ये मुलाकात तो एक बहाना है... मकसद बस, आपके करीब आना है... अमित शाह, हेमंत सोरेन मुलाकात के मायने, आसान शब्दों में...
Amit Shah Hemant Soren अमित शाह से हेमंत सोरेन की मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म है। जितना मुंह उतनी बातें हो रही है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की लड़खड़ाती महा विकास अघाड़ी सरकार और शिवसेना में बड़ी टूट के बीच झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन उनसे क्यों मिले?
रांची, [जागरण स्पेशल]। Amit Shah, Hemant Soren देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में उथलपुथल मची है। वहज हैं एकनाथ शिंदे। जिनके चलते महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की लड़खड़ाती महा विकास अघाड़ी सरकार की नैया डंवाडोल है। शिवसेना में बड़ी टूट की आशंका बलवती है। बाला साहब ठाकरे के आदर्शों से समझौता करने के संगीन आरोपों के बीच 40 बागी विधायक भाजपा के साथ पींगे बढ़ा रहे हैं। संभव है राज्यपाल के ओदश के बाद फ्लोर टेस्ट हो और अगले कुछ दिनों में बीजेपी की अगुआई वाली नई सरकार महाराष्ट्र में बन जाए।
इन ताजा घटनाक्रमों के बीच वर्तमान राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह (Amit Shah) से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की बंद कमरे में मुलाकात हुई है। बात क्या हुई, क्या गुल खिले, यहां कौन सी खिचड़ी पकी इससे पर्दा नहीं उठ सका, लेकिन हेमंत ने इशारे-इशारे में बड़ी बात कह दी। कहा, हमारी मुलाकात आपने देख लिया, आगे भी कुछ होगा, लेकिन ब्रेक के बाद... झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन फिलहाल राज्य में कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन सरकार चला रहे हैं। लेकिन, हाल के दिनों में एक साथ कई मोर्चे पर मुश्किलों में घिरे हैं। संकट में फंसे सोरेन अमित शाह से क्यों मिले? इस पर अटकलों का बाजार गर्म है। जितना मुंह, उतनी बातें हो रही है। आइए आसान शब्दों में जानते हैं अमित शाह-हेमंत सोरेन की मुलाकात के मायने...
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ये है हेमंत सोरेन का ताजा सूरत-ए-हाल
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ताजा हाल ठीक नहीं है। वे फिलहाल राजनीति के दलदल में बुरी तरह फंसे दिख रहे हैं। संभव है कीचड़ में खिलने वाले कमल से नजदीकियां इस वजह से ही बढ़ रही हों। अपने नाम पर खनन लीज लेने के मामले में चुनाव आयोग से जहां विधानसभा सदस्यता रद किए जाने को लेकर हेमंत सोरेन को अयोग्यता का नोटिस दिया गया है। वहीं केंद्रीय सतर्कता एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अप्रत्यक्ष रूप से उनकी कड़ी घेराबंदी कर रखी है। भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग मामले में उनके विभागीय सचिव और नजदीकी कही जाने वाली आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल से शुरू हुई जांच की आंच हेमंत सोरेन तक पहुंचना तय है। इस बारे में ईडी ने कोर्ट में कहा है कि उसके पास हेमंत सोरेन के खिलाफ हिला देने वाले अलार्मिंग दस्तावेज हैं।
हाई कोर्ट में हो रही हेमंत सोरेन की भारी फजीहत
हेमंत सोरेन की मुश्किलों के बारे में और जानना चाहें तो इनके खिलाफ सीबीआई जांच कराने संबंधी दो-दो मुकदमे झारखंड हाई कोर्ट में चल रहे हैं। जिसमें लगभग हर सुनवाई पर भारी फजीहत होती है। उच्च न्यायालय उनके और उनकी सरकार के खिलाफ गंभीर टिप्पणी करता है। अंतिम सुनवाई में हाई कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि हेमंत सोरेन बार-बार सुनवाई बाधित कर रहे हैं। वे अदालत में अपनी मर्जी चलाना चाहते हैं। इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री की बात छोड़ भी दें, तो एक विभागीय मंत्री के तौर पर उन्होंने अपने नाम पर खान लीज कैसे ले लिया, क्या यह पद का दुरुपयोग नहीं है।
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शाह-सोरेन मुलाकात पर अटकलें... मतलब भाजपा से गलबहियां...
