राजनीति से मोह भंग, डॉ अजय बदल सकते हैं अपना रास्ता; जानिए अब क्या करेंगे
डॉ अजय ने राजनीति की पारी बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से शुरू की थी। इसी पार्टी से वे पहली बार जमशेदपुर के सांसद बने। फिर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा।
रांची, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार एक बार फिर अपना कॅरियर बदल सकते हैं। पुलिस कप्तान का पद त्यागकर कॉरपोरेट कंपनी में काम करने के बाद उन्होंने राजनीति की पारी झारखंड विकास मोर्चा से शुरू की थी। इसी पार्टी से वे पहली बार जमशेदपुर के सांसद बने। फिर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और राष्ट्रीय प्रवक्ता से लेकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष तक रहे।
झारखंड में कांग्रेस पार्टी को दुरुस्त करते-करते वे खुद ही इतने परेशान हो गए कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा सौंप दिया। पार्टी छोडऩे के बाद न तो दिल्ली से उन्हें तरजीह मिल रही थी और न ही प्रदेश कांग्रेस से। इन्हीं कारणों से डॉ. अजय का मन राजनीति में नहीं लग रहा है। उनके नजदीकी सूत्रों ने बताया कि डॉ. अजय अपना रास्ता बदल सकते हैं और फिलहाल राजनीति से दूर ही रहेंगे। दूसरे दलों में जाने की संभावनाओं से भी इन्कार किया जा रहा है।
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इस्तीफा देकर पांच नेताओं पर फोड़ा था ठीकरा
डॉ अजय कुमार ने राहुल गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में झारखंड कांग्रेस के पांच नेताओं पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का ठीकरा फोड़ा था। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, फुरकान अंसारी, प्रदीप बलमुचू, रामेश्वर उरांव और ददई दुबे पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाए थे। इस्तीफे के लिए लिखी गई चार पन्ने की चिट्ठी में डॉ अजय ने डॉ आलमगीर आलम को अपना बेहतर सहयोगी बताया था।
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अपराधियों को बताया था कांग्रेस नेताओं से बेहतर
डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा देने के पीछे के कारणों का जिक्र करते हुए अपराधियों को झारखंड के कांग्रेस नेताओं से बेहतर बताया था। उन्होंने सीधे-सीधे सुबोधकांत सहाय पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस भवन में भाड़े के लोग बुलाकर मारपीट की गई। किन्नरों को बुलाकर यहां हंगामा कराया गया। डॉ अजय ने कांग्रेस नेताओं पर पैसे की वसूली का भी आरोप लगाया था।
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