इन्फ्लुएंजा (Influenza)
फ्लू का सीजन आते ही हर साल देश में इन्फ्लुएंजा के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं। आमतौर पर इन्फ्लुएंजा के टाइप ए और बी लोगों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। तो चलिए जानते हैं इन्फ्लुएंजा से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी।
इन्फ्लुएंजा क्या है?
इन्फ्लुएंजा एक तरह का मौसमी फ्लू है, जिसे आमतौर पर नाक, गले और फेफड़ों में होने वाले संक्रमण के रूप में जाना जाता है। यह संक्रमण इन्फ्लुएंजा नामक वायरस की वजह से होता है। इन्फ्लुएंजा के शिकार अधिकांश लोग अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी यह वायरस जानलेवा साबित हो सकता है।
इन्फ्लुएंजा के प्रकार
इन्फ्लुएंजा वायरस 4 प्रकार के होते हैं जिसमें- टाइप ए, बी, सी और डी शामिल है। इन्फ्लुएंजा ए और बी वायरस के फैलने से लोग सीजनल वायरल का शिकार होते हैं।
इन्फ्लुएंजा ए
इन्फ्लुएंजा ए वायरस को हेमाग्लगुटिनिन (एचए) और न्यूरोमिनिडेस (एनए) के कॉम्बिनेशन के आधार पर सबटाइप में बांटा गया है। मौजूदा समय में लोगों में इस वायरस के दो सबटाइप इन्फ्लुएंजा A(H1N1) और इन्फ्लुएंजा A(H3N2) के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। A(H1N1) को A(H1N1)pdm09 के रूप में भी लिखा जाता है, क्योंकि यह साल 2009 में महामारी का कारण बना था। इन्फ्लुएंजा के टाइप A वायरस को ही महामारी का कारण माना जाता है।
इन्फ्लुएंजा बी
इन्फ्लुएंजा-बी वायरस के सबटाइप नहीं हैं, बल्कि इसे लिनिएज में बांटा जा सकता है। इन्फ्लुएंजा टाइप-बी जिसका संक्रमण आजकल देखने को मिलता है, वह या तो बी/यामगाटा से होता है या फिर बी/विक्टोरिया लिनिएज के कारण।
इन्फ्लुएंजा सी
इन्फ्लुएंजा के टाइप सी वायरस से जुड़े मामले काफी कम ही देखने को मिलते हैं। आमतौर पर यह टाइप हल्के संक्रमण का कारण बनता है।
इन्फ्लुएंजा डी
इन्फ्लुएंजा डी वायरस मुख्य रूप से मवेशियों को प्रभावित करता है और यह लोगों को संक्रमित करने या उनमें बीमारी का कारण नहीं माना जाता है।
इन्फ्लुएंजा के लक्षण
- बुखार
- सिर दर्द
- आँखों में दर्द
- गले में खराश
- मांसपेशियों में दर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान और कमजोरी
- बहती या भरी हुई नाक
- सूखी और लगातार खांसी
- ठंड लगना और पसीना आना
- उल्टी और दस्त (बच्चों में ज्यादा)
इन्फ्लुएंजा फैलने के कारण
- इन्फ्लुएंजा वायरस हवा के जरिए ड्रॉपलेट के रूप में फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो इससे निकलने वाले ड्रॉपलेट्स दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।
- इसके अलावा अगर आप संक्रमित सतह वाली किसी वस्तु को छूते हैं, तो इससे भी यह वायरस फैल सकता है।
- यह वायरस जब जीवित रूप में हवा में होते हैं, तो सांस के जरिए यह हमारे शरीर में आसानी से चले जाते हैं।
- इसके अलावा हमारे आँख, नाक या मुँह के संपर्क में आने पर भी यह वायरस आसानी से हमारे अंदर आ जाते हैं।
रिस्क फैक्टर्स
- उम्र- इस वायरस का खतरा 6 महीने से 5 साल की उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा होता है।
- जीवनशैली और कार्यस्थल- ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों और कार्यस्थल जैसे नर्सिंग होम, अस्पतालों, अनाथालय, कारखाने या सैन्य बैरक में आदि में काम करने या रहने वाले लोग इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं।
- गर्भावस्था- गर्भवती महिलाओं में, खासकर पहली तिमाही के बाद इन्फ्लुएंजा के विकसित होने और इसके जटिल रूप लेने की आशंका दूसरों के मुकाबले ज्यादा होती है।
