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World Spine Day 2021: अचानक सताने लगा है कमर दर्द, तो हो जाएं अलर्ट, हो सकती हैं ये 10 वजह

World Spine Day 2021 वर्क फ्रॉम होम ने रीढ़ से सम्बंधित कई समस्याओं को जन्म दिया है। इन समस्याओं में विशेष रूप से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और पीठ में दर्द की समस्या शामिल हैं क्योंकि लोगों ने अपने वर्कस्टेशन पर पर्याप्त ध्यान दिए बिना घर से काम करना शुरू कर दिया

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 10:50 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 10:50 AM (IST)
World Spine Day 2021: अचानक सताने लगा है कमर दर्द, तो हो जाएं अलर्ट, हो सकती हैं ये 10 वजह
अचानक सताने लगा है कमर दर्द, तो हो जाएं अलर्ट, हो सकती हैं ये 10 वजह

नई दिल्ली, रूही परवेज़। World Spine Day 2021: दुनियाभर में हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड स्पाइन डे (World Spine Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य रीढ़ की हड्डी से जुड़े रोगों के प्रति लोगों को जागरुक करना है। ऐसा इसलिए क्योंकि रीढ़ की हड्डी से संबंधी विकार विकलांगता के प्रमुख कारणों में से हैं। खासतौर पर महामारी में लोग घर पर रहकर 12-14 घंटे काम कर रहे हैं और फिज़ीकल एक्टिविटी काफी कम हो गई है, जिसकी वजह से कमर या पीठ दर्द की समस्या आम हो गई है।

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महामारी में क्यों बढ़ा है कमर दर्द?

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज बताते हैं, " वर्क फ्रॉम होम ने रीढ़ से सम्बंधित कई समस्याओं को जन्म दिया है। इन समस्याओं में विशेष रूप से सर्वाइकल, स्पॉन्डिलाइटिस और पीठ में दर्द की समस्या शामिल है। यह समस्या इसलिए बढ़ी है क्योंकि लोगों ने अपने वर्कस्टेशन पर पर्याप्त ध्यान दिए बिना घर से काम करना शुरू कर दिया, इसलिए वे बिस्तर या सोफे या डाइनिंग टेबल कुर्सियों या किसी अन्य जगर पर बैठकर काम करते रहे। जो चीज़ उन्हें उपलब्ध लगती थी वे उस पर लगातार 10 घंटे, 12 घंटे काम करते रहे। ये चीजें स्वास्थ्य के लिए सही नहीं थीं इसलिए हम अच्छी क्वालिटी वाले वर्कस्टेशन पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं, ये वर्कस्टेशन हमारे ऑफिस की तरह ही रहते हैं। हम अपनी कुर्सी पर सही तरीके से ध्यान दिए बिना घर से काम करना शुरू कर देते हैं और इससे रीढ़ की हड्डी की बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हम अपने कुछ ओपीडी में 15% की वृद्धि देख रहे हैं, यह वृद्धि हमारे ओपीडी में 60% से ज्यादा है। इसलिए मैं सभी को सलाह दूंगा कि अगर वे घर से काम कर रहे हैं, तो सबसे पहले ऐसा वर्कस्टेशन चुने, जिसपर आपका लैपटॉप फिट आए, आपकी आई-लेवल पर हो, कुर्सी कम्फर्टेबल होनी चाहिए, ताकि आप ढंग से काम कर सकें। साथ ही ज़्यादा देर तक न बैठे रहें। हर एक घंटे में उठें और स्ट्रेच करें और कम से कम पांच से 10 मिनट तक टहलें ताकि आपको रीढ़ से सम्बंधित समस्या न हों।

कमर के दर्द के 10 प्रमुख कारण

जालंधर के एनएचएस हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक एंड रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन और डायरेक्टर, डॉ. शुभांग अग्रवाल का कहना है कि भारत में 16 से 34 आयु वर्ग के 20% लोगों का इलाज पीठ और गर्दन की समस्या के लिए किया जाता है। पीठ दर्द का इलाज कराने वाली युवा आबादी का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। 45 प्रतिशत लोग 7 हफ्ते से ज्यादा समय तक अपने दर्द का कोई उपाय नहीं करते हैं जिसके परिणामस्वरूप इलाज़ में देरी होती है। इस ट्रेंड को देखकर सवाल उठता है कि पीठ के निचले हिस्से में दर्द कैसे होता है? हमारी पीठ के निचले हिस्से में एक जटिल संरचना होती है और यह पांच लंबर वर्टेब्रे (काठ कशेरुकाओं) - L1 से लेकर L5 से बनी होती है। ये मांसपेशियों और लिगामेंट द्वारा एक कॉलम बनाने के लिए एक साथ एलाइन होते हैं। लंबर स्पाइन पीठ के लिए सपोर्ट प्रदान करता है और ऊपरी शरीर का अधिकांश भार सहन करता है।

इसलिए, पीठ के निचले हिस्से में ऊपरी पीठ की तुलना में पीठ दर्द की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि पीठ के निचले हिस्से में मैकेनिकल भार होता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द के 10 प्रमुख कारण यहां बताए गए हैं, और उनमें से कुछ रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं और अन्य स्थितियों से जुड़े हुए हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