अमित शाह और हेमंत सोरेन की मुलाकात से झारखंड में अटकलों का बाजार गर्म है। भले ही, जनता-जनार्दन को समझाने के लिए राष्ट्रपति चुनाव 2022 में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन के नाम पर उनसे मिलने की दलील दी जा रही हो, लेकिन अंदरखाने सेटिंग-गेटिंग जैसी बात सुनने में आ रही है। भाजपा के विधायक भानु प्रताप शाही ने तो हेमंत सोरेन और अमित शाह को टैग कर ट्विटर पर खुल्लमखुल्ला लिख दिया कि बकस द चाचा... गलती हो गईल...। इसका सीधा मतलब यही है कि हेमंत सोरेन बैकफुट पर हैं, और झामुमो भाजपा के साथ दुश्मनी-अदावत भूलकर डैमेज कंट्रोल करने पर आमादा है।
भाजपा ने हेमंत सोरेन का कर दिया है जीना हराम
भाजपा, खासकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघवर दास और सांसद निशिकांत दूबे ने हाल के दिनों में हेमंत सोरेन का जीना हराम कर दिया है। रघुवर ने जहां हेमंत सोरेन द्वारा अपने नाम पर खनन लीज लेने और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को मुफ्त में दी गई 11 एकड़ सरकारी जमीन का भंडाफोड़ किया, वहीं निशिकांत दूबे ईडी की जांच संबंधी नए-नए ट्वीट कर रोज खलबली मचाते हैं। हेमंत सोरेन की चौतरफा घेराबंदी करने के क्रम में भाजपा ने उनके और उनके भाई विधायक बसंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता पर संकट खड़ा कर दिया है।
भाजपा वाले खामोश... झामुमो नेताओं की बोलती बंद
अमित शाह और हेमंत सोरेन की मुलाकात पर ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री के सामने उन्होंने सरेंडर बोल दिया है। उनसे झारखंड में सरकार चलाने में सहयोग करने की अपेक्षा रखी गई है। हालांकि, हेमंत सोरेन ने अटकलों को खुद ही यह कहकर हवा दे दिया कि बाकी ब्रेक के बाद... अब इसके सीधे मायने तो नहीं निकल सकते, लेकिन घुमा-फिराकर बात झामुमो और भाजपा की नजदीकियों की हो रही है। जिसमें निकट भविष्य में बीजेपी-जेएएम की अगुआई वाली सरकार बनने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इधर, भाजपा वाले इस मसले पर खामोश हैं। जबकि झामुमो नेताओं में शाह-सोरेन मुलाकात लेकर चुप्पी है। कुछ तो बस इसे राज्य हित के लिए शिष्टाचार मुलाकात बता रहे हैं।
सरकार में सहयोगी कांग्रेस अब भी गोडसे, गांधी राग अलाप रही
इधर अमित शाह और हेमंत सोरेन की मुलाकात पर पारा गरम है। वहीं झामुमो के साथ गठबंधन में राज्य में सरकार चला रही कांग्रेस अब भी गोडसे और गांधी का राग अलाप रही है। इतना कुछ होने के बाद भी कांग्रेस को न आग, न धुआं कुछ भी नहीं दिख रहा। आजादी के पहले वाली पार्टी को अब भी भरोसा है कि राष्ट्रपति चुनाव 2022 में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को छोड़कर झामुमो संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं कि देश में दो विचारधारा गांधी और गोडसे के बीच लड़ाई है। झामुमो हमारा संघर्ष का साथी है। हम उम्मीद करते हैं कि हेमंत सोरेन भाजपा के साथ कभी नहीं जाएंगे। अमित शाह के साथ हेमंत सोरेन की मुलाकात सामान्य है, इसे अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति चुनाव 2022 : अंतरआत्मा के नाम पर वोट दें झामुमो सांसद-विधायक
हेमंत सोरेन और अमित शाह की मुलाकात की पृष्ठभूमि में मूल रूप से राष्ट्रपति चुनाव 2022 है। बीते दिन झामुमो ने इस मसले पर अहम बैठक की। जिसमें आदिवासी हित को लेकर मोर्चा का झुकाव द्रौपदी मुर्मू की तरफ खास तौर पर दिखा। लेकिन खुले समर्थन से सत्ता की सहयोगी कांग्रेस के बिदकने के आसार हैं। सो, झामुमो के सांसद-विधायकों को अंतरआत्मा की आवाज सुनकर मनपसंद उम्मीदवार चुनने को कहा जा सकता है। इससे भाजपा और कांग्रेस दोनों को साधने में आसानी होगी।
भाजपा को उठाना पड़ सकता है खामियाजा
अमित शाह, हेमंत सोरेन की मुलाकात के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा-झामुमो में मेलजोल हो गया है। ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या इतने दिनों से हेमंत सोरेन के खिलाफ ताबड़तोड़ हमले बोलने वाली भाजपा ने गुपचुप तरीके से राजनीतिक समझौता कर लिया? झामुमो के साथ भाजपा के खड़ा होना क्या बीजेपी के हित में होगा? ऐसे में संभव है कि झामुमो के प्रति झुकाव प्रदर्शित करने का भाजपा को कहीं राजनीतिक नुकसान न उठाना पड़ जाए। हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह भी है कि राजनीति में कब क्या हो जाए कह नहीं सकते, मतलब कुछ भी असंभव नहीं है। बहरहाल, झारखंड में पूर्व में भी साथ मिलकर सरकार चला चुके झामुमो और भाजपा के लिए अमित शाह-हेमंत सोरेन मुलाकात कितना फलदायी होता है, इस पर सबकी नजरें टिक गई हैं।