Jharkhand: आजसू से केंद्रीय उपाध्यक्ष कुशवाहा शिवपूजन मेहता को दो साल की सजा, 6 साल तक नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
झारखंड में एमपी-एमएलए कोर्ट पलामू के स्पेशल मजिस्ट्रेट सतीश कुमार मुंडा की अदालत ने आजसू के केंद्रीय उपाध्यक्ष हुसैनाबाद के पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता सहित सात लोगों को दो-दो वर्ष की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दो -दो हजार रुपए जुर्माना लगाया है।
मेदिनीनगर (पलामू), संवाद सूत्र। झारखंड में एमपी-एमएलए कोर्ट पलामू के स्पेशल मजिस्ट्रेट सतीश कुमार मुंडा की अदालत ने आजसू के केंद्रीय उपाध्यक्ष हुसैनाबाद के पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता सहित सात लोगों को दो-दो वर्ष की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दो -दो हजार रुपए जुर्माना लगाया है। यह सजा सितंबर 2014 में हुसैनाबाद थाने में दर्ज मामले में सुनाई गई है। सभी सातों पर आरोप था कि एक सितंबर 2014 को एक बजे दिन में जेपी चौक जपला, हुसैनाबाद में बहुजन समाज पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ बिना अनुमति सभा करने लगे। सड़क पर टायर जलाकर मार्ग अवरुद्ध कर दिया। जाम हटाने पहुंचे पुलिस पदाधिकारियों के साथ अभद्र व्यवहार किया और सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की।
बसपा जिलाध्यक्ष को भी हुई सजा
मेहता समेत बसपा नेताओं पर हुसैनाबाद के तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष कुमार गुप्ता ने सूचक के तौर पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तब कुशवाहा शिवपूजन मेहता विधायक नहीं थे। वे दिसंबर 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने 2019 का चुनाव आजसू के टिकट पर लड़ा था और हार का सामना करना पड़ा था। अदालत ने साक्ष्य के आधार पर दोषी पाते हुए पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता, अजय कुमार भारती, हरि यादव ,बसपा जिलाध्यक्ष संतोष कुमार गुप्ता, विजय प्रसाद, रंजीत वर्मा व जितेंद्र कुमार पासवान को दो-दो वर्ष की सजा सुनाई। दो साल तक सजा होने पर जमानत का प्रावधान है। इस आधार पर सभी सजायाफ्ता को अदालत ने जमानत पर छोड़ दिया।
मेहता के राजनीतिक भविष्य को ग्रहण
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा (8) तीन के तहत दो साल या दो साल से अधिक की सजा पाये व्यक्ति के छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक है। मेहता विधायक नहीं हैं, इसलिए उनकी सदस्यता जाने के सवाल नहीं हैं, लेकिन वे अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। ऐसे में उनके राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग गया है। वे 2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे थे। हालांकि, मेहता के पास दो साल का समय है। अगर वे हाई कोर्ट से बरी हो जाते हैं तो चुनाव लड़ सकते हैं।
आजसू , केंद्रीय उपाध्यक्ष कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने कहा कि न्यायालय के फैसले का सम्मान करता हूं। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दूंगा। सब लोग जानते हैं कि मामले में पब्लिक को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। किसी भी पब्लिक ने गवाही नहीं दी। सिर्फ पुलिस की गवाही हुई। इस मामले में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है और दो साल सजा कर दी गई।