Move to Jagran APP

Chandrayaan 3: खूबसूरत है मगर चांद पर भी दाग हैं, जानें कैसे बने इसमें इतने गड्ढे और धब्बे

Chandrayaan 3 पूरी दुनिया आज भारत पर टकटकी लगाए हुई है। आज भारत इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करने वाला है। कुछ ही देर में हमारा चंद्रयान चांद की सहत पर लैंड करने के लिए तैयार है। खूबसूरती के पर्याय चांद पर भी दाग-धब्बों नजर आते हैं। आइए जानते हैं कैसे बने चांद पर इतने धब्बे और गड्ढे-

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaPublished: Wed, 23 Aug 2023 05:01 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2023 05:01 PM (IST)
जानें चांद पर क्यों हैं इतने दाग-धब्बे?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Chandrayaan 3: हमारे देश में लोग चांद को कई तरीके से देखते आए हैं। एक बच्चे के लिए यह चंदा मामा है, किसी प्रेमी के लिए उसकी प्रेमिका, तो किसी के लिए यह चंद्र देवता हैं। बीते कई समय से हम चांद पर कई शेर-शारियां, गाने आदि लिखते आए हैं। आज इसी चांद का नाम हमारे इतिहास के पन्नों में एक नई तरह के लिखा जाने वाला है। भारत आज चांद की धरती पर एक नया इतिहास रचने वाला है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का चंद्रयान कुछ ही समय बाद चंद्रमा पर लैंड करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

हम सभी ने अक्सर चांद को देखा होगा। कभी टीवी पर तो कभी किताबों में। इसके अलावा बीते कुछ दिनों से हमारा चंद्रयान भी लगातार चांद की नई-नई तस्वीरें जारी कर रहा है। बचपन से भी हम सबने यह देखा और सुना है कि बेहद खूबसूरत होने के बाद ही चांद पर दाग और धब्बे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चांद पर आखिर यह दाग-धब्बे और गड्ढे़ क्यों और कैसे पड़े। अगर आप आज तक इस बात से अनजान हैं, तो आज हम आपको बताएंगे चांद में धब्बे और गड्ढे़ होने का कारण-

करीब 45 लाख साल पुराना है चांद

आज से करीब 45-50 लाख साल पहले चांद बना था। उस दौरान अंतरिक्ष में चल रही पत्थरबाजी की वजह से बड़ी-बड़ी चट्टानें तेज गति से इधर-उधर भाग रही थीं। इस वजह से बड़ी-बड़ी चट्टानें यानी एस्टेरॉइड और मीटियोर, जिसे हिंदी में क्षुद्र ग्रह और उल्का पिंड बोलते हैं, आकर चांद से टकराईं और इस तरह चांद पर गड्ढे़ बन गए, चांद पर मौजूद इन गड्ढों को क्रेटर बोलते हैं।

जब अंतरिक्ष में मौजूद बड़ी-बड़ी चट्टानें चांद की सतह से टकराती हैं, तो ये क्रेटर बना देती हैं। एस्टेरॉइड और मीटियोर की टक्कर से बने गड्ढे तो समझ आते हैं, लेकिन अगर आप यह सोच रहे हैं कि आखिर चांद पर धब्बे कैसे पड़े, तो चलिए अब आपको इसकी वजह भी बता देते हैं।

मारिया कहलाते थे चांद के धब्बे

चांद पर नजर आने वाले इन दाग-धब्बों को पहले एस्ट्रोनॉमर्स ने मारिया नाम दिया था। लैटिन भाषा में मारिया का मतलब समुद्र होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि चांद के धब्बों और इस नाम में क्या कनेक्शन है, तो आपको इसकी वजह भी बता देते हैं। दरअसल, पहले एस्ट्रोनॉमर्स को ऐसा लगता था कि चांद पर मौजूद ये धब्बे चांद के समुद्र थे, जो अब सूख चुके हैं। हालांकि, यह चांद पर पहुंचने से पहले की की समझ थी। जब हम चांद पर पहुंचे, तो मामला कुछ और ही था।

इसलिए नजर आते हैं चांद में दाग

चांद से लाए गए सैंपल्स (चट्टानों के टुकड़े) से पता चला कि ये चांद के काले धब्बे समुद्र ही थे, लेकिन इन समुद्रों में पानी नहीं, बल्कि यहां लावा भरा हुआ था। जब बड़ी-बड़ी चट्टानें चांद से टकराईं तो, इसमें बड़े-बड़े गड्ढे बन गए। ये चट्टानें इतनी बड़ी थीं कि धमाके की वजह से चांद की बाहरी सतह फट गई और इनके अंदर मौजूद लावा बाहर आकर चांद के गड्ढों में भर गया। बाद में जब यह लावा ठंडा हुआ तो वहीं जमकर बेसॉल्ट की काली चट्टानों में बदल गया, जो आज हमें काले धब्बे के रूप में दिखता है।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.