जिसे आप 'डाइटिंग' समझ रहे हैं, वो हो सकती है ईटिंग डिसऑर्डर; 4 संकेतों से करें इसकी पहचान
खाने से जुड़ी हर आदत सिर्फ वजन से जुड़ा मामला नहीं होता। कई बार यह किसी ईटिंग डिसऑर्डर के कारण भी हो सकता है। बॉडी इमेज या किसी भी इमोशनल स्ट्रेस के क ...और पढ़ें

कैसे होते हैं ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण? (Picture Courtesy: AI Generated Image)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) सिर्फ खाने या वजन से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। यह व्यक्ति के खाने, बॉडी इमेज और सेल्फ वैल्यू को लेकर सोच, भावनाओं और व्यवहार को गहराई से प्रभावित करती है। यह अक्सर स्ट्रेस, एंग्जायटी, कंट्रोल खोने के डर या मुश्किल भावनाओं से निपटने के एक तरीके के रूप में शुरू होता है।
ईटिंग डिसऑर्डर शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिसमें दिल से जुड़ी समस्याएं, पोषण की कमी और पाचन तंत्र को नुकसान शामिल है। इसके गंभीर मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए इसके लक्षणों (Signs of Eating Disorder) की पहचान करना जरूरी है। आइए जानें इस बारे में।
खाना सिर्फ घुमाते रहना, पर असल में खाना नहीं
यह अक्सर एनोरेक्सिया नर्वोसा या रेस्ट्रिक्टिव ईटिंग के तरीकों से जुड़ा संकेत है। व्यक्ति प्लेट में खाने को इधर-उधर करता रहता है, छोटे-छोटे टुकड़े करता है या बहुत धीमी गति से खाता है, ताकि यह भ्रम बना रहे कि वह खा रहा है। यह व्यवहार खाने को लेकर गहरे डर, कैलोरी गिनने के जुनून या खाने से बचने की कोशिश को दिखाता है। ऐसे में व्यक्ति अक्सर खाने के समय चिंतित या तनाव में दिखाई देता है और दूसरों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर सकता है।
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(Picture Courtesy: Freepik)
खाने के तुरंत बाद कैलोरी "बर्न" करना
यह बुलिमिया या एनोरेक्सिया का एक सामान्य लक्षण है। इसमें व्यक्ति खाए गए खाने से मिलने वाली कैलोरी को "बर्न" करने के लिए खाने के तुरंत बाद एक्सरसाइज करने लगता है। यह एक्सरसाइज अक्सर सजा की भावना से प्रेरित होता है, न कि फिटनेस के लिए। व्यक्ति चोट, थकान या खराब मौसम के बावजूद भी खुद को एक्सरसाइज करने के लिए मजबूर महसूस करता है।
बहुत ज्यादा मात्रा में, बहुत तेजी से खाना
यह बिंज ईटिंग डिसऑर्डर और बुलिमिया नर्वोसा का एक अहम लक्षण है। इसमें व्यक्ति एक निश्चित समय (जैसे दो घंटे) में सामान्य से कहीं ज्यादा खाना बहुत तेजी से, अक्सर तब तक खाता है जब तक कि असहज रूप से भरा हुआ न महसूस हो। यह एपिसोड आमतौर पर सीक्रेट होते हैं। व्यक्ति खुद पर नियंत्रण खोने की भावना महसूस करता है और बिंज ईटिंग के दौरान या बाद में गिल्ट या डिप्रेशन से जूझता रहता है। यह अक्सर इमोशनल स्ट्रेस से निपटने का एक अनहेल्दी तरीका है।

(Picture Courtesy: Freepik)
खाने के तुरंत बाद लैक्सेटिव लेना
यह मुख्य रूप से बुलिमिया नर्वोसा से जुड़ा है। इसमें व्यक्ति खाए गए खाने या कैलोरी से छुटकारा पाने के बाद लैक्सेटिव का इस्तेमाल करता है। यह एक बेहद खतरनाक तरीका है जो शरीर को डिहाइड्रेट कर सकता है, इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगाड़ सकता है और आंतों पर स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।

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