- कमजोर इम्युनिटी- अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है, तो भी इस वायरस से आपके संक्रमित होने और इसके गंभीर बीमारी बनने की संभावना अधिक है।
- पुरानी बीमारियां-अगर आप किसी पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज, लंग डिजीज, अस्थमा, हृदय रोग, तंत्रिका तंत्र के रोग, किडनी,लिवर आदि की समस्या के शिकार है, तो यह इन्फ्लुएंजा के जोखिम को बहुत बढ़ा सकती है।
- 19 वर्ष से कम उम्र में एस्पिरिन का उपयोग- अगर कोई व्यक्ति 19 साल की कम उम्र में एस्पिरिन थेरेपी ले रहा है, तो उनमें इन्फ्लुएंजा विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
- मोटापा- जिन लोगों का बीएमआई 40 से ऊपर है, उनसमें फ्लू और इसकी जटिलताओं के विकास का जोखिम काफी ज्यादा होता है।
इन्फ्लुएंजा से जुड़ी जटिलताएं
इस फ्लू से जुड़ी जटिलताएं काफी कम देखने को मिलती है। अगर आप युवा और स्वस्थ हैं, तो फ्लू आमतौर पर गंभीर नहीं होता है। हालांकि, फ्लू होने पर आप थकान महसूस कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर फ्लू एक या दो सप्ताह में चला जाता है। लेकिन उच्च जोखिम वाले बच्चों और वयस्कों में कुछ जटिलताएं विकसित हो सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
- न्यूमोनिया
- ब्रोंकाइटिस
- कान के संक्रमण
- हृदय की समस्याएं
- अस्थमा ट्रिगर होना
- एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम
इन्फ्लुएंजा से बचाव
- इन्फ्लुएंजा से बचाव के लिए जरूरी है कि आप दिन कई बार अपने हाथों को साबुन से धोएं।
- हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें।
- बार-बार अपने चेहरे को छूने से बचें।
- टेबल, डेस्क, दरवाजे आदि को लगातार साफ करते रहें।
- कहीं भी बाहर से घर लौटने के बाद तुरंत हाथ धोएं।
- खांसते या छींकते समय अपना मुंह अच्छे से ढकें।
- अगर आप संक्रमित हैं या आपमें लक्षण नजर आ रहे हैं, तो लोगों से मिलने से बचें।
डॉक्टर के पास कब जाए
ज्यादातर लोग जिन्हें फ्लू होता है, वे इलाज घर पर ही कर सकते हैं और अक्सर उन्हें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन अगर आपको फ्लू के लक्षण हैं और जटिलताओं का खतरा है, तो डॉक्टर को दिखा सकते हैं। एंटीवायरल दवाइओं से आपकी बीमारी जल्द ठीक हो जाएगी है और इसके जटिल होने की संभावना की कम हो जाएगी। हांलाकि, फ्लू होने पर अगर आपको कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इन गंभीर और आपातकालीन लक्षणों में निम्न शामिल हैं-
- चक्कर आना
- डिहाईड्रेशन
- अत्यधिक थकावट
- मांसपेशियों में दर्द
- सांस लेने में कठिनाई या सीने में दर्द
इन्फ्लुएंजा में क्या खाएं
- अगर आप सर्दी-जुकाम से परेशान हैं, तो इसके लिए चिकन सूप का सेवन कर सकते हैं। यह विटामिन, खनिज, कैलोरी और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।
- एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटिफंगल गुणों की वजह से लहसुन खाने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी।
- अगर आप बीमार हैं, तो शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए आप पानी के साथ ही नारियल पानी पी सकते हैं। इसमें मौजूद ग्लूकोज़ और इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं।
- रोगाणुरोधी गुणों से भरपूर शहद का सेवन भी बैक्टीरिया संक्रमण में लाभकारी माना गया है।
- बीमार होने पर शरीर में विटामिन और खनिजों की काफी जरूरत होती है। ऐसे में आप हरी पत्तेदार सब्जियों का भरपूर सेवन करें।
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