ट्रॉमा या चोट

पीठ के निचले हिस्से में चोट लगना और घर पर थोड़ा सा भी गिरने से जैसे कि सीढ़ियों से तेज़ी से नीचे उतरते समय गिरना या बाथरूम में फिसलना, सड़क यातायात दुर्घटनाएं रीढ़ की हड्डी की चोटों के लिए साधारण फ्रैक्चर से लेकर रीढ़ की हड्डी की चोटों तक बहुत दर्दनाक पीठ की चोटों का कारण बन सकती हैं। खेल के दौरान चोटों के लगने से अक्सर लम्बर स्पाइन की मांसपेशियों / लिगामेंट में मोच आ जाती है या वे फट जाते हैं। जोरदार चोट लगने से इंटरवर्टेब्रल डिस्क अपनी जगह से ट्यूब से टूथपेस्ट की तरह हट सकती है और यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव बनाता है।

ख़राब पॉश्चर

पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अगला सबसे आम कारण झुकना या खराब मुद्रा में बैठना होता है। ज्यादातर लोग लंबे समय तक बैठे रहने के दौरान झुके-झुके रहते हैं और यहां तक कि टीवी देखते हुए भी वे कोई सपोर्ट नहीं लेते हैं। लंबे समय तक लगातार बैठे रहने से डिस्क पर असामान्य खिंचाव हो सकता है और रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं जिससे पीठ दर्द हो सकता है।

उम्र के साथ होने वाली बीमारी

उम्र बढ़ने के साथ-साथ सामान्य टूट-फूट के कारण हमारे जॉइंट (जोड़) धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं। इंटरवर्टेब्रल डिस्क भी इसी तरह सिकुड़ने लगती हैं और तंत्रिका जड़ें (नर्वस रूट्स) खिंच जाती हैं। रीढ़ की हड्डी की गतिशीलता भी समाप्त हो जाती है और वह कठोर हो जाती है। ऐसे सेनारियो में स्पाइनल कनाल सिकुड़ जाती है, जिससे एक गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है जहां रीढ़ की हड्डी पर बहुत ज्यादा दबाव दर्द, सुन्नता और चलने में कठिनाई होती है। इसे न्यूरोजेनिक क्लॉडिकेशन कहा जाता है।

विटामिन-डी की कमी

पीठ के निचले हिस्से में दर्द के लिए एक और प्रमुख कारण विटामिन-डी की कमी भी हो सकती है यह कमी एक एपिडर्मिक के रूप में सामने आ गई है और इसका इलाज सिर्फ जांच और उपचार के द्वारा किया जा सकता है। विटामिन-डी के कम लेवल को उचित एक्सरसाइज़ और सप्लीमेंट से सही किया जा सकता है।

अर्थरायटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का अर्थरायटिस है जिसमें रुमेटाइड अर्थरायटिस और एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस शामिल होता हैं, जो हमारी पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित करते हैं। जब अर्थरायटिस होता है, तो यह जॉइंट्स (जोड़ों) के अंदर सूजन, कार्टिलेज और हड्डी का क्षरण होता है जिससे दर्द और मांसपेशियों में कमज़ोरी होती है।

पेट या किडनी की पथरी से होने वाला दर्द

जब रीढ़ में कोई संरचनात्मक या कार्यात्मक समस्या नहीं होती है, तब भी पीठ के निचले हिस्से में इंद्र एब्डोमिनल ऑर्गन और किडनी की पथरी वाले दर्द से भी पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। किडनी की पथरी मोड और पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकती है।

गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान कमर या पीठ दर्द होना काफी आम बात है, खासकर यह दर्द गर्भावस्था के शुरुआती दौर में ज्यादा होता है। जब एक महिला गर्भ धारण करती है, तो लिगामेंटन नरम हो जाते हैं और उसे प्रसव के लिए पूरी तरह से तैयार करने के लिए खिंचाव होने लगता है। यह आपकी पीठ के निचले हिस्से और पेल्विस के जॉइंट्स (जोड़ों) पर दबाव डाल सकता है, जिससे पीठ दर्द हो सकता है।

स्पाइनल ट्यूमर

कई स्पाइनल ट्यूमर के कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो अत्यधिक पीठ दर्द और सुन्नता और कमजोरी सहित न्यूरोलॉजिकल कमी का कारण बनते हैं। रीढ़ में ट्यूमर का स्थान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वास्तव में स्वस्थ ऊतक जैसे रीढ़ में कशेरुक (हड्डियों) को नष्ट कर देता है, जिससे पीठ दर्द होता है। लगभग 70% स्पाइनल ट्यूमर थोरेटिक (वक्षीय) रीढ़ में स्थित होते हैं। थोरेटिक रीढ़ शरीर के ऊपरी और मध्य भागों में स्थित होते हैं।

कौडा इक्विना सिंड्रोम

यह एक एमरजेंसी कंडीशन होती है जिसमें डिस्क का टूटने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है जिससे निचले अंगों और कभी-कभी आंत्र और मूत्राशय में लक्षण दिखाई देते हैं। अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे स्थायी रूप से न्यूरोलॉजिकल डैमेज हो सकत है और तत्काल सर्जिकल हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है।


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