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झारखंड हाईकोर्ट का आदेश,दो सप्ताह में नवोदय विद्यालय के बारहवीं के छात्रों का संशोधित परिणाम जारी करे सीबीएसई

झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को छात्रों से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सीबीएसई को अहम निर्देश जारी किया। कोर्ट की ओर से कहा गया कि सीबीएसई छात्रों के आवेदन पर विचार करते हुए दो सप्‍ताह में संशोधित परिणाम जारी करे।

By Brajesh MishraEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 07:43 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 07:46 PM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट में नवोदय विद्यालय के छात्रों के परिणाम में गड़बड़ी को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

रांची,राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में नवोदय विद्यालय के छात्रों के 12वीं के परिणाम में गड़बड़ी को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने छात्रों को स्कूल के प्राचार्य के यहां आवेदन देने को कहा है। प्राचार्य दो सप्ताह में इन छात्रों के परिणाम की जांच करेंगे। अगर अंक में गड़बड़ी हुई तो सुधार कर सीबीएसई को इसकी जानकारी देंगे। इसके दो सप्ताह में सीबीएसई संशोधित परिणाम जारी करेगा। उक्त आदेश देते हुए अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दी। इस संबंध में प्रिंस कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कहा कि कोरोना काल में सीबीएसई के 12वीं की परीक्षा नहीं हुई है। विद्यालयों की अनुशंसा पर ही सीबीएसई ने परिणाम जारी किए हैं।

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जवाहर नवोदय विद्यालय, बीआइटी मेसरा के नौ छात्रों का करीब दस प्रतिशत कम अंक आया है। सीबीएसई की ओर से जारी संकल्प में यह कहा गया है कि यदि किसी छात्र के परिणाम में कोई गड़बड़ी हुई है, तो वह अपने विद्यालय के प्राचार्य के यहां आवेदन देगा। इस पर छात्रों ने भी अपने प्राचार्य के यहां आवेदन दिया, लेकिन उन्होंने लेने से इन्कार कर दिया। इसके बाद छात्रों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसके बाद अदालत ने कहा कि सभी छात्र दो सप्ताह में अपने स्कूल के प्राचार्य के यहां आवेदन देंगे। प्राचार्य इसकी जांच करेंगे और अंक में संशोधन करते हुए इसे सीबीएसई को भेजेंगे। जिसके बाद संशोधित परिणाम जारी किया जाएगा।

फैसले से छात्र उत्‍साहित

झारखंड हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश पर छात्रों में उत्‍साह देखा गया। छात्रों की ओर से कोर्ट में याचिका दायर कर अपने परिणाम पर गंभीर सवाल उठाए गए थे। इसमें स्‍कूल प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे।


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