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Study: टाइपिंग की जगह हाथ से लिखेंगे तो हमेशा रहेगा याद!

इस डिजिटल एज में हम अपना ज्यादातर काम लैपटॉप या टैबलेट पर करते हैं जिस कारण से लिखने के लिए हम कीबोर्ड का इस्तेमाल करते हैं। इस बारे में हाल ही में एक स्टडी की गई है कि हाथ से लिखने और कीबोर्ड पर टाइप करने से हमारे दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कि क्या पाया गया इस स्टडी में।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaPublished: Mon, 29 Jan 2024 02:14 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jan 2024 02:14 PM (IST)
हाथ से टाइप करना याददाश्त के लिए है फायदेमंद

एजेंसी, नई दिल्ली। Study:  क्या आप भी अपने मस्तिष्क कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना चाहते हैं? अगर हां, तो एक अध्ययन से पता चला है कि कीबोर्ड पर टाइप करने के बजाय हाथ से लिखें। अक्सर कीबोर्ड से लिखने को ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि यह हाथ से लिखने की तुलना में ज्यादा तेज होता है और काम जल्दी-जल्दी हो जाता है। हालाँकि, यह पाया गया है कि हाथ से लिखने की वजह से वर्तनी सटीकता और मेमोरी रिकॉल में सुधार होता है।

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यह पता लगाने के लिए कि क्या हाथ से लिखने की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप मस्तिष्क कनेक्टिविटी अधिक होती है, नॉर्वे में शोधकर्ताओं ने अब लिखने के दोनों तरीकों में शामिल न्यूरल नेटवर्क (Neural Network), जो भीतर स्थित होते हैं, की जांच की। नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मस्तिष्क शोधकर्ता प्रोफेसर ऑड्रे वैन डेर मीर ( Prof. Audrey van der Meer) ने कहा, " हमने यह दर्शाने की कोशिश की है कि हाथ से लिखते समय, मस्तिष्क कनेक्टिविटी पैटर्न, कीबोर्ड पर टाइप करने की तुलना में कहीं अधिक विशाल होते हैं। पेन से लिखते समय हाथ की गतिविधियों से दृश्य और गतिविधि की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है, जो ब्रेन कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ, याददाश्त बढ़ाने और नई जानकारी एनकोड करने और सीखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में, टीम ने 36 विश्वविद्यालय के छात्रों से ईईजी डाटा एकत्र किया, जिन्हें बार-बार स्क्रीन पर दिखाई देने वाले शब्द को या तो लिखें या टाइप करने के लिए प्रेरित किया गया। लिखते समय, वे टचस्क्रीन पर कर्सिव में लिखने के लिए एक डिजिटल पेन का उपयोग करते थे और टाइप करते समय वे कीबोर्ड का बटन दबाने के लिए एक उंगली का उपयोग करते थे।

हाई-डेंसिटी वाले ईईजी, जो एक जाल में सिले हुए 256 सेंसर की मदद से इलेक्ट्रिक गतिविधि को नापने के लिए सिर के ऊपर रखे गए और इनके उपयोग से हर पांच सेकंड के लिए मस्तिष्क में होने वाली इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया गया। जर्नल फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि जब प्रतिभागियों ने हाथ से लिखा, तब उनके मस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई, लेकिन वहीं जब कीबोर्ड पर टाइप किया गया, तो दिमाग में ऐसा कोई रिएक्शन देखने को नहीं मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही उंगली से बटन को बार-बार दबाने की सरल क्रिया मस्तिष्क के लिए कम उत्तेजक होती है।

चूँकि यह अक्षर बनाते समय की जाने वाली उंगलियों की गति है, जो मस्तिष्क कनेक्टिविटी को बढ़ावा देती है, कागज पर असली पेन के इस्तेमाल से लिखने में भी समान परिणाम मिलने की उम्मीद की जा रही है। इससे यह भी पता चलता है कि जिन बच्चों ने एक टैबलेट में लिखना और पढ़ना सीखा है, उन अक्षरों के बीच अंतर करने में कठिनाई हो सकती है जो एक-दूसरे की मिरर इमेज (दर्पण छवियां) हैं, जैसे 'बी' और 'डी'। वैन डेर मीर ने कहा, "उन्होंने सचमुच अपने शरीर के साथ यह महसूस नहीं किया है कि उन अक्षरों को बनाने में कैसा महसूस होता है।"

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Picture Courtesy: Freepik


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