Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाह! बैठेंगे राजधानी में एहसास तेजस का... मिलेंगी एक से बढ़कर ए‍क सुविधाएं, जानें किन चार ट्रेनों के रैक बदले जाएंगे

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Fri, 27 Oct 2023 01:41 PM (IST)

    नई दिल्ली-हावड़ा ग्रैंड कोड सेक्शन के कोडरमा धनबाद के रास्ते चार राजधानी एक्सप्रेस का परिचालन हो रहा है। इनमें सफर करने वाले यात्रियों को अब तेजस में ...और पढ़ें

    Hero Image
    भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस में लगाए गए हैं तेजस रैक।

    अरविंद चौधरी, झुमरीतिलैया (कोडरमा)। नई दिल्ली-हावड़ा ग्रैंड कोड सेक्शन के कोडरमा धनबाद के रास्ते चार राजधानी एक्सप्रेस का परिचालन हो रहा है। राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों को तेजस में सफर करने का एहसास होगा। भारतीय रेलवे में पहली बार वीआईपी ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस को तेजस के रैक में बदलने की कवायद शुरू हो गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन चार ट्रेनों के रैक को बदला जाएगा

    भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस एवं नई दिल्ली से राजेंद्र नगर पटना राजधानी एक्सप्रेस के सफल परीक्षण के बाद इस खंड पर होकर चलने वाली अन्य राजधानी एक्सप्रेस को भी तेजस के रूप में चलाया जाएगा।

    इसमें नई दिल्ली-रांची राजधानी, नई दिल्ली-हावड़ा राजधानी, नई दिल्ली-कोलकाता राजधानी एक्सप्रेस शामिल हैं। हावड़ा से कोडरमा के रास्ते नई दिल्ली के लिए रेल परिचालन 6 दिसंबर, 1906 को शुरू हुआ था। 117 साल के बाद यह सुविधा शुरू होने से यात्रियों को लाभ मिलेगा।

    पहले से आरामदायक हो गई है यात्रा

    बताते चले कोडरमा बोकारो गोमो गया जंक्शन के रास्ते होकर चलने वाली भुवनेश्वर- दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के कोच को दो माह पूर्व ही बदल दिया गया है। यह ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस तेजस राजधानी के रूप में चल रही है।

    यात्रियों की यात्रा पहले से आरामदायक व सुरक्षित हो गई है। एलएचबी कोच जुड़ने से सीटों की संख्या में इजाफा हो गया है। तेजस कोच में इलेक्ट्रो-न्यूमैटिक असिस्टेड ब्रेक, ऑटोमेटिक एंट्रेंस, प्लग टाइप डोर, ई-लेदर अपहोल्स्ट्री की सुविधा दी गई है।

    यह भी पढ़ें: कल शाम से लग जाएगा चंद्रग्रहण का सूतक, इन्‍हें बरतनी होगी खास सावधानी, भूल से भी आंगन या छत पर जाने की न करें गलती

    क्‍या है एलएचबी कोच

    अब तक ट्रेनों में एलएचबी कोच का प्रयोग होता था। एलएचबी कोच की तुलना में तेजस एलएचबी कोच ज्‍यादा बेहतर व सुरक्षित है। लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच बनाने की फैक्‍ट्री कपूरथला, पंजाब में है।

    यह उन्‍नत कोच पहली बार साल 2000 में जर्मनी से भारत लाया गया था। इसके बाद इसकी तकनीक पर आधारित कोच का निर्माण भारत में होने लगा। 

    एलएचबी कोच की सुविधाएं

    इस प्रकार के कोच की आयु 30 वर्ष की होती है। यह स्‍टेनलेस स्‍टील से बनाई जाती है और इस वजह से हल्‍की होती है। इसमें डिस्‍क ब्रेक का प्रयोग होता है। इस प्रकार के कोच को 24 महीने में एक बार ही अनुरक्षण की आवश्‍यकता होती है। यह ट्रेन सीसीटीवी कैमरा से लैस है।

    अधिकतम 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इसका परिचालन किया जा सकता है। इसकी गति 160 किमी प्रति घंटा है। इसके रखरखाव में भी कम खर्च आता है। इस कोच में बैठने की क्षमता भी ज्‍यादा होती है।

    स्‍लीपर क्‍लास में 80, थर्ड एसी में 72 बर्थ होता है। यह 1.7 मीटर ज्‍यादा लंबे होते हैं। दुर्घटना होने के बाद भी इसके डिब्‍बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं क्‍योंकि इसमें सेंटर बफर काउलिंग सिस्‍टम होता है।     

    यह भी पढ़ें: भूत छोड़ दिया है इसलिए तो...लोगों को डराकर ईसाई धर्म अपनाने को किया जा रहा मजबूर, मतांतरण के लिए बनाया जा रहा दबाव