लॉकडाउन में आई माटी की याद तो 22 साल बाद घर लौटा युवक, खुशियों से सराबोर हुआ शराफत
Jharkhand Hindi News. 12 वर्ष की उम्र में घर से भागा था। केरल के सर्कस में बीते 20 साल से काम कर रहा था। आफताब के घर आने से पिता और मां के चेहरे की रौनक लौट आई।
चतरा, [जुलकर नैन]। Lockdown in India दुख और विपत्ति में मां और माटी की याद अक्सर आती है। लोग खुद को उसकी आंचल में सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। चतरा स्थित गिद्धौर प्रखंड के सलीमपुर गांव में यह बात एक बार फिर साबित हुई है। माता-पिता से रूठ कर अपने घर से भागा आफताब 22 साल बाद अपनी माटी को माथे से लगाने वापस लौट आया। परिजनों ने उसके लौटने की आस छोड़ दी थी, लेकिन अब अपने बच्चे के घर लौटन से वे काफी खुश हैं।
हुआ यूं कि बारह वर्ष की आयु में आफताब अंसारी का गांव के किसी बच्चे से झगड़ा हो गया था। इसकी जानकारी उसके अब्बा शराफत अंसारी को हुई, तो उन्होंने दूसरे दिन आफताब को खूब डांटा। पिता की डांट से आफताब का मन व्यथित हो गया और घर से भाग गया। घर वालों ने उसकी खूब खोजबीन की, लेकिन कहीं पता नहीं चला। इस बीच आफताब दिल्ली पहुंच गया। कुछ दिनों तक तो वह इधर-उधर भटकता रहा। फिर एक सर्कस कंपनी ने उसे काम दे दिया। वही उसका ठिकाना बन गया।
करीब दो वर्ष के बाद सर्कस कंपनी वालों ने उसको केरल भेज दिया। केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम उसका नया ठिकाना बन गया। समय का पहिया घूमता गया। इस बीच वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हुई। सर्कस का काम ठप हो गया। सर्कस में काम करने वाले उसके सारे साथी एक-एक कर अपने-अपने घर रवाना होने लगे। तब उसे भी अपनी मां और माटी की याद आई। दोस्तों से अपने दिल की बात बताई।
आफताब ने कहा कि 22 वर्षों में बहुत कुछ भूल गया था। बस अपने गांव और इटखोरी प्रखंड का नाम याद था। अपने मित्रों के साथ नजदीकी थाना गया और वहां पूरी दास्तान सुनाई। केरल पुलिस ने इटखोरी के थानेदार से बात की। इटखोरी थाना प्रभारी ने गिद्धौर थाने को इसकी जानकारी दी। फिर गिद्धौर थाने ने मुखिया कविता देवी से संपर्क साधा।
मुखिया अपने पति और पूर्व मुखिया महेंद्र राम के साथ मिलकर छानबीन में जुट गई। आखिरकार उन्हें आफताब के घर का पता चल गया तब उसे वापस आने को कहा गया। आफताब 24 जून को चतरा आ गया। उसे 14 दिनों तक क्वारंटाइन किया गया। फिर तीन जुलाई को मुखिया दंपती उसे सलीमपुर गांव लेकर पहुंचे।
घर में जश्न का माहौल
शराफत अंसारी और जमीला खातून के घर में आफताब के आने की सूचना जैसे ही मिली, जश्न का वातावरण छा गया। पिछले 22 वर्षों में उनके यहां ऐसी खुशी देखने को नहीं मिली थी। शराफत अंसारी कहते हैं कि बुढ़ापे का सहारा मिल गया। बेटे की खोज में खूब भटका। मन्नतें भी खूब मांगीं। बातचीत के क्रम में वह भावुक हो जाते हैं। खुशी के आंसू उनकी आंखों से निकल आते हैं। मां को शादी की चिंता सता रही है। कहती है- अब आफताब गांव में ही रहेगा। एक अच्छी सी लड़की देखकर उसकी शादी कर देंगे।
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