Move to Jagran APP

RIMS में नेत्र विभाग के मरीजों में न्‍यूरो के मरीजों से फैल रहा संक्रमण, आंख की रोशनी तक जाने का बना खतरा

ठंड के मौसम में मोतियाबिंद के मरीजों का अधिक ऑपरेशन होता है। नेत्र विभाग के डॉक्‍टरों के लिए चुनौती ऑपरेशन के बाद मरीजों को संक्रमण से बचाना है ताकि आंखों को कोई नुकसान न पहुंचे लेकिन अब न्‍यूरो के मरीजों ने इनकी चिंता बढ़ा दी है।

By Arijita SenEdited By: Published: Sat, 03 Dec 2022 11:07 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2022 11:07 AM (IST)
RIMS में नेत्र विभाग के मरीजों में न्‍यूरो के मरीजों से फैल रहा संक्रमण, आंख की रोशनी तक जाने का बना खतरा
RIMS में नेत्र विभाग के मरीजों में न्‍यूरो के मरीजों से फैल रहा संक्रमण

अनुज तिवारी। झारखंड (Jharkhand) के सबसे बड़े अस्‍पताल रांची रिम्‍स (राजेंद्र इंस्‍टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस) के नेत्र विभाग में आंख का इलाज करा रहे मरीजों में न्यूरो सर्जरी (ब्रेन संबंधी रोग) के मरीजों से संक्रमण फैलने के बाद यहां डर का माहौल है।

loksabha election banner

नेत्र विभाग ने लगाई न्‍यूरो के मरीजों को वार्ड से हटाने की गुहार

नेत्र विभाग के एचओडी डा. राजीव गुप्ता ने न्यूरो के सभी मरीजों को वहां से हटाने का फैसला लिया है। उन्होंने न्यूरो विभाग को पत्र लिखकर इन मरीजों को जल्द से जल्द अपने वार्ड में ले जाने का आग्रह किया है ताकि आंख का इलाज करा रहे मरीजों में संक्रमण ना फैल सके। डा. राजीव गुप्ता ने इस संबंध में रिम्स निदेशक (RIMS Director) से भी गुहार लगायी है कि वे न्यूरो के सभी मरीजों को नेत्र विभाग के वार्ड से वापस भेज दें।

न्‍यूरो में बेड न होने के कारण नेत्र विभाग में आए मरीज

मालूम हो कि न्यूरो विभाग में बेड की तुलना में दोगुने मरीज होने के कारण करीब 36 मरीजों को नेत्र विभाग के खाली वार्ड में भर्ती कराया गया। यहां उन्हें बेड उपलब्ध कराया गया है। हालांकि जब न्यूरो के मरीजों को नेत्र विभाग में शिफ्ट किया जा रहा था उसी वक्त नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष ने इसका विरोध किया था। लेकिन इसके बाद भी सभी न्यूरो मरीजों को भेज दिया गया।

RIMS Ranchi: मरीज के मरने के बाद परिजनों ने कहा मां जिंदा है... फिर शुरू हुआ हंगामा; क्या है पूरा मामला?

काफी खतरनाक होता है आंख का संक्रमण

मोतियाबिंद या अन्य बीमारी पर आंख का आपरेशन करने के बाद मरीजों को भर्ती किया जाता है। इस बीच आंखों को संक्रमण से बचाना डाक्टरों की सबसे बड़ी चुनौती होती है। लेकिन यहीं पर प्रबंधन ने खास ध्यान नहीं दिया और दूसरे मरीजों को आंख के मरीजों के साथ रख दिया।

डा. राजीव गुप्ता बताते हैं कि आंख का संक्रमण काफी खतरनाक होता है और कई बार तो आंख की रोशनी तक चली जाती है। विभाग में भर्ती एक नेत्र मरीज के आंख में संक्रमण हुआ जिसके बाद अब निर्णय लिया गया है कि वार्ड में सिर्फ नेत्र संबंधित ही मरीजों को भर्ती कराया जाएगा।

प्रबंधन ने कहा मल्टी स्टोरेज पार्किंग में जाए न्‍यूरो मरीज

रिम्स प्रबंधन ने कहा है नेत्र विभाग के वार्ड में भर्ती सभी न्यूरो मरीजों को मल्टी स्टोरेज पार्किंग भवन में भेजा जाए। लेकिन न्यूरो सर्जरी विभाग मरीजों को वहां भेजने से इंकार कर दिया है। मल्टी स्टोरेज पार्किंग भवन में 300 बेड मौजूद है, जहां पर मरीजों को भर्ती कराया जा सकता है। न्यूरो सर्जन डा सीबी सहाय बताते हैं नेत्र रोग विभाग ने सभी मरीजों को हटाने को कहा है, लेकिन समस्या यह है कि मरीजों को कहा रखा जाए। ऐसे में अभी भी अधिकतर मरीजों का इलाज जमीन पर हो रहा है।

कैसे फैल रहा है संक्रमण

न्यूरो के मरीज एक से डेढ़ माह तक अस्पताल में भर्ती रहते हैं। जिस कारण गंदगी की वजह से संक्रमण फैलता है, खासकर के आंख के मरीजों में संक्रमण काफी तेज गति से फैलता है। नेत्र विशेषज्ञ डा. राजीव बताते हैं कि न्यूरो के मरीजों में हाइजीन नहीं अपनाने के कारण संक्रमण फैल सकता है। यही वजह है कि सभी मरीजों के लिए अगल-अलग वार्ड होता है ताकि एक मरीज का संक्रमण दूसरे में ना फैले।

इस मौसम में मोतियाबिंद के मरीज बढ़ते हैं

ठंड के मौसम में सबसे अधिक मोतियाबिंद (Cataracts) मरीजों का आपरेशन होता है। ऐसे में एक और समस्या बेड को लेकर आ सकती है। अभी नेत्र विभाग में हर दिन कम से कम 22 आपरेशन हो रहे हैं। इसे देखते हुए भी नेत्र विभाग ने मरीजों को हटाने को कहा है। ताकि बड़े पैमाने पर नेत्र रोगियों में संक्रमण ना फैले।

Ranchi RIMS: हड़ताल पर गए लॉन्‍ड्री और सीएसएसडी कर्मी, दर्द से कराह रहे 65 मरीजों की नहीं हो पाई सर्जरी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.