दक्षिण कोरिया में क्यों है तीन बार ब्रश करने का चलन, सिर्फ पर्सनल हाइजीन या कुछ और भी है वजह?
आमतौर पर दिन में दो बार ब्रश करना अच्छी ओरल हेल्थ के लिए जरूरी माना जाता है। लेकिन दक्षिण कोरिया के लोग कुछ और मानते हैं। यहां दो बार नहीं, बल्कि दिन में तीन बार ब्रश करने का चलन है। जी हां, यहां लोग ऑफिस में हो या किसी अन्य जगह, लंच करने के बाद भी ब्रश करते हैं और इसके पीछे पर्सनल हाइजीन के अलावा भी कुछ वजह है।

क्या है ब्रश करने का ट्रिपल थ्री फॉर्मूला? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लंच खत्म होते ही अगर आप किसी दक्षिण कोरियाई ऑफिस में जाएं, तो एक अनोखा नजारा देखने को मिलेगा। हर कोई अपने-अपने टूथब्रश और मिंट टूथपेस्ट लेकर वॉशरूम की ओर बढ़ता है (South Korean Brushing Culture)। यह किसी ऐड की शूटिंग नहीं, बल्कि वहां की रोजमर्रा की संस्कृति है।
जी हां, आमतौर पर लोग दिन में दो बार ब्रश करते हैं, लेकिन दक्षिण कोरिया में ऐसा नहीं है। यहां लोग दिन में तीन बार ब्रश करते हैं (Korean Dental Hygiene Practices)। दरअसल, यहां दांत साफ करना केवल पर्सनल हाइजीन नहीं, बल्कि पब्लिक एटीकेट माना जाता है। यानी यहां साफ-सुथरी मुस्कान को अच्छे व्यवहार और आत्म-अनुशासन की पहचान समझा जाता है।
क्या है ट्रिपल थ्री फॉर्मूला?
कोरिया में ब्रश करना एक तरह का पब्लिक रिचुअल बन चुका है, जिसके तीन खास नियम हैं- दिन में तीन बार ब्रश करना, हर खाने के तीन मिनट के भीतर और पूरे तीन मिनट तक। इसी को “ट्रिपल थ्री फॉर्मूला” कहा जाता है। यह फॉर्मूला न केवल दांतों को स्वस्थ रखता है, बल्कि सांसों की दुर्गंध की समस्या को भी दूर रखने में मदद करता है।

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स्कूलों से शुरू होती है ब्रशिंग की ट्रेनिंग
यह आदत कोरियाई बच्चों में बचपन से डाली जाती है। किंडरगार्डन और डे-केयर सेंटर्स में बच्चों को समूह में ब्रश करना सिखाया जाता है। टीचर्स उन्हें सही ब्रशिंग तकनीक, ब्रश की अवधि और समय की अहमियत बताते हैं। स्कूलों में लंबे सिंक और स्पेशल टूथब्रशिंग जोन बनाए जाते हैं, जहां बच्चे एक साथ ब्रश करते हैं। यह सिर्फ दांत साफ करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि अनुशासन और सामूहिक जिम्मेदारी सिखाने का तरीका भी है।
ऑफिसों और पब्लिक स्पेस में भी दिखता है यह कल्चर
दक्षिण कोरिया में यह आदत केवल स्कूलों तक सीमित नहीं। कॉर्पोरेट ऑफिस, मॉल, कैफे, बस स्टेशनों और रेलवे प्लेटफॉर्म तक हर जगह लोगों को लंच या स्नैक्स के बाद ब्रश करते देखा जा सकता है। यहां सार्वजनिक वॉशरूम में लंबे सिंक और कई नल लगाए जाते हैं, ताकि लोग आराम से ब्रश कर सकें। कोरियाई लोगों के लिए ब्रश करना रूटीन का उतना ही अहम हिस्सा है जितना कॉफी ब्रेक लेना।
कैसे शुरू हुआ यह ट्रेंड?
इस आदत की जड़ें 1980 के दशक में हैं। उस समय कोरियन डेंटल एसोसिएशन ने देशभर में ओरल हेल्थ कैंपेन शुरू किया था। इसका उद्देश्य लोगों को दांतों की सफाई के लिए जागरूक बनाना था। दरअसल, कोरियाई खाने में लहसुन का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है, जिससे सांसों में गंध आने की समस्या होती थी। इसी कारण विशेषज्ञों ने दिन में तीन बार ब्रश करने की सलाह दी। धीरे-धीरे यह कैंपेन उनकी संस्कृति में रच-बस गया और अब यह कोरियाई जीवनशैली का एक अहम हिस्सा है।
ट्रिपल थ्री फॉर्मूला क्यों अपनाया गया?
यह फॉर्मूला न केवल डेंटल हेल्थ को बेहतर बनाता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। साफ दांत और ताजा सांसें सामाजिक बातचीत में सहजता लाती हैं। यही कारण है कि आज दक्षिण कोरिया में ब्रश करना ‘हाइजीन हैबिट’ नहीं, बल्कि ‘कल्चर कोड’ बन चुका है।

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