल्स हो सकते हैं, जिनका प्रभाव त्वचा पर खराब पड़ता है। ऐसे रंगों से कुछ लोगों में एलर्जी की समस्या पैदा हो सकती है। इसी तरह जिन लोगों को दमा की समस्या है, उन्हें भी इन केमिकल कलर्स से एलर्जी हो सकती है। एलर्जी होने पर प्रभावित त्वचा पर साबुन का इस्तेमाल न करें। सिर्फ प्रभावित त्वचा को पानी से ही धोएं। फिर त्वचा पर नारियल का तेल और बेबी ऑयल का ही इस्तेमाल करें। केमिकल्स रंगों से आंखों की एलर्जी, त्वचा की एलर्जी और बालों में ड्राइनेस आदि समस्याएं पैदा हो सकती हैं। रंगों के मुंह के जरिये पेट में जाने पर पेट दर्द भी हो सकता है। मेरी राय में आर्गेनिक या फिर नेचुरल कलर्स से ही होली खेलना स्वास्थ्य के लिए, लाभप्रद है। इसके साथ ही होली खेलने के मामले में किसी के साथ जोर-जबर्दस्ती न करें। होली का बहाना करके हुड़दंग न मचाएं और किसी भी तरह के नशे से दूर रहें।
डॉ. सुशीला कटारिया, सीनियर फिजीशियन,
मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव
मिलावटी खाद्य पदार्थों से सावधान
होली पर मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामले बढ़ जाते हैं। खोवा और अन्य खाद्य पदार्थों को खरीदने से पहले बेचने वाले और उसकी शॉप की विश्वसनीयता के बारे में अच्छी तरह से जान लें। मेरी राय में होली के अवसर पर बनने वाले परंपरागत खाद्य पदार्थ जैसे गुझियां और दही बड़ा आदि का सेवन नुकसानदायक नहीं हैं, लेकिन याद रखें, अधिकता किसी भी वस्तु की नुकसानदायक होती है। जहां तक संभव हो, तो घर पर ही विभिन्न खाद्य पदार्थों को तैयार करें। शराब, भांग और मादक पदार्र्थों का सेवन न करें। लिक्विड या तरल पदार्र्थों का सेवन करें। जैसे पानी, नीबू-पानी, सूप आदि। आर्गेनिक या फिर नेचुरल कलर्स त्वचा के लिए नुकसानदायक नहीं हैं। रंग खेलने से पहले शरीर पर तेल या क्रीम लगाने पर त्वचा पर असर कम पड़ता है।
रितिका समादार, चीफ न्यूट्रीशनिस्ट
मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली
-जेएनएन